एनबीएफसी सेक्टर पर बैंकों का लोन लगभग 4 लाख 96 हजार करोड़ रुपए है और यदि यह सेक्टर डूबा तो बैंक ही डूब जाएंगे...
गिरीश मालवीय का विश्लेषण
देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा संकट अब NBFC की तरफ से निकल कर सामने आने वाला है। आईएल एंड एफएस को एनबीएफसी सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी माना जाता है। उसने पिछले महीने लगातार डिफॉल्ट किये हैं।
जब से IL&FS का डिफॉल्ट हुआ है तब से अब तक भारत की टॉप 20 NBFC की तीन लाख करोड़ की पूंजी नष्ट हो चुकी है। देश के नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) पर कर्ज का 16 प्रतिशत अकेले आईएल एंड एफएस के पास ही है। जैसे ही इसके डिफॉल्ट की खबर आई है इंडिया बुल्स, DHFL जैसे शेयर धड़ाम हो गए हैं।
यह कंपनियां बैंक की तरह ही जमा स्वीकार करने का और ऋण देने का काम करती हैं, लेकिन बैंक नहीं होती हैं। ये कम्पनियां अब नकदी के संकट से जूझ रही हैं।
एनबीएफसी सेक्टर पर बैंकों का लोन लगभग 4 लाख 96 हजार करोड़ रुपए है और यदि यह सेक्टर डूबा तो बैंक ही डूब जाएंगे। आंकड़ों की मानें तो मार्च 2017 तक यह लगभग 3 लाख 91 हजार करोड़ रुपए था और जब एक साल में यह लोन एकाएक 27 प्रतिशत बढ़ा, तब जाकर भारतीय रिजर्व बैंक को होश आया। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
शायद आपने ध्यान दिया हो कि आपके शहर में इस नवरात्रि दशहरा दिवाली के सीजन में वाहनों की बिक्री बहुत कम हो रही है या रीयल एस्टेट में जितने प्रोजेक्ट हर साल इस सीजन में चालू होते थे या बने बनाए फ्लैट मकान बिकते थे, अब नहीं बिक रहे हैं। रियल एस्टेट की बड़ी कंपनी महीने सुपरटेक ने इसी महीने ही डिफॉल्ट किया है।
मार्च 2018 तक एनबीएफसी कंपनियों का रीयल एस्टेट क्षेत्र को दिया गया कर्ज कुल कर्ज का 7.5 प्रतिशत यानी 1.65 लाख करोड़ रुपये था। अब आगे और लोन देने के लिए NBFC कम्पनियों को नकदी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। एनबीएफसी आम तौर पर छोटे कर्ज देती हैं। इनके 60% होम लोन 10-15 लाख रुपए के हैं बैंक ऐसे कर्ज देने में आनाकानी करते हैं।
दोपहिया की फाइनेंसिंग में एनबीएफसी का हिस्सा इस समय करीब 60 प्रतिशत है टू-व्हीलर लोन सेगमेंट में एनबीएफसी की हिस्सेदारी बढ़ी है। 2013-14 में 30% दोपहिया वाहन फाइनेंसिंग के जरिए बिके थे। 2017-18 में यह आंकड़ा 50% हो गया था अब सब लगभग रुक सा गया है।
NBFC को बैंक की तरह सस्ती दर पर फंड नहीं मिलता, इसीलिए वे बैंकों से उधार लेकर, नॉन-कन्वर्टीबल डिबेंचर्स (एनसीडी) म्यूचअल फंड और कमर्शियल पेपर के जरिये अपना फंड जुटाते हैं।
इस वक़्त एनबीएफसी की उधारी में म्यूचुअल फंड्स की 25 से 40% हिस्सेदारी है। इसमें से 15-35% उधारी अगले छह महीनों में मैच्योर हो जाएगी, NBFC में म्युचुअल फंड का 2 लाख 65 हजार करोड़ लगा हुआ है।
NBFC और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में किया गया म्यूचुअल फंड्स की डेट इनवेस्टमेंट अक्टूबर से मार्च तक मैच्योर होगा। इनमें 80,000 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट अक्टूबर जबकि नवंबर में 77,000 करोड़ रुपये के डेट इनवेस्टमेंट्स की मैच्योरिटी होने वाली है, यह पैसा कैसे मिलेगा कोई नहीं जानता?
आरबीआई इस संकट से वाकिफ है। उसने कहा है कि बैंक 19 अक्टूबर के बाद एनबीएफसी को जो नया कर्ज देंगे, उसके एवज में रिजर्व की प्रोविजनिंग सरकारी बॉन्ड से कर सकते हैं, बाजार में बड़े पैमाने पर मुद्रा झोंकने का काम भी जो आरबीआई कर रहा है। वह भी इसी कारण है।
सबसे बड़ी बात यह है कि देश की अर्थव्यवस्था पर चारों तरफ से संकट के बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन कोई सार्थक पहल देखने में नजर नहीं आती।