प्रधानमंत्री केयर फंड से मिलता-जुलता एकाउंट खोल साइबर ठगों ने कर ली 52.58 लाख की ठगी

Update: 2020-04-11 12:19 GMT

कोरोना जैसी महामारी को भी भुनाने में पीछे नहीं रहे साइबर ठग, पीएम केयर फंड की एक फर्जी वेबसाइट के जरिए लोगों से महामारी से लड़ने के लिए दान की अपील की और कुछ ही दिनों में ठग लिये 50 लाख से भी ज्यादा...

रांची से राहुल सिंह की रिपोर्ट

जनज्वार। झारखंड के साइबर ठगों की देश-दुनिया में चर्चा होती है। जब पूरी दुनिया कोरोना से मुश्किल लड़ाई लड़ रही है और सभी परस्पर सहयोग कर रहे हैं तो ऐसे मौके को भी यहां के साइबर ठगों ने ठगी का माध्यम बना लिया।

कोरोना महामारी से लड़ने के लिए लोगों से पैसे इकट्ठा करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मार्च को पीएम केयर फंड का निर्माण किया और उसका डिटेल देशवासियों से साझा की। प्रधानमंत्री की इस पहले के साथ-साथ झारखंड के साइबर ठग भी एक्टिव हो गए और उन्होंने पीएम केयर फंड की एक फर्जी वेबसाइट के जरिए लोगों से महामारी से लड़ने के लिए दान की अपील की और कम समय में 200 लोगों से 52.58 लाख रुपये ठग लिए।

र्जी वेबसाइट का नाम डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाॅट पीएम केयर रिलीफ फंड डाॅट काॅम रखा गया था। साइबर ठगों के बैंक खाते पर संदेह होने पर संबंधित बैंक मैनेजरों ने पुलिस के पास इसकी शिकायत की और दो साइबर ठग पकड़े गए, लेकिन इस पूरी ठगी का मास्टरमाइंड अब तक फरार है।

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हला खाता इस साल बड़ी बाजार के पंजाब नेशनल बैंक में 13 जनवरी को मोहम्मद इस्तेखार ने खोला था। फिर इस खाते में पैसे आने लगे तो 31 मार्च को इस्तेखार ने अपने भाई नूर हसन के नाम से दूसरा खाता आनंदा के यूनियन बैंक में खुलवाया।

हला खाता 13 जनवरी को खोले जाने पर पुलिस की तरफ से यह संदेह जताया जा रहा है कि इन साइबर ठगों ने पीएम केयर रिलीफ फंड डाॅट काॅम नाम से पहले से ही वेबसाइट बना रखी होगी और इसका उपयोग दूसरी तरह की ठगी के लिए करते हों, लेकिन जब कोरोना की आफत आयी तो इसके नाम पर ठगी शुरू कर दी और पीएम द्वारा केयर फंड बनाए जाने के तीन दिन के अंदर ही एक और खाता खुलवा लिया।

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कोरोना से लड़ाई के लिए धन संग्रह की अपील करते हुए दोनों खातों से करीब 200 लोगों से 52.58 लाख रुपये की ठगी की गयी। दोनों भाई खाते का लिंक भेजकर लोगों से कोरोना से लड़ाई के लिए दान की अपील करते थे।

न खातों ने जब पैसे आने लगे और उसका तेजी से हस्तांतरण किया जाने लगा तो पीएनबी बड़ी बाजार ब्रांच के मैनेजर सुजीत कुमार सिंह एवं यूनियन बैंक आनंदा ब्रांच के मैनेजर अमित कुमार से हजारीबाग सदर थाने में इसकी शिकायत की।

यूनियन बैंक आनंदा ब्रांच, हजारीबाग के मैनेजर अमित कुमार ने इस संबंध में जनज्वार को बताया कि पुलिस में मामले की शिकायत करने से दो-तीन दिन पहले हमें खाते पर संदेह हुआ। हमने पाया कि इस खाते के जरिए एक वेबसाइट से पीएम केयर फंड के नाम पर पैसों लिए जा रहे हैं और लोग उसमें पैसे डाल भी रहे हैं। उस पर पंजाब नेशनल बैंक का भी एक खाता नंबर देखा, जिसके बाद पीएनबी की संबंधित शाखा के मैनेजर से संपर्क कर बात की। इसके बाद जांच करने पर पता चला कि दोनों बैंक खातों का पता एक ही है, शख्स दो अलग-अलग हैं। ये लोग पीएम केयर फंड के नाम पर लोगों से एप्रोच कर पैसे जुटा रहे थे, फिर हमने पुलिस में शिकायत की और कार्रवाई की गयी।

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स सवाल पर कि क्या बैंक के पास इस तरह के फर्जीवाड़े को पकड़ने का अपना मैकेनिज्म नहीं है, अमित कुमार कहते हैं हमारे पास ऐसा सिस्टम है, तभी हम इस केस को पकड़ पाए और जांच के बाद पुलिस के पास हमने मामले की शिकायत की।

गों ने खाते का नाम पीएम केयर लिखा गया था, जिससे बैंक और पुलिस का संदेह गहराया। मामले की पड़ताल करने के बाद सारा फर्जीवाड़ा समझ में आया और पुलिस ने हजारीबाग मुफस्सिल थाने के लाखे गांव से इफ्तेखार व नूर हसन को गुरुवार 9 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया। दोनों से पुलिस ने पूछताछ की और जेल भेज दिया।

हीं इस मामले में हजारीबाग के एसपी मयूर पटेल ने जनज्वार को बताया कि जिले में साइबर ठगी का यह पहला बड़ा मामला है। हम मामले की पड़ताल कर रहे हैं। पीएम केयर फंड के नाम पर ठगी के मामले में दो की गिरफ्तारी हमने पहले की है, तीसरा परमेश्वर साव नाम का शख्स अभी फरार है और पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है। कोरोना लाॅकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों से भी ठगी किए जाने के सवाल पर एसपी ने कहा कि हम इन सारे मामलों को देखेंगे।

दोनों आरोपियों ने बताया कि पूरे मामले का सरगना मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ही ओरिया गांव निवासी परमेश्वर साव है। पुलिस ने उसके घर पर भी शुक्रवार 10 अप्रैल को छापेमारी की, लेकिन वह फरार हो गया। पुलिस ने उसके घर की आल्टो कार से डेढ़ दर्जन से अधिक बैंक पासबुक, चेक बुक व एटीएम कार्ड जब्त किया है। जो पासबुक पुलिस ने बरामद की हैं, वे हजारीबाग, रांची व रामगढ की बैंक शाखाओं के हैं। पुलिस ने तीनों के खिलाफ साइबर अपराध व धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।

जानकारी के अनुसार, यूनियन बैंक के खाते में कुल 17 लाख 70 हजार 741 रुपये जमा कराए गए थे, जबकि पंजाब नेशनल बैंक के खाते में 34 लाख 87हजार 701.26 रुपये अबतक जमा कराए गए थे।

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गौरतलब है कि इस वाकये से पहले लाॅकडाउन में बाहर फंसे प्रवासी श्रमिकों से पैसे ठगने के मामले भी सामने आ चुके हैं।

बेंगलुरु में लॉकडाउन में फंसे पश्चिम सिंहभूम के मजूदरों को साइबर ठगों ने फोन कर झारखंड सरकार के कोरोना से संबंधित हेल्पलाइन से फोन करने की बात कहते हुए बैंक डिटेल पूछकर खाते से पैसे उड़ा लिए थे। श्रमिक को साइबर ठगों ने कहा था कि झारखंड सरकार के द्वारा उसके बैंक खाते में मदद के लिए 10 हजार रुपये डाले जाने हैं और ऐसा कह कर बैंक डिटेल लेकर 15 हजार रुपये ठग लिये थे। उस समय सिर्फ एक ही मजदूर जयपाल सिंह से इसलिए ठगी हो पायी थी कि बाकी के खाते में पैसे ही नहीं थे।

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झारखंड पुलिस के लिए हजारीबाग में हुई यह घटना चिंता का सबब इसलिए है कि राज्य के संताल परगना के जामताड़ा के करमाटांड प्रखंड से शुरू हुई इस तरह की ठगी जिला और संताल परगना प्रमंडल के बाद राज्य के दूसरे जिलों में पांव पसार रही है। जामताड़ा से सटे गिरिडीह में पहले ही साइबर ठग एक्टिव हो गए हैं और अब गिरिडीह से सटे हजारीबाग जिले में भी साइबर ठग बड़ी वारदात को अंजाम देने लगे हैं। साइबर ठगी का जाल अब हजारीबाग, रामगढ से लेकर रांची तक फैलता हुआ दिख रहा है और कोरोना के दौरान पुलिस के लिए इनसे निपटना एक बड़ी चुनौती होगी।

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