दिल्ली हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को लगाई फटकार, कहा शिक्षकों को नहीं दे सकते पूरा वेतन तो बंद करो स्कूल

Update: 2019-09-07 13:15 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद उन सभी प्राइवेट स्कूलों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें जो नहीं दे रहे हैं अपने शिक्षकों और स्टाफ के अन्य सदस्यों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन और अन्य भत्ते...

जनज्वार। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार 6 सितंबर को दिये अपने एक फैसले में दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि वह ऐसे सभी प्राइवेट स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथ ले ले, जो अध्यापकों और अन्य स्टाफ को 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के मुताबिक सैलरी और भत्ते नहीं दे रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद दिल्ली के उन सभी प्राइवेट स्कूलों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं अपने टीचर्स और स्टाफ के अन्य सदस्यों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन और अन्य भत्ते नहीं दे रहे हैं।

स्टिस सुरेश कैत ने सुनवाई के दौरान कहा दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशक को 7वें वेतन आयोग के अनुसार अध्यापकों को सेलरी न देने वाले निजी स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथ लेने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों द्वारा टीचर्स और स्टाफ को 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार सैलरी और भत्ते नहीं दिए जाने पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि टीचर्स को उचित वेतन देने के लिए पैसा नहीं है तो स्कूल प्रबंधन अपने स्कूल को बंद क्यों नहीं कर देते, ताकि इसका संचालन सरकार करे। हाईकोर्ट ने कहा स्कूलों को सही तरीके से चलाने के लिए सरकार के पास पैसा भी है और सरकार स्कूलों की स्थिति भी बेहतर हो रही है।

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को संस्कृति स्कूल का ऑडिट पूरा करने और 7वें वेतन आयोग के अनुसार उसके स्टाफ और टीचरों को सैलरी दिलाने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने संस्कृति स्कूल के आदेश का उल्लंघन करने पर दिल्ली सरकार को स्कूल का अधिग्रहण करने की भी छूट दी है।

गौरतलब है निजी स्कूलों पर लगाम कसने वाला यह आदेश हाईकोर्ट ने संस्कृति स्कूल के शिक्षकों की ओर से 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन व भत्ता की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान शिक्षा निदेशक बिनय भूषण भी हाईकोर्ट में मौजूद रहे। इस मामले में पहले सरकार की तरफ से वकील संतोष त्रिपाठी ने हाईकोर्ट में शिक्षा निदेशक को जारी आदेश की प्रति पेश की थी। इसमें शिक्षा निदेशक से उन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है, जो शिक्षकों व कर्मचारियों को 7वें वेतनमान नहीं दे रहे हैं।

गौरतलब है कि धारा 24 के तहत शिक्षा निदेशक के पास निजी स्कूलों की जांच-पड़ताल करने, उनकी मान्यता समाप्त करने और स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का अधिकार है।

स मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशक को यह बताने के लिए कहा था कि जो स्कूल 7वें वेतन आयोग को लागू नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

जानकारी के मुताबिक संस्कृति स्कूल की शिक्षक मीता चक्रवर्ती समेत 220 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर 7वें आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन और भत्ता दिलाने की मांग की थी। याचिका में वर्ष 2016 से ही बकाया दिलाने और 18 फीसदी के हिसाब से ब्याज की मांग की गई थी। साथ भी यह भी कहा कि शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों को सिफारिश के अनुसार वेतन का आदेश दिया था, लेकिन संस्कृति स्कूल ने इसे लागू नहीं किया है।

हीं स्कूल प्रबंधन ने कोर्ट में 2016 से ही लगातार वित्तीय संकट होने का हवाला दिया था और कहा था कि इसकी वजह से स्कूल को मार्च, 2020 तक 7 करोड़ 68 लाख रुपये घाटा हुआ है।

हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशालय को संस्कृति स्कूल के बही-खातों की वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 की जांच करने का आदेश भी जारी यिका है। यह जांच हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त चार्टेड एकाउंटेंट द्वारा की जायेगी। कोर्ट ने कहा कि स्कूल के 2017-18 तक के बही खाते की जांच हो गई है, इसलिए संस्कृति स्कूल तत्काल शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन और अन्य भत्ते 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत तत्काल दे।

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