JNU Live : संसद मार्च कर रहे प्रदर्शनकारी जेएनयू छात्रों को पुलिस ने हिंसक तरीके से रोका, भाजीं लाठियां

Update: 2019-11-18 13:22 GMT

दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने फीस में भारी बढ़ोत्तरी के खिलाफ आज 18 अक्टूबर को सराय मार्ग से संसद भवन तक बड़ा प्रदर्शन किया। इस दौरान भारी संख्या में मौजूद पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। जानकारी के मुताबिक पचास से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया...

जनज्वार। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने फीस वृद्धि के फैसले के खिलाफ सोमवार 18 अक्टूबर को संसद मार्ग पर मार्च निकालकर प्रदर्शन किया। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था। जेएनयू की छात्र-छात्राएं विवेकानंद मार्ग और फिर सरोजनी नगर होते हुए लीला होटल तक पहुंचे। छात्र-छात्राएं संसद की ओर बढ़ रहे थे तभी पुलिस लाठीचार्ज कर हिरासत में ले लिया।

छात्राओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस ने धारा 144 लागू कर दी थी लेकिन फिर भी आक्रोशित छात्र-छात्राएं संसद तक पहुंच गए और फीस बढोतरी के खिलाफ नारे लगाने लगे। छात्राओं की आवाज को दबाने के लिये पुलिस ने लाठीचार्ज किया और उन पर पानी की बौछार भी की। लेकिन छात्र-छात्राओं ने फिर भी पुलिस बल के आगे अपनी आवाज को दबने नहीं दिया। प्रर्दशनकारी छात्र-छात्राओं को घसीटकर पीटा गया। इसमें कई छात्र-छात्राओं को चोटें भी आईं हैं।

स दौरान जेएनयू की छात्र संघ नेता आइसी घोष के साथ भी पुलिस ने मारपीट की। उनका कहना है कि मुझे पीटते वक्त कानून का ख्याल नहीं रखा गया। पूरी मीडिया के सामने मेरा कुर्ता पकड़कर जमीन पर पटक दिया। एक महिला को पुरूष पुलिसकर्मी पीट रहे हैं। क्या ये कानून का उल्लघन नहीं है?

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जेएनयू में एमए द्वितीय वर्ष के छात्र हर्ष आर्यन ने 'जनज्वार' को बताया कि दिल्ली पुलिस छात्रों के साथ नहीं है और प्रशासन तो शुरु से ही हमारे साथ नहीं है। गरीब छात्र प्रति महीने आठ से दस हजार नहीं दे सकता है। मेरे घर की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं है कि मैं आठ-दस हजार रुपए देकर दिल्ली में रह सकूं। इसलिए पंद्रह दिन से हम प्रदर्शन कर रहे हैं कि वीसी आकर हमसे बात करें। लेकिन वीसी साहब ईमेल और वीडियो जारी करते हैं। लेकिन सामने से आकर वह कभी बात नहीं करते हैं।

जेएनयू के शोधार्थी छात्र पंकज ने कहा कि जेएनयू के छात्र हमेशा शांति से प्रदर्शन करते हैं। हमारे वीसी हमसे बात नहीं कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस के सहारे हमारी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। यह जेएनयू की आवाज है किसी के सामने दबने वाली नहीं है। यहां दलित शोषित वंचित सबके बच्चे पढ़ते हैं। हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। इस सरकार की वजह से हम अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ सकते। यह अमीरों की सरकार है। शिक्षा और स्वास्थ्य का बजट कम कर रहा है। गरीब-दलित का बेटा कहां पड़ेगा। इन लोगों को तकलीफ होती है कि दस रुपए में रहते हैं लेकिन जिसके घर में सौ रुपए प्रतिदिन की आमदनी होती है उसके लिए दस रुपए भी काफी होती है।

जेएनयू की एक प्रदर्शनकारी छात्रा ने बताया कि मुझे घसीटकर ले जाया गया। मैं जब मीडिया से संपर्क कर रही थी तब पुलिसवालों में मेरे सिर पर मुक्के मारे। एक दूसरे प्रदर्शनकारी छात्र ने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि जो भी अभी तक तीन हजार रुपए थी उसे उतना ही रहने दिया जाए। आठ-नौ हजार हर महीने गरीब का बेटा नहीं दे पाएगा।

ल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राए उस हॉस्टल मैनुअल के खिलाफ बीते तीन सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं जिसमें छात्रावास का सेवा शुल्क बढ़ाने, ड्रेस कोड तय करने और छात्रावास में आने-जाने का समय तय करने की बात की गई है।

हीं प्रर्दशन को बढ़ता देख मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने सोमवार 18 नवंबर को तीन सदस्यीय एक समिति गठित की जो जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की सामान्य कार्यप्रणाली बहाल करने के तरीकों पर सुझाव देगी। इस समिति के सदस्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर वीएस चौहान, एआईसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्त्रबुद्धे और यूजीसी के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन हैं।

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धिकारियों ने कहा कि जेएनयू पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय की समिति छात्रों एवं प्रशासन से बातचीत करेगी और सभी समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव देगी। इस बीच जेएनयू के कुलपति जगदीश कुमार ने विरोध कर रहे छात्रों से बीते रविवार 17 अक्टूबर को अपील की कि वे अपनी कक्षाओं में लौट आएं क्योंकि परीक्षाएं नजदीक हैं।

विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जारी एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा कि उन्हें चिंतित अभिभावकों और छात्रों के ई-मेल आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम अभी भी हड़ताल पर अड़े रहे तो इससे हजारों छात्रों के भविष्य पर असर होगा। कल से एक नया हफ्ता शुरू होगा और मैं छात्रों से अनुरोध करता हूं कि आप कक्षाओं में वापस आइए और अपने शोध कार्यों को आगे बढ़ाइए। 12 दिसंबर से सेमेस्टर परीक्षाएं शुरू होंगी और अगर आप कक्षाओं में नहीं जाएंगे तो इससे आपके भविष्य के लक्ष्य प्रभावित होंगे।

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