दिल्ली विश्वविद्यालय ने जारी किया नोटिस, आंदोलन करने से पहले लेनी होगी अनुमति

Update: 2019-12-31 11:45 GMT

दिल्ली विश्वविद्यालय ने जारी किया नोटिस, धरना, प्रदर्शन, आंदोलन करने से पहले छात्रों को लेनी होगी अनुमति, नोटिस के मुताबिक देनी होगी पूरी जानकारी...

जनज्वार। नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में देशभर में जारी प्रदर्शनों के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय ने नया फरमान जारी किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस के कला संकाय की ओर नोटिस जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि कला संकाय के बाहर या आसपास कोई भी विरोध प्रदर्शन या आंदोलन करने के लिए जमा होने से पहले उसे अग्रिम सूचना देनी होगी और अनुमति लेनी होगी।

स संबध में प्रॉक्टर नीता सहगल द्वारा 27 दिसंबर को एक नोटिस जारी किया गया। नोटिस के मुताबिक, 'आयोजक को कार्यक्रम की जानकारी, वक्ताओं की सूची, प्रतिभागियों की अपेक्षित संख्या जैसी अन्य जानकारियां देनी होगी। दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय में सीएए और एनपीआर के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन के दो दिन बाद यह नोटिस जारी किया गया जिसमें लेखिका अरुंधति रॉय, अभिनेता जीशान अयूब समेत कई लोगों ने हिस्सा लिया था।'

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प्रॉक्टर ऑफिस से जारी किए गए नोटिस के अनुसार कला संकाय गेट व आसपास के क्षेत्र के बाहर एकत्रित होने, विरोध प्रदर्शन की पूर्व सूचना देना अनिवार्य है। आयोजकों द्वारा चौबीस घंटे पहले प्रॉक्टर कार्यालय को कार्यक्रम की पूरी जानकारी देना अनिवार्य है। नोटिस में आयोजक को प्रॉक्टर कार्यालय को कॉलेज का नाम, कार्यक्रम का उद्देश्य, ईमेल आईडी, फोन नंबर, किस प्रकार का कार्यक्रम है, सभा या विरोध, कार्यक्रम या विरोध की अवधि और वक्ताओं की सूची जैसे विवरण देने के लिए कहा गया है।

Full View में यह भी बताने के लिए कहा गया है कि कार्यक्रम के दौरान किस प्रकार के लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल किया जाएगा और अन्य कौन से उपकरणों के इस्तेमाल की संभावना है। दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस के कला संकाय के मुख्य द्वार के बाहर आमतौर पर सभाएं और विरोध प्रदर्शन आयोजित किये जाते हैं।

मामले पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजीव कुंवर ने 'जनज्वार' को कहा कि प्रशासन का ये फैसला पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। ऐसा लगता है कि प्रशासन कॉलेज बंद करने का आह्रान करने जा रहा है। परिसर के नजदीक ही निजी बिल्डर को बिल्डिंग बनाने के लिए जमीन दी जा रही है, प्रशासन अपनी जमीन तो बचा नहीं पा रहा है। वहीं आंदोलन करने के लिए छात्रों को रोका जा रहा है। आंदोलन अगर लोकतंत्र में नहीं होगा तो कहां होगा। ये सब विश्वविद्यालयों में ही करवाया जा रहा है जहां पर छात्र पढ़ने आते हैं, लोकतंत्र को समझने आते हैं। छात्र अपने अधिकारों को जानते हैं। विश्वविद्यालय ऐसी जगह है जहां छात्रों को 'ना' कहने के बारे में सिखाया जाता है लेकिन अब तो ना कहने के लिए भी छात्रों को अनुमति लेनी पड़ेगी।'

Full View नोटिस को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र सुमन से कहा, 'ये फैसला लोकतंत्र विरोधी है। आंदोलन करना किसी भी छात्र का अधिकार है। हम लोगों को कॉलेज में संविधान पढ़ाया जाता है लेकिन प्रशासन का ये फैसला संविधान विरोधी है। अगर किसी मुद्दे पर कोई अपने विचार रखता है तो उसे हक है कि वह अपनी बात को रखे। उसको अपनी बात रखने के लिए किसी भी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।'

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हीं एआईएसए की दिल्ली विश्वविद्यालय की इकाई ने डीयू प्रशासन के फैसले पर कहा कि कला संकाय में सभी प्रकार के कार्यक्रमों के बारे में सूचना देने की आवश्यकता देने का जो प्रस्ताव प्रशासन की तरफ से दिया गया है उसे हम पूरी तरह से खारिज करते हैं। प्रतिरोध हमारा अधिकार है और हम इसकी अनुमति नहीं लेंगे। क्या दिल्ली विश्वविद्यालयम में लोकतंत्र के लिए कोई जगह नहीं है? नोटिस में कहा गया है कि कला संकाय में विरोध प्रदर्शन के आयोजकों की अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता है जो 24 घंटे पूर्व सूचना देने की मांग कर रहा है। विरोध नागरिकों और छात्रों का एक संवैधानिक अधिकार है और यह किसी भी तरह की कागजी कार्रवाई से मुक्त होना चाहिए।

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