गरीबों के आशियाने उजाड़ बसेगी मोदी जी की 'स्मार्ट सिटी'

Update: 2017-08-06 13:20 GMT

'स्मार्ट सिटी' बनाने के लिए शासन—प्रशासन के आदेश के तहत इंद्रा नगर बस्ती को तोड़ दिया गया। प्रभावितों को सरकार की तरफ से कोई मुआवज़ा या पुनर्वास तो नहीं दिया गया, मगर हवालात की हवा जरूर खिला दी...

जयपुर से सुमित की रिपोर्ट

जयपुर शहर के झालाना डूंगरी इलाके में इंद्रा-नगर बस्ती में रह रहे करीब 59 परिवारों के 20 साल से भी ज्यादा समय से बसे घरों को 25 जुलाई को जयपुर 'स्मार्ट सिटी' बनाने के लिए शासन—प्रशासन के आदेश के तहत तोड़ दिया गया। प्रभावितों को सरकार की तरफ से कोई मुआवज़ा या पुनर्वास भी नहीं दिया गया।

अचानक आशियाना छिन जाने से लोगों ने सामने मौजूद समुदाय भवन में शरण ली, मगर पुलिस और नगर निगम के साथ ही स्थानीय बजरंग दल के कार्यकर्ताओं और भाजपा पार्षद ने बरसात से बचने के लिए पास में मौजूद सामुदायिक भवन में आश्रय लिए हुए लोगों को बाहर निकाल दिया। अब इनके खिलाफ़ तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं।

मगर घर तोड़ने के बावजूद लोग वहीं डटे रहे और 'बस्ती बचाओ संघर्ष समिति' बना ली। फिर अचानक 1 अगस्त सुबह दोबारा जब बुलडोज़र द्वारा पुलिस और नगर निगम के अधिकारी बस्ती तोड़ने लगे, तो बस्ती के लोगों ने प्रतिरोध किया।

तोड़फोड़ का विरोध कर रहे प्रभावित बस्तीवासियों के साथ पुलिस द्वारा मारपीट की गई और 13 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। इस दौरान बस्ती की जुझारू महिला भगवती देवी को भारी चोट आयी। 7 लोगों पर पुलिस द्वारा भारतीय दंडसंहिता की धारा 143, 332, 336, 353, 447 लगायी गई है।

जिन लोगों पर इन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है उनमें क्रांतिकारी नौजवान सभा (KNS) के कार्यकर्ता शैलेन्द्र और सुरेश भी हैं, जो पिछले 3 साल से इन बस्तियों में बच्चों की पढ़ाई व अन्य सामाजिक कामों के साथ जुड़े हुए हैं और "बस्ती बचाओ संघर्ष समिति" के सक्रिय सदस्य है। बाकि 5 लोगों में से 4 बस्ती के अगुआ साथी जुम्मा, बुद्धि प्रकाश, दशरथ और अबराज हैं, जो प्रतिरोध में सक्रिय रूप से भागीदारी कर रहे थे।

साथ ही दलित शोषण मुक्ति मंच से प्यारेलाल के खिलाफ भी उपरोक्त धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। प्यारेलाल को पकड़ने के बाद पुलिस ने इनके साथ मारपीट भी की। 3 अगस्त को कोर्ट से 7 लोगों का जमानत ख़ारिज कर उनको जयपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। 5 अगस्त को जिला न्यायालय में ज़मानत याचिका पर बहस होनी थी जिसमें सभी आंदोलनकारियों को जयपुर कोर्ट से जमानत मिल गई है।

'विकास' के नाम पर बस्ती तोड़ने का सिलसिला अभी भी जारी है, और संघर्ष भी! अब नजदीक में कुंडा बस्ती में बस्ती तोड़ने के लिए कदम उठाया जा रहा है। मोदी-वसुंधरा का यह विनाश मॉडल है जो पूंजीपतियों के साथ और मेहनतकशों के विभाजन और विनाश में लगी है। खुद को बेघर होते देख बस्ती के लोगों ने प्रतिरोध की आवाज तेज कर दी है।

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