जेल में बंद डीयू के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को मुकुंदन सी ​​मेनन अवार्ड

Update: 2020-01-21 06:07 GMT

प्रोफेसर जीएनजी साईंबाबा को मुकुंदन सी ​​मेनन अवार्ड के लिए चुनने वाले जूरी के सदस्यों ने कहा वह देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासियों और गरीबों की सुरक्षा के लिए कर रहे थे काम और मानव अधिकारों के उल्लंघन को उजागर करने के लिए अपनी कलम का इस्तेमाल....

जनज्वार। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ जीएन साईबाबा को मुकुंदन सी ​​मेनन अवार्ड 2019 से नवाजा गया है। फिलहाल डॉ जीएन साईबाबा आंध्र प्रदेश में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के साथ कथित संबंधों के लिए नागपुर जेल में बंद हैं।

प्रोफेसर जीएनजी साईंबाबा को मुकुंदन सी ​​मेनन अवार्ड के लिए चुनने वाले जूरी के सदस्यों का मानना ​​है कि वह देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासियों और गरीबों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं और मानव अधिकारों के उल्लंघन को उजागर करने के लिए अपनी कलम का इस्तेमाल कर रहे हैं। शारीरिक रूप से अक्षम एक ऐसा इंसान जो बिना सहायता के आगे नहीं बढ़ सकता था, वह शारीरिक अक्षमताओं के बावजूद अपने मिशन से कभी पीछे नहीं हटा।

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क्या है मुकुन्दन सी ​​मेनन अवार्ड

इस अवार्ड में 25000 रुपये नगद, एक पट्टिका और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। यह पुरस्कार एनसीएचआरओ द्वारा हर साल मानव और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रदान की गई सेवाओं के लिए दिया जाता है।

स साल के पुरस्कार निर्णायक मंडल के सदस्यों में डॉ जे देविका (तिरुवनंतपुरम), केपी मुहम्मद शरीफ (मंजरी), प्रो.ए. मार्क्स (चेन्नई), एडवाइसन अब्राहम (मुंबई), एन पी चेक्कुट्टी, (कोझिकोड), ई अबूबकर (कोझीकोड) और रेनी आयुलाइन (तिरुवनंतपुरम) शामिल थे।

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गौरतलब है कि डॉ जीएन साईबाबा शारीरिक रूप से 90% विकलांग हैं। महाराष्ट्रा के गढ़चिरौली कोर्ट ने प्रोफेसर डॉ जीएन साईबाबा को माओवादियों से कथित संबंधों के चलते उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने प्रोफेसर समेत उनके पांच साथियों को नक्सलियों के साथ रिश्ता रखने की जुर्म में ये सजा सुनाई थी। कोर्ट ने इन्हें देश के खिलाफ युद्ध का षड़यंत्र रचने का दोषी माना था।

जीएन साईंबाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के रामलाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे।

विश्व के सबसे प्रसिद्ध मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने प्रोफेसर जीएन साईबाबा की जेल में स्वास्थ्य की गंभीर बिगड़ती हालत पर हस्तक्षेप करते हुए 2018 में गृहमंत्री से अपील जारी की थी कि उन्हें तुरंत मेडिकल केयर दी जाये। हस्ताक्षर अभियान में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मांग रखा थी कि जीएन साईबाबा को आरोपमुक्त कर उन्हें जेल से रिहा किया जाय।

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मनेस्टी इंटरनेशनल ने अपने वेबसाईट पर लिखा कि, ‘जी एन साईबाबा को ‘गैरकानूनी गतिविधि’, ‘आतंकवादी गतिविधि’ और ‘आंतकवादी संगठन का एक सदस्य’ के तौर पर षडयंत्र करने का आरोप है और उन्हें 7 मार्च 2017 को उम्र कैद की सजा सुना दी गई।

ह सजा मुख्यतः प्राथमिक दस्तावेजों और विडियो, जिसे कोर्ट ने साक्ष्य मान लिया, के आधार पर ही उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (माओवादी) का सदस्य करार दे दिया। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि जीएन साईबाबा पर जो आरोप हैं, वे मनगढंत हैं और उनका मुकदमा अंतरराष्ट्रीय अपराध मानकों के मुताबिक नहीं है।

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