4,500 एड हॉक टीचर्स को जबरन गेस्ट टीचर बना रहा दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन, DUTA ने वाइस चांसलर के ऑफिस का किया घेराव

Update: 2019-12-04 13:23 GMT

एड-हॉक टीचर्स की नियुक्ति रोके जाने के फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरा दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन, वीसी ऑफिस का घेराव किया, दिल्ली यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं 4500 ज्यादा एड हॉक टीचर्स...

जनज्वार। एड- हॉक टीचर्स की नियुक्ति रोके जाने के फैसले के खिलाफ दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने आज बुधवार 4 दिसंबर को हड़ताल की। दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रिसिंपल एसोसिएशन ने फैसला किया है कि अब एड-हॉक प्रोफेसरों के स्थान पर गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की जाएगी। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ये रोक लगाने का फैसला 28 अगस्त के एक परिपत्र के आधार पर लिया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि प्रशासन का ये फैसला हम स्वीकार नहीं करेंगे। दिल्ली यूनिवर्सिटी मे 4,500 से ज्यादा टीचर एड-हॉक के तौर पर पढ़ा रहे हैं। इस फैसले के चलते कॉलेजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

रीब चार हजार से ज्यादा एड- हॉक टीचर्स लंबे समय से खुद को स्थायी करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन उनकी मांगों को माना नहीं जा रहा है। इसलिए आज 4 दिसंबर से परीक्षाओं के संचालन में और इनकी उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्याकन में शिक्षक हिस्सा नहीं लेंगे। वहीं डूटा के अन्य सदस्यों ने कहा कि प्रशासन द्वारा 28 अगस्त को जो अतिथि शिक्षकों की भर्ती को लेकर नोटिस जारी किया गया है उसे वापस लिया जाए।

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दिल्ली यूनिवर्सिटी प्राचार्य संघ ने 29 नवंबर को आयोजित अपनी बैठक में एड- हॉक टीचर्स की नियुक्ति और उनके वेतन को बांटने वाले आदेश के विरोध में हड़ताल का फैसला किया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यह फैसला 28 अगस्त को जारी अपने उस परिपत्र के आधार पर किया है जिसमें कहा गया था कि वर्तमान शैक्षिणक सत्र में निकलने वाले रिक्त पदों पर केवल गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की जा सकती है।

मामले को लेकर जनज्वार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राजीव कुंवर ने बताया, 'यूजीसी के नियमों के मुताबिक यूनिवर्सिटी में एड-हॉक से लेकर गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की जाती है लेकिन इस रेगुलेशन में नियुक्ति की प्रक्रिया वह केवल गेस्ट और स्थायी प्रोफेसरों को लेकर बनाई गई है। एड-हॉक टीचर के लिए इसमें किसी प्रकार की नियुक्ति की कोई प्रक्रिया नहीं हैं। इसके अलावा हमारी कुछ मांगे है जो काफी साफ हैं, एक तो ये कि जो एड-हॉक टीचर्स हैं उनको एड हॉक से गेस्ट टीचर्स बनाने जो प्रक्रिया 7वें वेतन आयोग के तहत की जा रही है उसे वापस लिया जाए। साथ ही 28 अगस्त की तारीख के पत्र में केवल गेस्ट और एड हॉक टीचरों की नियुक्ति की बात की गई, इस पत्र को वापस लिया जाए और वापस से एड हॉक टीचरों को नियुक्ति की जाए।

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राजीव आगे बताते है कि पूरे देश में सिर्फ दिल्ली यूनिवर्सिटी मे एड- हॉक टीचर्स की नियुक्ति की जाती है। यूनिवर्सिटी में 6वें वेतन आयोग के तहत एसीईसी के जरिए जो रेगुलेशन पास किया गया, उसके मुताबिक एड– हॉक टीचर्स की नियुक्ति की जाती है लेकिन 30 जून को 7वें वेतन आयोग के तहत एड- हॉक टीचरों को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नौकरी लगाने का प्रवाधान कर दिया गया। इसके तहत 6वे वेतन आयोग से जो एड- हॉक टीचर नियुक्त थे उनकी नियुक्ति को चार महीने के लिए और बढ़ा दिया गया लेकिन उसके बाद जितने भी एड हॉक की नई भर्ती हुई उनको एड हॉक ना रखते हुए गेस्ट टीचर के तौर पर रखा गया।

राजीव आगे कहते हैं, 'हमारी दूसरी मांग प्रमोशन को लेकर है, दरअसल सरकार की तरफ से सर्विस कंडीशन को लागू किया गया था जिसमें लगभग 4500 प्रोफेसर का प्रमोशन किया जाना था, जिसके बाद जून के महीने में भी वीसी के ऑफिस से भी इन 4500 प्रोफेसर की प्रमोशन के लिए पत्र का प्रस्ताव पास कर दिया गया था लेकिन उसके बावजूद अभी तक प्रोमशन का फार्म यूनिवर्सिटी की बेवसाइट में नहीं आ पाया है।

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ह आगे कहते हैं कि हम प्रोफेसर इतने साल से काम कर रहे हैं लेकिन हमारा कोई प्रमोशन नहीं किया गया है। इसके लिए दो साल पहले कमेटी बनाई गई थी लेकिन अबतक कुछ नहीं हो पाया है जिस कारण पूरी प्रक्रिया मे रोक लग गई थी। तो ये कुछ मांगे है जिसको लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन सड़क पर उतर आया है। हम लोगों ने आज वाइस चांसलर के परिसर का भी घेराव किया है।

ता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे एड-हॉक टीचर्स की नौकरी पर लटकी तलवार का मुद्दा इससे पहले संसद में भी पहुंच चुका है। मंगलवार 3 दिसंबर को राज्यसभा के शीतकालीन सत्र में आरजेडी सांसद और प्रोफेसर मनोज झा ने यह मुद्दा सदन में उठाया। प्रो. मनोज झा ने मुद्दे को उठाते हुए कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एडहॉक नियुक्ति पर तलवार लटक रही है। सरकार इसको लेकर जल्द से जल्द कोई फैसला ले।

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