केंद्र की मोदी सरकार में देश की अर्थव्यवस्था इस समय सुस्ती के दौर से गुजर रही है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक जीडीपी ग्रोथ के मामले में भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश से पीछे है। इसका असर अब ऑटो, टेक्सटाइल सेक्टर पर ही नहीं बल्कि आईटी सेक्टर पर भी पड़ने जा रहा है..
देश की शीर्ष आईटी कंपनी इनफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी मोहनदास पई ने संकेत दिए हैं कि इसी तरह मंदी के बादल छाए रहे तो आईटी सेक्टर के चालीस हजार कर्मचारियों को घर बैठना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि जब तक देश की आर्थिक स्थिति ठीक है और कंपनी उन्नति की राह पर है तबतक सबकुछ अच्छा ही चलता है। जब छंटनी होती है तो सबसे ज्यादा असर अधिक वेतन वाले कर्मचारियों पर पड़ता है।
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समाचार एजेंसी पीटीआई से मोहनदास पई ने कहा, ‘‘पश्चिम में यह सभी सेक्टर में होता है। भारत में भी जब कोई सेक्टर मैच्योर होता है तब वहां मध्यम स्तर पर कई कर्मचारी होते हैं जो सैलरी के अनुसार योगदान नहीं दे पाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि जब कंपनियां तेजी से ग्रोथ करती हैं तब दोगुनी उन्नति होती हैं लेकिन जब इसमें सुस्ती आती है, तब मैनेजमेंट को दोबारा इस तरह के कई फैसले लेने पड़ते हैं। सुस्ती के दौर में भारी वेतन ले रहे कर्मचारियों पर मैनेजमेंट की नजर रहती है और वेतन के हिसाब से कर्मचारी काम नहीं करते हैं। तो इन के लिये मुसीबत और बढ़ जाती है।
गौरतलब है कि एक और मंदी के दौर में जहां देश में लाखों लाख लोग बेरोजगार हो रहे हैं या हो चुके हैं, वही दूसरी तरफ सरकारों की ओर से तमाम दावों—वादों में किसी तरह की कमी नहीं आ रही। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी किये गये आंकड़ों की माने तो वित्त वर्ष 2017-18 में बेरोजगारी दर बढ़कर 6.1 फीसदी तक पहुंच गई है। यानी देश में बेरोजगारी की दर बीते 45 वर्षों में सबसे भयावह स्तर पर पहुंच चुकी है।
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में नोटबदी के कारण 50 लाख लोगों की नौकरियां चली गई थीं और तब से लेकर अब तक रोजगार के साधन बहुत कम हुए हैं और अबतक लाखों अन्य लोग नौकरियों से हाथ धो बैठे हैं।
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मोहनदास पई आगे कहते हैं कि यह फैसला कंपनी को हर पांच साल पर लेना पड़ता है। जबतक आप उस कंपनी अनुसार काम नहीं करते हैं, मोटी तनख्वाह का कोई मतलब नहीं हैं...आपको पैसे के अनुसार काम करना होगा।’’ यह पूछे जाने पर कि मझोले स्तर पर कितने कर्मचारियों की छंटनी हो सकती है, इस पर पई ने कहा कि पूरे उद्योग में 30,000 से 40,000 लोगों की छंटनी हो सकती है।’’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नौकरी गंवाने वाले करीब 80 फीसदी कर्मचारियों के लिए रोजगार के अवसर होंगे, बशर्ते वे अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हों।