पहली बार यूपी में नहीं छोड़ी 5 लाख छात्रों ने बोर्ड परीक्षा, 2016 में भी 7.50 लाख नहीं बैठे थे एग्जाम में

Update: 2018-02-09 08:48 GMT

खबर को पूरे देश में यूं प्रचारित किया गया जैसे पिछली सरकारों ने नकल का ठेका ले रखा हो और योगी जी ने जादू की छड़ी से नकल को रोक दिया हो...

लखनऊ, जनज्वार। योगी की भक्ति में लहालोट हुआ मीडिया कैसे फर्जी खबरें प्रसारित करता है, उसका राज एक बार फिर खुल गया है। बड़ी बात ये कि नकल न होने की वजह से यूपी में बोर्ड परीक्षार्थियों ने पहली बार परीक्षा नहीं छोड़ी है, बल्कि हर साल लाखों की संख्या में परीक्षार्थी दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं।

लेकिन मोदी और योगी की भक्ति में रतौंधी की शिकार हुई पेड मीडिया तथ्यों की जांच और सही खबर से कन्नी काटने लगी है और किसी भी कीमत पर सत्ता की जय—जयकार करने को ही पत्रकारिता कह रही है।

उत्तर प्रदेश में 2 दिन पहले दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। इन दो दिनों में 5 लाख से अधिक छात्र इनरोलमेंट के बावजूद दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं हुए हैं। परीक्षार्थियों के इतनी बड़ी संख्या में परीक्षा में शामिल न होने को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में बंपर तरीके से प्रचारित किया जा रहा है कि नकल नहीं होने के कारण इस बार 5 लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी है।

मीडियाकर्मियों की कौवा कान ले गया वाली हालत इसलिए हुई कि यूपी बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि सख्त विजिलेंस और नकल न होने की वजह से इस बार 5 लाख से अधिक परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हुए हैं।

इस खबर को पूरे देश में यूं प्रचारित किया गया जैसे पिछली सरकारों ने नकल का ठेका ले रखा हो और योगी जी ने जादू की छड़ी से नकल को रोक दिया हो। जबकि सच यह है कि पिछले तीन वर्षों के ही आंकड़ों पर बात करें तो करीब—करीब इतने ही छात्रों ने हर साल परीक्षा छोड़ी है।

गौरतलब है कि वर्ष 2016 में 7.50 लाख छात्रों ने, 2015 में 5.15 लाख छात्रों ने और 2017 में 3.39 लाख छात्रों ने दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं छोड़ दी थीं। सरकार के मुताबिक इस बार दसवीं और बारहवीं बोर्ड में कुल 60.61 लाख छात्र शामिल होने थे, जिसमें से 34.04 लाख दसवीं के और 26.56 लाख बारहवीं के छात्र इनरोल हुए थे।

Similar News