आधार कार्ड बना 500 गुमशुदा बच्चों का मसीहा

Update: 2017-11-25 10:41 GMT

अनाथालय में आधार पंजीकरण के दौरान चला पता पहले से दर्ज है इन 500 अनाथ बच्चों का ब्यौरा

जनज्वार। जहां एक तरफ आधार को लेकर हमारे देश में सियासत का बाजार गर्म रहा है, इसके नुकसानों की एक लंबी फेहरिस्त है, वहीं तमाम दलीलों के बीच इसका एक बहुत बड़ा फायदा भी सामने आया है। मात्र कुछ महीनों के दौरान आधार के जरिए 500 लापता मासूम अपने मां—बाप तक पहुंचे हैं।

भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय भूषण पांडे के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में आधार के कारण 500 लापते बच्चे अपने परिजनों के पास पहुंच पाए हैं। आधार इन बच्चों के लिए मसीहा साबित हुआ है। जो काम सालों से पुलिस या फिर अन्य इकाइयां नहीं कर पाई थीं, वह आधार ने कर दिखाया।

अजय भूषण पांडे ने ग्लोबल कांफ्रेंस आॅफ साइबर स्पेस (जीसीसीएस) 2017 में बोलते हुए कहा कि आधार के जरिए तब लापता मासूम अपने परिजनों से मिल पाए जब अनाथाश्रम के बच्चों का आधार पंजीकरण करवाया जा रहा था। पंजीकरण के दौरान यह बात सामने आई कि बायोमेट्रिक पहचान का उनका ब्योरा यूआईडीएआई में पहले से दर्ज है।

बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन 'क्राइ' (चाइल्ड राइट एंड यू) के मुताबिक, 2013—2015 के बीच लापता होने वाले बच्चों की संख्या में 85 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर दिन औसतन 180 बच्चे लापता होते हैं। इसी आंकड़े को सामने रखते हुए अजय भूषण पांडे कहते हैं कि अगर हर बच्चे—बूढ़े को आधार से जोड़ा जाए तो गुमशुदा हुए लोगों की पहचान करनी बहुत आसारी होगी।

आधार का फायदा गिनाते हुए अजय भूषण पांडे कहते हैं कि आधार के चलते तकरीबन 65 हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है, क्योंकि आधार के सरकारी स्कीमों से जुड़ने से दलालों की कमाई बंद हो गई है।

इतना ही नहीं अजय भूषण पांडे आधार को ज्यादा से ज्यादा सरकारी स्कीमों से जोड़ने की दलील देते हुए कहते हैं कि इससे जहां दलाली शून्य हो जाएगी, वहीं हजारों करोड़ रुपए की बचत होने से जनता को ज्यादा से ज्यादा फायदा होगा।

गौरतलब है कि अभी तक लगभग 1.19 अरब लोग आधार से जुड़ चुके हैं। यानी देश भर में तकरीबन 99 फीसदी युवा आबादी आधार से जुड़ी हुई है।

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