स्पाइसजेट कर्मियों को परेशान करने वाली प्रज्ञा ठाकुर पर कोई बात नहीं और कुणाल कामरा पर 6 महीने की पाबंदी
कुणाल कामरा पर देश की 4 बड़ी विमान कंपनियों द्वारा 6 महीने का प्रतिबंध गैरकानूनी है, सबसे पहले विमान का पायलट लिखित में शिकायत करता है, फिर एक इंटरनल इन्क्वायरी कमेटी एक महीने में घटना पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है और इसके बाद प्रतिबंध की समयसीमा तय की जाती है...
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
सरकार के बारे में सबसे सटीक कमेंट अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा ने किया था, उनके अनुसार सरकार को संसद में एक बिल पास कराकर भारत को लोकतंत्र नहीं है, का ऐलान कर देना चाहिए। अब तो हरेक दिन सरकार स्वयं ही साबित कर रही है कि इस देश में लोकतंत्र को मरे हुए भी बहुत समय बीत गया और अब तो इसके मरे शरीर से कीड़े निकल कर चारों तरफ फ़ैलने लगे हैं।
लगता है जैसे देश को कोई सरकार नहीं बल्कि एक गिरोह चला रहा हो – इस गिरोह और इसके तलवे चाटने वालों के लिए अलग नियम हैं और बाकी लोगों के लिए अलग नियम हैं। नया मामला कॉमेडियन कुणाल कामरा को देश की चार एयरलाइन द्वारा अपने विमानों में उड़ने की अनुमति नहीं देने का है।
दो दिन पहले मुंबई से लखनऊ तक की इंडिगो की फ्लाइट में कुणाल कामरा का आमना सामना स्टूडियो में ही खबरें गढ़ने वाले पत्रकार अर्नब गोस्वामी से हो गया। देश के अधिकतर लोगों की तरह कैमरे के सामने अर्नब के तौर तरीके और वक्ताओं के साथ व्यवहार से परेशान कुणाल अर्नब से बात करना चाहते थे, पर अर्नब ने व्यस्तता का बहान किया और उड़ती फ्लाइट में अपने फोन पर व्यस्त होने का नाटक करते रहे।
कुणाल ने कई बार बात करने का अनुरोध किया, पर हरेक बार अर्नब मना करते रहे। अंत में कुणाल अर्नब की सीट तक गए और फिर उनके तकियाकलाम जैसे गद्दार, राष्ट्रवादी और देश जानना चाहता है, इत्यादि उन्हें सुनाने लगे। अर्नब ने फ्लाइट अटेंडेंट को बुलाकर कुणाल को अपनी सीट पर वापस भेजने को कहा और फिर कुणाल वापस आ गए।
अर्नब ने अपनी तरफ से कोई शिकायत नहीं की, पर इंडिगो एयरलाइन ने बिना किसी जांच के ही कुणाल कामरा को अपने विमानों में सफ़र करने से 6 महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया और इसकी प्रति नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी को भेज दी। अपने प्रिय और चहेते पत्रकार अर्नब गोस्वानी, जिसकी सरकार को हमेशा जरूरत रहती है, का नाम देखते ही मंत्री जी ने ना तो घटना के बारे में पता किया और ना ही किसी जांच रिपोर्ट के बारे में।
उन्होंने आनन-फानन में बाकी एयरलाइन्स को निर्देश दिया कि बेचारे और लाडले अर्नब को परेशान करने वाले को प्रतिबंधित कर दिया जाये। निर्देश मिलते ही गो एयर, स्पाइसजेट और एयर इंडिया ने भी कुणाल को प्रतिबंधित कर दिया। केवल विस्तारा एयरलाइन्स ने अब तक कुणाल को प्रतिबंधित नहीं किया है।
हरदीप सिंह पुरी ने इस संबंध में कहा कि आपत्तिजनक व्यवहार जो उकसावे वाला हो और विमान के अंदर अराजकता पैदा करता हो, वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और हवाई यात्रा करने वाले लोगों की जिंदगियों को खतरे में डालने वाला है। पर पुरी साहब का यह बयान केवल कुणाल के सम्बन्ध में है। पिछले वर्ष दिसम्बर में दिल्ली से भोपाल तक का सफ़र स्पाइसजेट से तय करने के दौरान दिल्ली एअरपोर्ट पर विमान में बैठते ही सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने विमान के कर्मचारियों से खूब बहस की और इस बहस के कारण विमान भी देर से उड़ा। पर बीजेपी की सांसद के व्यवहार पर ना तो एयरलाइन को कोई ऐतराज हुआ और न ही पूरी साहब को।
कॉमेडियन कुणाल कामरा मुंबई बेस्ड कॉमेडियन हैं और उनका पॉलिटिकल-कॉमेडी पॉडकास्ट 'स्टैंड अप या कुणाल' काफी पॉपुलर रहा है। कुणाल कामरा ने आठ साल तक विज्ञापन जगत में काम करने के बाद 2013 में स्टैंडअप कॉमेडी की शुरुआत की थी। कुणाल को सोशल मीडिया पर सामाजिक सरोकारों पर अपनी बेबाक राय के लिए पहचाना जाता है और उनकी लोकप्रियता भी कमाल की है।
सारे घटनाक्रम पर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ सिविल एविएशन ने कहा है कि एयरलाइन का प्रतिबन्ध गैरकानूनी है। सबसे पहले विमान का पायलट लिखित में शिकायत करता है, फिर एक इंटरनल इन्क्वायरी कमेटी एक महीने में घटना पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है और इसके बाद प्रतिबन्ध की समयसीमा तय की जाती है।
यदि कोई यात्री किसी को फ्लाइट पर परेशान भी करता है तब भी अधिकतम प्रतिबन्ध 3 महीने का होता है, ना कि 6 महीने के। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ सिविल एविएशन के अनुसार इस मामले में तो कोई शिकायत ही नहीं आयी है, तो इंटरनल कमेटी कैसे बनेगी और फिर सजा कैसे दी जा सकती है। खैर, एयरलाइन ने मंत्री को खुश कर दिया और मंत्री ने गिरोह के नायक प्रधानमंत्री को। अब देश का तथाकथित लोकतंत्र यही है।