हरियाणा रोडवेज कर्मियों की हड़ताल बेअसर करने के लिए यूपी रोडवेज ने भेजी 200 बसें

Update: 2018-10-29 17:41 GMT

हरियाणा भेजे जाने पर यूपी रोडवेज के ड्राइवर—कंडेक्टर ने दी सरकार को गालियां, कहा साजिशन हमारे ही साथियों के आंदोलन को कमजोर करने के लिए बनाया हमें बलि का बकरा...

सुशील मानव की रिपोर्ट

हरियाणा, जनज्वार। नाम न छापने की शर्त पर यूपी रोडवेज के कई कर्मचारियों ने बताया कि यूपी रोडवेज की 200 बसें हरियाणा भेजी गई हैं। यूपी रोडवेज की बसों को लेकर हरियाणा गए कुछ ड्राइवरों ने बताया कि उन्हें ये कहकर हरियाणा भेजा गया है कि हरियाणा की जनता को बहुत परेशानी के गुजरना पड़ रहा है। अतः हरियाणा रोडवेज सेवा की बहाली और जनता की सहायता के लिए हमें वहां अपनी बसें भेजनी पड़ रही हैं।

जब हमने उनसे यह पूछा कि आप लोगों द्वारा 200 बसें लेकर जाने से हरियाणा रोडवेजकर्मियों का हड़ताल कमजोर और बेअसर होगा। आखिर आप लोग अपने ही रोडवेजकर्मी साथियों के आंदोलन को कुचलने में हरियाणा सरकार की मदद क्यों कर रहे हैं? इसके जवाब यूपी रोडवेजकर्मी के कुछ मिस्त्रियों और ड्राइवरों ने सरकार को जो गालियां दीं, हम उसे यहां नहीं लिख पा रहे हैं, पर हां उनके कहने का लब्बोलुआब यही था कि उन लोगों को धोखे में रखकर वहां भेजा गया। ये कहकर कि जनता की परेशानी को दूर करना है, जबकि कई कर्मचारियों का ये भी कहना था कि यूपी रोडवेज की बसों को हरियाणा में भेजना मजदूर वर्ग के संघर्ष को कमजोर करने के लिए ही की गई साजिश थी।

ये हरियाणा और यूपी सरकार की मिलीजुली साजिश है। यूपी रोडवेज के कर्मचारियों ने भी हरियाणा में 720 निजी बसें चलाए जाने की निंदा करते हुए हरियाणा रोडवेज के निजीकरण के खिलाफ़ अपना गुस्सा व्यक्त किया। बता दें कि यूपी रोडवेज में भी निजी बसें अनुबंध पर चलाई जा रही हैं और कई अस्थायी कर्मचारी ठेकेदार के अधीन बेहद कम पैसे पर काम कर रहे हैं।

हमने जब उनसे कहा कि यूपी सरकार द्वारा हरियाणा सरकार की मदद के लिए 200 बसों को भेजने का मतलब है कि यूपी सरकार हरियाणा सरकार की रोडवेज में लागू की जा रही निजीकरण की नीतियों का समर्थन कर रही है। ऐसे में जब दो प्रदेशों की सरकारें निजीकरण की नीति पर एकजुट हैं तो दोनों प्रदेशों के रोडवेजकर्मी रोडवेज के निजीकरण के खिलाफ एक साथ क्यों नहीं आते, इस सवाल पर वहां मौजूद कर्मचारी शर्मिंदा नज़र आए।

हमने यूपी रोडवेज के एक बाबू से पूछा कि क्या आप यूनियन के सदस्य हो कि नहीं। तो वो सिर्फ हां हूं बोले। फिर हमने पूछा कि क्या आपके यूनियन के लोगों का हरियाणा रोडवेज कर्मचारी यूनियन के साथ किसी तरह का संपर्क है कि नहीं तो उनमें से कई ने बताया कि नहीं हमारा वहां के यूनियन से कोई संपर्क नहीं है।

वहीं दिल्ली में डीटीसी के अस्थायी कर्मचारी अपने मांगों को लेकर 22 अक्टूबर से लगातार धरने पर हैं। बता दें कि डीटीसी में करीब 14000 हजार अनुबंधित कर्मचारी हैं। दिल्ली परवहन निगम के अस्थायी कर्मचारियों की मांग है कि जो कर्मचारी ठेकेदारों के माध्यम से विभिन्न विभागों में लगाए गए हैं उन्हें विभाग के स्तर पर लगाया जाए। समान काम समान व्यवस्था लागू करके उन्हें भी नौकरी की सुरक्षा की गारंटी दी जाए। प्राइवेट बसों पर रोक लगाकर निजीकरण को बंद किया जाए।

धरने पर बैठी महिला कर्मचारियों ने करवा चौथ व्रत भी बस डिपो के मुख्यालय पर ही भी मनाया। महिला डीटीसी कर्मचारियों के पति धरने को अपना समर्थन देने डीटीसी मुख्यालय आईपी डिपो पहुंचे। जबकि डीटीसी मुख्यालय में पिछले 6 दिन से चल रहे धरना प्रदर्शन के चलते हरियाणा सरकार की तर्ज पर कल 28 अक्टूबर की रात डीटीसी पर दिल्ली सरकार द्वारा अगले 6 महीने के लिए एस्मा (इसेंशियल सर्विसेस मेंटिनेंस एक्ट) लागू कर दिया।

डीटीसी पर एस्मा लागू होने का अर्थ है कि डीटीसी के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सेवा शर्तों को पूरा करना अनिवार्य है। जबकि डीटीसी पर एस्मा लागू होने के बावजूद डीटीसी कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और जेल जाने को भी तैयार हैं। साथ ही उनमें सरकार के प्रति गहरा रोष है। वहीं डीटीसी कर्मचारियों को दिल्ली की कई मजदूर संगठनों, छात्र संगठनों और अन्य संगठनों ने समर्थन देने की घोषणा की है।

डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के अध्यक्ष संतोष रॉय ने कहा कि दिल्ली की परिवहन व्यवस्था पहले बहुत बेहतर थी पर सरकार और डीटीसी की लापरवाही के चलते डीटीसी खत्म होने की कगार पर है। सरकार जान—बूझकर डीटीसी को घाटे पर चला रही है और नई बसें नहीं लाई जा रही हैं।

वहीं डीटीसी के स्थायी कर्मचारियों ने भी महिला प्रेस क्लब में कांफ्रेंस करके अस्थायी कर्मचारियों के धरने को अपना समर्थन देते हुए वेतन बढ़ोत्तरी और भत्ते की मांग को लेकर दिल्ली सरकार के प्रति नाराजग़ी जाहिर की है।

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