'कोरोना मरीजों की पहचान धार्मिक आधार पर करने से बढ़ सकती हैं लिंचिंग की घटनाएं'

Update: 2020-04-13 12:47 GMT

सपा के पूर्व प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कोरोना रोगियों की पहचान नहीं बताई जानी चाहिए लेकिन योगी सरकार रोगियों की सांप्रदायिक पहचान करने में खासा रुचि रख रही है....

लखनऊ। आधिकारिक एजेंसियों द्वारा कोरोना के मरीजों की पहचान धर्म के आधार पर किए जाने के कारण उत्तर प्रदेश के मुसलमान चिंतित हैं। उन्हें डर है कि कोरोना के रोगियों की धार्मिक पहचान से लॉकडाउन खत्म होने के बाद लिंचिंग (हिंसक भीड़ द्वारा पिटाई) जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं।

मुस्लिम स्कॉलर व समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कोरोना के मरीजों की पहचान धर्म के आधार पर किए जाने को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना की है। गांधी ने आईएएनएस से कहा, डब्ल्यूएचओ और केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कोरोना रोगियों की पहचान नहीं बताई जानी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार रोगियों की सांप्रदायिक तौर पर पहचान करने में खासा रुचि रख रही है।

Full View कहा कि कोरोनोवायरस का संबंध धर्म विशेष से नहीं है और इस महामारी को एक विशेष धर्म से जोड़ने के लिए किए जा रहे प्रयास तुरंत बंद होने चाहिए। न्होंने कहा कि इस बात की प्रबल संभावना है कि लॉकडाउन हटाए जाने के बाद मुस्लिमों पर निशाना साधा जाएगा।

न्होंने कहा, यह ठीक वैसा ही है जैसा कि गोहत्या के मुद्दे पर होता है। एक छोटी सी अफवाह भी देश भर में लोगों को लिंचिंग जैसी घटनाओं के लिए प्रेरित करती है। कोरोना एक महामारी है और हमें इससे उसी तरह से निपटना चाहिए। हमें सांप्रदायिक बनाने के बजाय एक साथ मिलकर वायरस से लड़ना चाहिए।

गांधी ने कहा, हर दिन सरकार के प्रवक्ता कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या बताते हैं और फिर यह बताते हैं कि इनमें से कितने लोग तबलीगी जमात से हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता और एक दिग्गज कांग्रेसी नेता अमीर हैदर ने भी इसी तरह की आशंका व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'हम प्रोटोकॉल की अनदेखी करने और कार्यक्रम आयोजित करने के लिए तबलीगी जमात की कड़ी निंदा करते हैं, लेकिन राज्य सरकार बार-बार धार्मिक आधार पर बातें क्यों कर रही है। शिया और सुन्नी मौलवी बार-बार लोगों से सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करने और सुरक्षात्मक प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कह रहे हैं।'

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न्होंने कहा कि लॉकडाउन हटने के बाद कोरोना के मुद्दे पर सांप्रदायिक वर्गीकरण करने का खतरनाक असर देखने को मिल सकता है। एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने कहा कि लोग पहले ही मुस्लिम कर्मचारियों से होम डिलीवरी लेने पर आपत्ति जताने लगे हैं।

Full View कहा, 'मेरे पड़ोसियों ने एक मुस्लिम लड़के से किराने का सामान लेने से इनकार कर दिया। यह सिर्फ कहानी की शुरुआत है, जिसे दिमागों में डाला जा रहा है। किसी भी खतरानक स्थिति के पैदा होने से पहले ही हमें इसका संज्ञान लेना चाहिए।'

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