श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर ILO ने किया हस्तक्षेप, PM मोदी से कहा-राज्य सरकारों को भेजें स्पष्ट संदेश

Update: 2020-05-25 13:57 GMT

14 मई को कांग्रेस से जुडे इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस और वामपंथ से जुड़े संगठन जैसे ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन, हिंद मजदूर संघ, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस आदि ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन से शिकायत की थी। इन यूनियनों ने कहा था कि सरकारों ने श्रम कानूनों में बदलाव करने से पहले यूनियनों से सलाह मशविरा नहीं किया...

जनज्वार ब्यूरो। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने भारत की राज्य सरकारों की ओर से प्रस्तावित श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। आईएलओ इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष उठाया है और उनसे केंद्र और राज्य सरकारों को एक स्पष्ट संदेश भेजने की अपील की है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की इस महीने की शिकायत के आधार पर हस्तक्षेप किया है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने उत्तर प्रदेश, गुजरात और अन्य दस राज्यों में श्रम कानूनों को अस्थायी रुप से खत्म करने के उस प्रस्तावित अध्यादेश पर भी आपत्ति जताई है जिसमें दैनिक श्रम सीमा 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटने करने और अन्य श्रम कानूनों में बदलाव के लिए आदेश जारी किया गया है।

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इंटरनेशनल लेबर स्टैंडर्ड्स डिपार्टमेंट की फ्रीडम ऑफ एसोसिएशन ब्रांच की आईएलओ प्रमुख करेन कर्टिस ने 22 मई को ट्रेड यूनियनों को लिखे एक पत्र में कहा, 'कृपया मुझे यह विश्वास दिलाने की अनुमति दें कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक (गाय राइडर) ने तुरंत हस्तक्षेप किया है, इन हालिया घटनाओं पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) से केंद्र और राज्य सरकारों को एक स्पष्ट संदेश भेजने की अपील की है। देश अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को बनाए रखे और प्रभावी सामाजिक संवाद में सहभागिता को प्रोत्साहित करें।'

त्र में आगे कहा गया कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों को आपके द्वारा उठाए गए मामलों पर भारतीय अधिकारियों द्वारा की जाने वाली टिप्पणियों के बारे में सूचित रखेगा। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने ट्रेड यूनियनों के द्वारा (श्रम कानूनों और अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को कम करने के लिए कई राज्य सरकारों द्वारा उठाए जा रहे कदमों) की गई शिकायत को स्वीकार किया।

Full View को शिकायत 14 मई को कांग्रेस से जुडे इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस और वामपंथ से जुड़े संगठन जैसे ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन, हिंद मजदूर संघ, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर और अन्य ने की थी। इन यूनियनों ने कहा था कि सरकारों ने श्रम कानूनों में बदलाव करने से पहले यूनियनों से सलाह मशविरा नहीं किया जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के नियमों के तहत जरूरी है।

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बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा भेजे गए सवालों के जवाब में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने बुधवार को बयान जारी कर कहा, भारत के कुछ राज्य कोविद -19 के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से श्रम कानूनों को शिथिल करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। ऐसे संशोधनों को सरकार से जुड़े त्रिपक्षीय परामर्श से मुक्त होना चाहिए, यह श्रमिकों और नियोक्ताओं के संगठन और अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों के अनुरूप होना चाहिए।

नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने रविवार को प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को दिए एक साक्षात्कार में इसकी पुष्टि की और कहा कि सुधारों का मतलब श्रम कानूनों को पूरी तरह समाप्त करना नहीं है। कुमार ने कहा, 'मैंने अभी देखा है कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय राज्यों को यह बताने के लिए अपना रुख मजबूत कर रहा है कि वे श्रम कानूनों को समाप्त नहीं कर सकते हैं क्योंकि भारत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का एक हस्ताक्षरकर्ता है।'

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