युद्ध से प्रभावित महिलाओं की बढ़ती संख्या चिंताजनक, 2023 के युद्धों में मरने वाले 33443 लोगों में 40 फीसदी महिलायें

Update: 2024-10-29 15:59 GMT

महेंद्र पांडेय की टिप्पणी

A new report by UN Women tells that number of women killed in armed conflicts around the world doubled in 2023 as compared with 2022. यूएन वुमन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में युद्धों और गृहयुद्धों में महिलाओं की मृत्यु का प्रतिशत कुल मृत्यु में प्रतिशत दुगुना हो गया है। वर्ष 2023 के दौरान युद्धों और गृहयुद्धों में कुल 33443 मौतें दर्ज की गईं, जिनमें से 40 प्रतिशत संख्या यानी 13377 महिलायें थीं। इसके अतिरिक्त मृतकों में 33 प्रतिशत बच्चे थे। दूसरी तरफ युद्ध क्षेत्रों में महिलाओं पर यौन हिंसा में भी 50 प्रतिशत से अधिक की बृद्धि दर्ज की गई है।

वर्ष 2023 में हथियारों से लैस युद्धों की संख्या 170 थी। एक तरफ तो दुनिया में हथियारों को खरीदने की होड़ लगी है, वैश्विक मिलिटरी खर्च 2.44 खरब डॉलर के रिकार्ड स्तर तक पहुँच चुका है, तो दूसरी तरफ मानवाधिकार, लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण से संबंधित विषयों पर निवेश में लगातार गिरावट आ रही है। दुनिया में अमीर देशों द्वारा दी जाने वाली कुल अंतराष्ट्रीय सहायता राशि में से महज 0.3 प्रतिशत ही महिलाओं के अधिकार से संबंधित कामों पर खर्च होता है। दुनिया में मानवाधिकार के लिए जितना खर्च किया जाता है, उसमें से महज 1 प्रतिशत ही यौन हिंसा के लिए है।

ठीक 24 वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव संख्या 1325 पारित किया था। इसके तहत युद्ध और गृहयुद्ध के दौरान महिलाओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाएगा और युद्ध रोकने या समाप्त करने से संबंधित वार्ताओं में महिलाओं को शामिल किया जाएगा। लगभग सभी देशों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया था, पर इसे मानता कोई नहीं है। वर्ष 2023 में दुनिया की 60 करोड़ आबादी युद्ध की विभीषिका झेल रही थी, जिसमें लगभग आधी महिलायें थीं और 25 प्रतिशत से अधिक बच्चे और किशोर थे। युद्ध की विभीषिका झेल रही आबादी में 50 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी हो गई है।

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तमाम अध्ययन बताते हैं कि शांति वार्ता में जब महिलाओं की संख्या अधिक रहती है तब युद्ध में शामिल गुटों या सेनाओं में शांति अधिक प्रभावी और दीर्घकालीन होती है। पर, लगभग सभी देशों में युद्ध से संबंधित अधिकतर वार्ताकार पुरुष ही नियुक्त किए जाते हैं। वर्ष 2023 में युद्ध समाप्त करने से संबंधित शांति-वार्ताकारों में से महज 9.6 प्रतिशत ही महिलायें थीं। यह सब वैश्विक कानूनों की अवमानना है। येमन में गृह युद्ध के दौरान महिला शांति वार्ताकारों की अधिक संख्या होने के कारण पानी के संसाधनों पर सबकी सुरक्षित पहुँच सुनिश्चित की जा सकी। सूडान के गृह युद्ध में यौन हिंसा के बढ़ते मामलों के बाद महिलाओं द्वारा संचालित काम से काम 40 संगठन खड़े हो गए हैं और शांति वार्ता में शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं।

यूएन वुमन के अनुसार दुनिया में महिलाओं के विरुद्ध एक लड़ाई छेड़ी हुई है, और युद्ध में प्रभावित और मरने वालों में महिलाओं की बड़ी संख्या भी इसी लड़ाई का एक हिस्सा है। दुनियाभर में महिलाओं के मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है। इस दौर के युद्धों में शत्रु देशों या समाज को पूरी तरह से नष्ट करने के तरीके भी बदल गए हैं। सेना, हमला, बमबारी से परे इस दौर के युद्धों में नागरिक सुविधाओं और संपदा को नष्ट करने की होड़ लगी है – अब सबसे पहले स्कूल, अस्पताल के साथ ही पानी के स्त्रोत और ऊर्जा के संसाधनों को नष्ट किया जाता है। यह सब यूक्रेन में रूस ने किया और यही इस्राइल ने गाजा में किया।

यह युद्ध के दौरान यह एक नया नॉर्म बन गया है और अब तो ऐसी हरकतों की भर्त्सना भी नहीं की जाती। इन सबसे सबसे अधिक महिलायें की प्रभावित होती हैं। युद्ध क्षेत्रों में अस्पतालों को बंद करने या हमले करने के कारण महिलाओं, विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को मदद नहीं मिलती – पिछले वर्ष केवल युद्ध क्षेत्रों में प्रतिदिन 500 से अधिक गर्भवती महिलाओं की मौत स्वास्थ्य संबंधी सहायता समय पर नहीं मिलने के कारण हुई।

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वर्ष 2023 में युद्ध के कारण लगभग 12 करोड़ लोगों को विस्थापित होना पड़ा या फिर स्थान बदलना पड़ा। इसमें आधी से अधिक महिलायें और एक-चौथाई से अधिक 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं। दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत आबादी खाद्य सुरक्षा से दूर है, इसमें से आधी आबादी युद्ध वाले इलाकों में है। वर्ष 2023 में कुल 19 देशों में स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों पर सेनाओं द्वारा हमले किए गए और इन हमलों में 2000 से अधिक मौतें दर्ज की गईं। इसी दौरान वैश्विक स्तर पर कुल 6000 हमले शैक्षिक प्रतिष्ठानों पर किए गए।

दुनिया में लगभग 12 करोड़ बच्चे ऐसे हैं जो शिक्षा से दूर हैं, इनमें से 25 प्रतिशत बच्चे युद्ध क्षेत्रों में हैं। वर्ष 2013 से 2023 के बीच युद्ध से संबंधित खबरों की संख्या मीडिया में 6 गुना बढ़ गई, पर 5 प्रतिशत से भी काम खबरें ऐसी थीं जिनमें युद्ध के कारण महिलाओं पर पड़ने वाले प्रभावों को प्रमुखता दी गई है और महज 0.04 प्रतिशत ही खबरे ऐसी थीं जिनमें शांति वार्ता में शामिल महिलाओं के वक्तव्य प्रकाशित किए गए।

संदर्भ:

1. https://www.unwomen.org/en/what-we-do/peace-and-security/facts-and-figures

2. https://www.unwomen.org/en/news-stories/press-release/2024/10/war-on-women-women-killed-in-armed-conflicts-double-in-2023

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