तीन तलाक पर सरकार बना रही कानून, होगी तीन साल की जेल

Update: 2017-12-02 01:20 GMT

इसमें कोई शक नहीं कि त्वरित तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून बनाने से मुस्लिम महिलाएं अधिकार संपन्न होंगी, उनका जीवन स्तर बेहतर होगा...

जनज्वार, दिल्ली। 'एक बार में तीन तलाक' पर आए सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद देश में इस अमानवीय प्रथा के रूकने का सिलसिला थम नहीं रहा है। अदालत के फैसले के बाद भी 66 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें शौहरों या पतियों ने एक बार में त्वरित तलाक दे दिया है, जबकि 2017 में अबतक 177 तीन तलाक के मामलों में मुकदमा दर्ज हो चुका है।

त्वरित तीन तलाक पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग पाने के कारण सरकार इस शीतकालीन सत्र में तीन तलाक को रोकने के लिए कानून बनाने जा रही है। कानून के मसौदे के अनुसार एक बार में तीन तलाक देना अवैध मानते हुए पति को तीन साल की जेल भी हो सकती है।

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इस ड्राफ्ट का नाम 'मुस्लिम विमिन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरेज बिल' होगा। इस बिल को 1 दिसंबर को सभी राज्य सरकारों के फीडबैक के लिए भेज दिया है, जिससे ड्राफ्ट पर उनके विचार भी लिए जा सकें। कैबिनेट के लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार पूरी कोशिश करेगी कि संसद के शीतकालीन सत्र में तीन तलाक पर कानून आ जाए।

इसका मसविदे का ड्राफ्ट मंत्रियों के समूह ने बनाया है जिसके मुखिया गृहमंत्री राजनाथ सिंह थे। ड्राफ्ट समिति के सदस्यों में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त मंत्री अरुण जेटली, कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद शामिल थे।

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शीतकालनी सत्र में तीन तलाक के मुद्दे को रखे जाने से पहले शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में लिखा है कि 'तीन तलाक पर केंद्र सरकार विधेयक लाती है तो यह स्वागतयोग्य कदम होगा। सामना ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगने को मुस्लिम महिलाओं की मुक्ति कहा है। सामना के अनुसार इस प्रथा पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए और इसे अपराध माना जाना चाहिए. वहीं शिवसेना ने कहा है कि शाहबानो की आवाज दबा दी गयी. लेकिन, शायरा बानो के मामले की वजह से अब मुस्लिम महिलाओं की आजादी की शुरुआत होगी.

जानिए कानून बनने से क्या बदलाव आएगा 
सबसे बड़ी बात इंस्टैंट तलाक यानी तत्काल तलाक देने पर तीन साल की सजा होगी और ट्रिपल तलाक लिखित या मेल से, एसएमएस या वॉट्सऐप से अवैध और अमान्य होगा। कानून बनने के बाद पीड़ित मैजिस्ट्रेट के पास जाकर अपने और बच्चों के लिए गुजारा भत्ते की मांग कर सकेंगी। महिला मैजिस्ट्रेट पीड़ित महिलाओं के नाबालिग बच्चों की कस्टडी दे सकती हैं। लेने की भी मांग कर सकती है।

सरकार को क्यों लेना पड़ा कानून बनाने का फैसला 
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त फैसले के बाद सरकार को उम्मीद थी कि इस पर रोक लग जाएगी। लेकिन अदालत के फैसले के बाद 66 मामले सामने आए हैं। सरकार ने कानून बनाने का फैसला इसी के मद्देनजर लिया है, जिसमें सजा देने का अधिकार हो। यह कानून जम्मू—कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा। सबसे ज्यादा त्वरित तीन तलाक की घटनाएं उत्तर प्रदेश से होती हैं।

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