उत्तराखण्ड की महिलाओं ने ब्लैक डे के तौर पर मनाया मानवाधिकार दिवस, बोलीं बलात्कारियों को संरक्षण दे रही मोदी सरकार

Update: 2019-12-10 12:09 GMT

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर मानवाधिकार हनन के बढ़ते मामलों के विरोध में अल्मोड़ा में महिलाओं ने राज्य में सत्तासीन त्रिवेंद्र रावत और केंद्र की मोदी सरकार का फूंका पुतला, कहा बलात्कारियों को संरक्षण दे रही मोदी सरकार...

अल्मोड़ा से विमला

जनज्वार। देशभर में मानवाधिकार हनन के जिस तरह से एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं, उसकी अभिव्यक्ति देशभर में होने लगी है। आज 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर मानवाधिकार हनन के विरोध में अल्मोड़ा में अखिल भारतीय महिला समिति द्वारा राज्य में सत्तासीन त्रिवेंद्र रावत और केंद्र की मोदी सरकार का पुतला फूंका।

मोदी और त्रिवेंद सरकार को मानवाधिकारों के हनन में अव्वल और अपराधियों को संरक्षण देने वाली सरकार ठहराते हुए महिलाओं ने न सिर्फ इनका पुतला दहन किया, बल्कि कहा कि पुलिस एनकाउंटर को जस्टीफाई कर सरकार खुद भी मानवाधिकारों के हनन की तरफ ही बढ़ रही है। महिलाओं ने मांग की किसी भी तरह के अपराध में लिप्त अपराधियों को न्यायिक प्रक्रिया के साथ कड़ी से कड़ी सजा दी जाये, तभी न्यायिक व्यवस्था पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा और सरकार की भी सफलता यही होगी।

मानवाधिकार दिवस को ब्लैक डे के तौर पर मना रहीं महिलाओं में शामिल एडवोकेट भावना जोशी कहती हैं, लगातार महिलाओं के साथ हो रहीं बलात्कार की जघन्य घटनाओं और अन्य तरह के अपराधों का हम लोग सख्त विरोध करते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में 2012 में नृशंस कांड के बाद लगा कि कानूनों में जो परिवर्तन हुआ था उससे महिलाओं को बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से सुरक्षा मिलेगी, मगर यह फाइलों तक ही सिमट कर रह गया है।

Full View डे में शामिल महिलाओं ने कहा, अगर निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा समेत अन्य कानून वाकई में बहुत सख्त कर दिये गये होते तो बीते 15 दिनों में महिलाओं के साथ क्रूरता की हदें पार करने वाली जो घटनायें घटी हैं वो नहीं घटतीं। हैदराबाद में महिला डॉक्टर के गैंगरेप के बाद नृशंस तरीके से जलाकर हत्या हो या उन्नाव में बलात्कार पीड़िता को जलाकर मारना यह सब इसी सरकार में हो रहा है, मगर बावजूद इसके की न्यायिक प्रणाली के जरिये अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दी जाये, हैदराबाद के बलात्कार पीड़ितों को जिस तरह पुलिस ने इनकाउंटर कर मार दिया, उसी तरह की सजा की मांग उठने लगी है। अगर पुलिस ही आन द स्पॉट न्याय कर दे तो फिर इस न्याय तंत्र की जरूरत ही क्या है, फिर तो तुगलकी शासन की वकालत की जानी चाहिए। उन्नाव, हैदराबाद के बाद मुजफ्फरपुर में जो नृशंसता की हदें पार हुई हैं, वह नहीं होता अगर हमारी न्यायिक प्रणाली मजबूत कर दी जाती।

नवादी महिला समिति की केंद्रीय अध्यक्ष एडवोकेट सुनीता पाण्डे ने कहा कि 'बात सिर्फ तेलंगाना, उन्नाव की नहीं है, यह पूरे देश का मामला है। पूरे देश के अन्दर हमारे बच्चे असुरक्षा भाव में जी रहे हैं। सरकारें अपराधियों को संरक्षण दे रही हैं। बलात्कार आरोपी कई मंत्री सलाखों के पीछे हैं, कई सांसद—विधायक रेप के आरोपी संसद की शोभा बढ़ा रहे हैं, मगर सरकारें उनके साथ सख्ती से पेश आने के बजाय उन पर लगातार नरमी बरत रही हैं। होना यह चाहिए था कि संसद में बैठे ऐसे अपराधियों को न्यायिक प्रक्रिया के तहत कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी, यह नहीं हो पा रहा, इसलिए समाज में बैठे बलात्कारियों का हौसला भी बुलंद हो रहा है। देशभर में महिलाओं, बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं तेजी से बढ रही हैं, इसलिए हम मानवाधिकार दिवस को काला दिवस के रुप में मना रहे हैं।

सुनीता पाण्डे ने कहा कि मानवाधिकार दिवस के मौके पर हमारी मांग है कि महिलाओं के उत्पीड़न और यौन शोषण के मामलों पर सख्ती से कार्रवाई हो। उनपर रोक लगाई जाए और हमारी न्यायिक प्रक्रिया के तहत अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। निर्भया कांड के बाद की जस्टिस वर्मा कमेटी की रिपोर्ट उम्दा हैं उनको धरातल पर लाने की सख्त जरूरत है।

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