ITBP के जवानों पर भर्ती के लिए आये युवक की हत्या का आरोप, न्याय के लिए परिवार बैठा धरने पर
मृतक सूरज के परिवार और मित्रों का कहना है उसने तय समय से पहले दौड़ पूरी कर ली और वह दौड़ पूरी करने के बाद मिलने वाला टोकन लेने पहुंचा, टोकन ना दिए जाने पर उसे हैरानी हुई और उसने सवाल किया तो जवाब में उसे मिली लाठी-डंडों और बूटों की मार और उसके बाद कर दी गई हत्या...
हल्द्वानी से संजय रावत की रिपोर्ट
सेना और सुरक्षा बलों के शौर्य के किस्सों से नौनिहाल अभिभूत भी रहते हैं और प्रेरणा लेकर सकारात्मक गतिविधियों में हिस्सा लेने को आतुर भी। यदि सुरक्षा बल ही नौनिहलों की नृशंस हत्या करने लगें तो भारत के भविष्य का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। ऐसी ही एक घटना उत्तराखंड में घटी है, जिसकी घुटन ने उत्तराखंड वासियों को सुरक्षा बलों के बारे में दोबारा सोचने को मजबूर किया है।
सूरज सक्सेना नाम का एक नौजवान जिला उधमसिंह नगर के नानकमत्ता से ITBP (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) में भर्ती होने को आयोजित दौड़ में हिस्सा लेने जिला नैनीताल के लालकुंआ क्षेत्र में आया। 16 अगस्त को आयोजित हुई भर्ती में वो तय समय से पहले ही दौड़ पूरी कर लेता है, और उसे नौकरी के बदले इनाम में मिलती है मौत। मौत भी ऐसी भयावह कि देखने वालों का कलेजा मुँह को आ जाए। ये मौत उसे बेहतर धावक के लिए ईनाम स्वरूप दी जाती है या भर्ती में होने वाली धंधलियों के लिए यह तो उसकी मौत से पर्दा उठाने के बाद ही साफ हो पाएगा, पर अभी दोनों जिलों की जनता में मामले को लेकर बहुत तनाव है।
मामला ठीक से समझा जा सके, इसके लिए जरूरी है कि ITBP की संरचना पर एक सरसरी नजर डाल ली जाए। 1962 में अस्तित्व में आया ये बल तिब्बत-चीन सीमा काराकोरम दर्रा से लिपुलेख दर्रा और भारत-नेपाल-चीन त्रिसंगम तक हजारों किलोमीटर लंबाई पर फैली सीमा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इसके उद्देश्य में शौर्य-दृढ़ता-कर्म निष्ठा का मंत्र अंकित है और नागरिक कार्यक्रम में लोगों का दिल-दिमाग जीतने के लिए स्थानीय जनता के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना है। इस नजरिए से अब मामले को देखें तो सूरज की मौत के जिम्मेदार हल्दूचौड़ (लालकुआं) की पूरी बटालियन/टुकड़ी देशद्रोही साबित होती है।
24 वर्षीय सूरज सक्सेना नानकमत्ता के वार्ड नंबर-7 का रहने वाला एक होनहार एथलीट था, जिसके पिता ओमप्रकाश सक्सेना सड़क किनारे रेहड़ी लगाकर परिवार का पालन पोषण करते हैं। तीन भाई-बहनों में सूरज सबसे छोटा था। 15 अगस्त को सूरज अपनी बहन सपना से राखी बंधाकर ITBP द्वारा 16 अगस्त को आयोजित दौड़ में हिस्सा लेने निकल गया, जिनके बाद वो फिर कभी घर नहीं लौटा।
सूरज के पिता ओमप्रकाश सक्सेना कहते हैं, '16 अगस्त को आयोजित भर्ती की रेस में हिस्सा लेने सूरज गया हुआ था, उसे शाम को वापस लौटना था, मगर वह नहीं आया। शाम को उसके दोस्त ने बताया कि सूरज ITBP के पास किसी काम से गया हुआ है, सुबह लौटेगा। बेटा तो नहीं लौटा, ITBP वालों ने उसके कपड़े-बैग किसी और के हाथ घर भिजवा दिये, यह कहते हुए कि वह जंगल की तरफ भाग गया है। बाद में बुरी तरह सड़ी हुई मेरे बेटे की लाश जंगल में बरामद दिखायी गयी, जो सीधे-सीधे हत्या है।'
बेहोशी की हालत में उसे कहीं छुपा दिया गया और मृत हो जाने पर उसे जंगल में फेंक दिया गया। ITBP वाले सबको उसकी खोज को दौड़ाते रहे और फिर खुद ही बताते हैं कि एक शव जंगल में मिला है, देख लो वो कहीं सूरज तो नहीं।
सूरज की मां कहती हैं, इन लोगों ने मेरे बेटे को बुरी तरह मारकर मौत के घाट उतार दिया। उसकी शक्ल तक देखने लायक नहीं बची थी। मेरे बेटे का शरीर सड़ा दिया इन हत्यारों ने। रोते-रोते वह कहती हैं कि मेरा बेटा तो वापस नहीं आयेगा, मगर उसके हत्यारों को फांसी से कम की सजा नहीं होनी चाहिए।
ये सब उसके बाद की दास्तां है, जब 16 अगस्त को ITBP वाले सूरज के घर वालों/मित्रों से कह रहे थे कि उसके कपड़े और जूते ले जाओ, वो तो जंगल की तरफ भाग गया है। 18 अगस्त को सूरज का शव मिला और फिर हुई जिला प्रशासन का चरित्र उजागर कर देने वाली कार्यवाहियां।
सूरज के परिजन कहते हैं, पहले तो रिपोर्ट ही दर्ज करने के लिए हमें भारी मशक्कत करनी पड़ी, भारी जन दबाव में रिपोर्ट दर्ज हुई तो हमारे बच्चे का शव पुलिस प्रशासन ने हमें सौंपने के बजाय उसे सीधे नानकमत्ता के घाट पर ले गए, जहां पुलिस प्रशासन ने पहले से ही चिता तैयार कर रखी थी। बड़ी मुश्तैदी दिखा पुलिस ने सूरज की अंत्येष्टि करवा दी, ताकि उसका मृत शरीर किसी साक्ष्य का आधार न बन सके। अभी तक सूरज के घरवालों को उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी नहीं दी गयी है।
सूरज सक्सेना की संदिग्ध हालातों में हुई मौत पर नगर पंचायत अध्यक्ष प्रेम सिंह टुरना कहते हैं, 'हमारी जानकारी में जो बात सामने आयी है उससे यही पता चला है कि सूरज की आईटीबीपी जवानों ने मार-मारकर हत्या की है। घटनास्थल पर मैं भी गया था, सूरज की लाश को देखकर महसूस किया जा सकता है कि उसे कितनी दर्दनाक मौत दी है इन लोगों ने, उसकी लाश देखे जाने लायक तक नहीं थी। मारने के कारण उसके हाथ-पैर सूजे हुए थे, पूरी बॉडी काली पड़ गयी थी।'
(संजय रावत के साथ लालकुआं से पत्रकार अजय जनेजा की रिपोर्ट)