पसंदीदा गानों की सूची में अधिकतर गाने दुख भरे-नेगेटिव इमोशन से मिलती है मानसिक खुशी : अध्ययन में खुलासा
दुखद गाने के शब्दों से आप कहीं ना कहीं अपनी पुरानी बातें या घटनाएं याद करते हैं, इसलिए गाने पसंद आते हैं, अपनी कहानी बताते लगते हैं...
महेंद्र पांडेय की टिप्पणी
Have you ever thought that listening to sad songs is not sad but a pleasurable experience – it is a paradox and scientists are working to find an answer. दुख भरे गाने हमें सुकून देते हैं, शांति देते हैं – जाहिर है पसंदीदा गानों की हमारी सूची में अधिकतर गाने दुख वाले ही होते हैं। यह एक सामान्य नहीं, बल्कि विरोधाभास की स्थिति है जब दुख या नेगटिव इमोशन मानसिक खुशी देता है। जाहिर है, पिछले अनेक वर्षों से वैज्ञानिक इसका कारण खोजने में व्यस्त हैं। हाल में ही यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के वैज्ञानिकों ने इस प्रभाव से संबंधित एक शोधपत्र को प्लॉस वन नामक जर्नल में प्रकाशित किया है।
इस अध्ययन के अनुसार गानों में दुख के भाव खत्म कर दिए जाने पर श्रोताओं को अपने पसंदीदा गाने भी कम पसंद आने लगते हैं। इस अध्ययन के लिए संगीत का अध्ययन कर रहे प्रतिभागियों का चयन किया गया, और उन्हें अपने पसंद का एक गाना चुनने को कहा गया। लगभग सभी प्रतिभागियों के सबसे पसंदीदा गानों में दुख, जुदाई, प्यार में हार, इंतजार जैसे भाव थे। इन सभी प्रातिभागियों के अनुसार उन्हें मालूम है कि उनकी पसंद दुख वाले गाने हैं पर इसे सुनकर उन्हें मजा आता है, मानसिक शांति मिलती है। इसके बाद इन प्रतिभागियों से कहा गया कि वे कल्पना करें कि यदि उनके पसंदीदा गाने से दुख का भाव हटा दिया गया है, फिर उन्हें यही गाना कितना आनंद देगा? लगभग सभी प्रतिभागियों ने बताया कि ऐसा करने पर उन्हें यही गाना पसंद नहीं आएगा।
अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों के दावों को परखने के लिए आर्टफिशल इन्टेलिजन्स की मदद से गानों से दुख के भाव को हटाकर वही गाना प्रतिभागियों को सुनाया गया – बिल्कुल वही गाना, सुर, लय, धुन, आवाज – बस दुख का एहसास नहीं था। इसके बाद 82 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि उनके सबसे पसंदीदा गाना अब पहले जैसा पसंद नहीं रहा, यानि दुख के भाव को हटाते ही गाने से जितना सुकुन मिलता था उसमें कमी आ गई। वैज्ञानिकों के अनुसार यह सीधा सबूत है कि कम से कम संगीत में दुख आपको सीधा आनंद देता है। यह एक पहेली जैसा है कि नेगटिव भाव मानसिक सुकून देते हैं।
इससे पहले इस विषय पर जितने भी अध्ययन किए गए हैं उनके अनुसार दुखद संगीत और सुखद अनुभूति का संबंध अप्रत्यक्ष तौर पर गानों के बोलों से जुड़ाव बताया गया है। दुखद गाने के शब्दों से आप कहीं ना कहीं अपनी पुरानी बातें या घटनाएं याद करते हैं, इसलिए गाने पसंद आते हैं, अपनी कहानी बताते लगते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में कहा है कि यह पहला अध्ययन है जिसमें दर्द भरे संगीत और मानसिक सुकून और सुखद अनुभूति से सीधा संबंध स्थापित किया गया है। इसका कारण इस अध्ययन का पहले के अध्ययनों से कुछ मामलों में अलग होना भी है। यह पहला अध्ययन है जिसमें संगीत या गानों का चयन अध्ययन करने वालों ने नहीं बल्कि प्रतिभागियों ने स्वयं किया था।
इस चयन के लिए कोई दिशा-निर्देश भी वैज्ञानिकों ने नहीं दिए थे। दूसरा सबसे बाद अंतर आर्टफिशल इन्टेलिजन्स की मदद से संगीत से दुख का भाव अलग कर प्रतिभागियों को फिर से उनका पसंदीदा संगीत सुनाना था। इस अध्ययन से पहले प्रतिभागियों को किस विषय पर अध्ययन किया जा रहा है, उसकी भी जानकारी नहीं दी गई थी। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि इस पहेली का कारण जानने के लिए आगे विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है।
संदर्भ:
Liking music with and without sadness: Testing the direct effect hypothesis of pleasurable negative emotion - https://doi.org/10.1371/journal.pone.0299115