ट्रंप के दौरे के दौरान जिन गरीबों के सामने खड़ी की गयी थी दीवार, अब उजाड़ी जा रही उनकी झुग्गियां

Update: 2020-03-17 15:30 GMT

अहमदाबाद एयरपोर्ट से मोटेरा स्टेडियम तक के इलाके में हर जगह गरीबी छुपाने के लिए या तो दीवारें बनाई गईं या पर्दे लगाकर गरीबी छुपाई गई। पिछले 25 साल से गुजरात में गरीबी खत्म न कर पाने वाली सरकार अब गरीबों को छुपा रही है....

गुजरात से दत्तेश भावसार की ग्राउंड रिपोर्ट

जनज्वार। फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत दौरा किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के गृहराज्य गुजरात के अहमदाबाद में भारत की गरीबी की वास्तविकता छुपाने के लिए कई झुग्गियों के आगे दीवारें खड़ी कर दी गयी थीं। अब उन्हीं झुपाई गयी झुग्गियों में से मोटेरा स्टेडियम के पास बनी झुग्गियों को हटा दिया गया है और अन्य झुग्गियों को भी हटाने का नोटिस थमा दिया गया है।

गौरतलब है कि हमारे देश के कई शहरों में बहुत बड़ा समूह झुग्गियों में रहता है। यह भारत की वास्तविकता है, परंतु विदेशी मेहमानों को यह वास्तविकता ना दिखे इसलिए अहमदाबाद में तीन जगहों पर झुग्गियों के आगे दीवार खड़ी कर दी गयी थी। यानी गरीबी हटाने की जगह गरीबों को ही हटा दिया गया।

दीवार बनाने का कारण था कि अमेरिकी राष्ट्रपति टंप भारत की गरीबी और वास्तविकता से रूबरू न हो पायें। अब इस घटना के 20 दिन बाद उन झुग्गियों में से मोटेरा स्टेडियम के पास बनी झुग्गियों को उजाड़ दिया गया है और उस जगह पर रहने वाले सारे लोगों को वहां से हटा दिया गया। मोटेरा स्टेडियम के पास बनी झोपड़ियों के आगे दीवार इसलिए खड़ी की गयी थी, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप आ रहे थे। विदेशी मेहमान की मेहमाननवाजी का खामियाजा अहमदाबाद के गरीबों को भुगतना पड़ा, मानो ट्रंप उनके लिए आफत बनकर आये।

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मोटेरा स्टेडियम के पास बनी झुग्गियों में रहने वाले देवजी भाई जनज्वार से हुई बातचीत में कहते हैं कि वह पिछले कई वर्षों से इस इलाके में रहते आ रहे हैं। मोटेरा स्टेडियम में ट्रंप के लिए कार्यक्रम आयोजित होने के कारण उनकी झुग्गियों के आगे बड़ी दीवार बना दी गई, ताकि वहां से निकलने वाले मेहमानों को हमारी बस्ती ना दिखे। ट्रंप के कार्यक्रम से पहले ही हम लोगों को वहां से खदेड़ने की गरज से अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने हमें वहां से हट जाने को कह दिया था। लेकिन चूंकि उस समय मीडिया में दीवार बनने का मामला गरमाया हुआ था, इसलिए हम लोगों को जिनकी संख्या 300 से 400 के बीच होगी, वहां रहने दिया गया। अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यक्रम के बाद हम लोगों को वहां से हटा दिया गया है।

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मोटेरा स्टेडियम के पास बनी झुग्गियों में रहने वाले देवजी भाई ने जनज्वार को बतायी उजाड़े जाने की तकलीफ

देवजी भाई जैसे करीब 75 परिवार ऐसे हैं जो कि अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गये हैं, क्योंकि उन्हें उनके ठिये से बेघर कर दिया गया है। इस बारे में अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

हालांकि म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के जिम्मेदार अधिकारी यह बताने से नहीं चूकते कि जिन 75 परिवारों की झुग्गियों को खाली कराया गया है उन्हें मोटेरा स्टेडियम में चल रहे काम के लिए वहां लाया गया था। अब जबकि काम खत्म हो गया है तो इसलिए उनको वहां से हटाया गया है।

गर इसके उलट मोटेरा के झुग्गीवासी देवजी भाई बताते हैं कि वह झुग्गी वाले इलाके में बहुत पहले से रहते थे। हालांकि उनके घर के नजदीक ही काम मिलने के कारण वह लोग भी मोटेरा स्टेडियम में दिहाड़ी मजदूरी पर हर रोज काम पर जाते थे। देवजी भाई की तरह कई अन्य लोग भी कहते हैं कि हम पिछले कई सालों से मोटेरा स्टेडियम के पास कच्ची कॉलोनी बनाकर रहते थे, ट्रंप के यहां आने के बाद हमें बेघर कर दिया गया है। हमें तुरंत वहां से इसलिए बेदखल नहीं किया गया, क्योंकि तब मीडिया में मोदी सरकार द्वारा झोपड़ियां छुपाने के लिए दीवार खड़ी करने का मामला गरमाया हुआ था। मगर अब मामला शांत होने के बाद अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने देवजी भाई जैसे दर्जनों परिवारों को मोटेरा स्टेडियम के पास बनी झुग्गियों से बेदखल कर दिया है।

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मोटेरा स्टेडियम के पास बनी झुग्गी बस्ती की तरह ही एक झुग्गी बस्ती अहमदाबाद के इंदिरा ब्रिज के पास बनी है। उस बस्ती को भी डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान बड़ी दीवार बनाकर ढकने का प्रयास किया गया, जबकि यह बस्ती 50 से अधिक सालों से बनी हुई है। इस इलाके में रहने वाले जिलु भाई सराणिय बताते हैं कि उनके पिताजी आदिवासी इलाके से काम के सिलसिले में अहमदाबाद आए और वह अपने पिताजी के साथ इस बस्ती में आए थे। जिलु भाई कहे हैं कि हम तकरीबन पिछले 50 साल से यहां पर रह रहे हैं, परंतु 50 सालों में सरकार ने उनकी कोई सुध नहीं ली।

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स इलाके में पीने के पानी की गंभीर समस्या है। यहां पर अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन कचरा उठाने की व्यवस्था भी नहीं कर रहा है। हालांकि दीवार बनने का उनको आंशिक लाभ है। रास्ते और उनके घरों के बीच दीवार निर्मित होने से बच्चे अकस्मात होने वाली दुर्घटनाओं से बच रहे हैं जिलु भाई की मां की मौत भी इसी रास्ते पर अकस्मात दुर्घटना में हुई थी, इसलिए इस बस्ती के लिए यह दीवार प्रोटक्शन वॉल का काम कर रही है। मगर लोगों की वास्तविकता यानी गरीबी छुपाने से गरीबी दूर नहीं हो जाती।

जिलु भाई पिछले 50 साल से यहां रहते आ रहे हैं, परंतु पिछले दिनों दीवार का विवाद सामने आने के बाद उनकी बस्ती में कई लोगों को यहां से हटने के नोटिस थमा दिए गए हैं। इसकी वजह से उनकी बस्ती में रहने वाले लोगों की नींद हराम हो चुकी है। बस्तीवालों को हर समय डर रहता है कि न जाने कब सरकार उनके घर ढहा देगी। इसी डर से इस कच्ची कॉलोनी में कोई भी सरकार के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं है। यही गुजरात मॉडल है। यहां जो बोलता है, उसको परेशान किया जाता है।

रीबी की वास्तविकता अमेरिका के राष्ट्रपति को न नजर आये, इसलिए दीवार खड़ी कर उसके आगे कई पौधे भी लगाए गए थे। पौधों के कारण बस्ती की जगह अमेरिका के राष्ट्रपति को हरे भरे पेड़ नजर आए और भारत की गरीबी को छुपाया गया।

स मामले में राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, अहमदाबाद एयरपोर्ट से मोटेरा स्टेडियम तक के इलाके में हर जगह गरीबी छुपाने के लिए या तो दीवारें बनाई गईं या पर्दे लगाकर गरीबी छुपाई गई। पिछले 25 साल से गुजरात में गरीबी खत्म न कर पाने वाली सरकार अब गरीबों को छुपा रही है।

श्चर्य की बात तो यह है कि गुजरात मॉडल को देश के सामने रखकर देश की सत्ता पर बैठे लोग अभी भी इस गरीबी का इलाज नहीं ढूंढ पाए हैं। मगर यह छुपाई गयी गरीबी ही गुजरात की वास्तविकता है। मोटेरा विस्तार समेत और भी कई जगहों पर दीवारों पर रंगाई और पुताई की गई है, जिससे डॉनल्ड ट्रंप की आवभगत में कोई कमी ना रह पाए, मगर अब तो इन गरीबों को झुग्गी भी नसीब नहीं हो पायेगी, उन्हें वहां से हटने का नोटिस थमा दिया गया है या तो फिर झुग्गियां खाली कर दी गयी हैं। लोग खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं।

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