सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा #JNU_को_बंद_करो, JNU को ही लेकर सबसे ज्यादा टैक्स का दर्द क्यों?

Update: 2019-11-15 05:41 GMT

कभी JNU shut down, कभी टुकड़े टुकड़े गैंग तो कभी जेएनयू को बंद करो, देशद्रोहियों का अड्डा जैसे ट्वीटर ट्रेंड क्यों करते रहते हैं, जबकि भारत ही नहीं विश्व जानता है कि इस विश्वविद्यालय में देश की प्रतिष्ठा और मेधा दोनों ही भरपूर है...

जनज्वार। किसको चुभता है JNU! किसे दर्द होता है जेएनयू से। किसको समस्या वहां के छात्रों से, वहां के माहौल से और सबसे बड़ी बात बहुत मामूली फीस में बहुत अच्छी पढ़ाई से। कभी जेएनयू को टुकड़े—टुकड़े गैंग कहकर परिभाषित किया जाता है तो कभी जेएनयू को बंद किये जाने की आवाजें उठती हैं, जबकि यह सर्वविदित है कि यह विश्वविद्यालय देश की प्रतिष्ठा और मेधा दोनों से ही भरा हुआ है। यहां से निकले बच्चे विश्व के अलग—अलग कोनों में देश का नाम रौशन कर रहे हैं।

ये वही जनता है जो पूंजीपतियों की टैक्स माफी पर कभी आवाज नहीं उठाती, न इसके खिलाफ कोई प्रदर्शन होते हैं और न प्रदर्शन, मगर जेएनयू से कम फीस में पढ़ रहे गरीब बच्चों की पढ़ाई इन्हें चुभ रही है। यहां से जो बच्चे टॉप पर हैं, उनमें दिहाड़ी मजदूरों, किसानों, रेहड़ी लगाने वाले लोगों के बच्चे भी शामिल हैं। सवाल है कि अगर जेएनयू जैसा सस्ता संस्थान न होता तो क्या ये बच्चे वो मुकाम हासिल कर पाते जहां ये पहुंचे हैं। आज के दौर में इतनी महंगी पढाई आखिर ये गरीब मां—बाप कहां से करवा पाते अपने बच्चों को।

2017 में भारत सरकार के प्रमुख बैंक स्टेट बैंक आफ इंडिया ने जिन 63 पूंजीपतियों की 7 हजार 16 करोड़ रुपए कर्ज के माफ किए हैं, उनकी विधिवत सूची के अनुसार मोदी सरकार ने सबसे ज्यादा कर्ज भगेडू और भ्रष्ट पूंजीपति विजय माल्या का माफ किया। स्टेट बैंक ने जिन पूंजीपतियों के कर्ज माफ किए, उनकी कुल संख्या 100 थी, पर 63 की माफी कुल कर्ज का 80 प्रतिशत रही। आखिर तब कहां से थे सोशल मीडिया पर हल्ला मचाने वाले लोग, तब क्यों नहीं दिखा अपना टैक्स।

स बार के बजट में भी पूंजीपतियों के लिए मोदी सरकार ने भरपूर दिल खोला है, तमाम पूंजीपतियों के हजारों हजार करोड़ रुपये माफ कर दिये जाते हैं, मगर तब सोशल मीडिया पर इस तरह का कोई हैशटैग ट्रेंड नहीं करता और न ही किसी तरह का कोई आंदोलन खड़ा होता, यूं कहें कि विरोध में एक आवाज तक नहीं उठती।

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फीस वृद्धि के विरोध को लेकर हुए व्यापक आंदोलन और उसे मिले देशभर से समर्थन के बाद एक बार फिर जेएनयू खबरों में है। ट्वीटर पर आज #JNU_को_बंद_करो टॉप पर ट्रेंड कर रहा है। लोग तरह—तरह की अभद्र टिप्पणियां कर रहे हैं, जैसे जेएनयू में पढ़ने वाले बच्चे इंसान नहीं आतंकी और कुत्ते हों।

ब फीस वृद्धि के खिलाफ इतना व्यापक आंदोलन चल रहा था तो कुछ शरारती तत्वों ने जेएनयू कैंपस में स्थित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया। हालांकि इसका पता नहीं चला कि मूर्ति को खंडित किसने किया, मगर ट्वीटर पर लोग सीधे सीधे आंदोलनकारी छात्रों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

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योगेशिखा गुप्ता ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया है, 'क्यों हम इन बदमाशों के लिए कर का भुगतान करेंगे, जो शिक्षित हैं मगर ऐसा लगता है कि वे कुत्तों की तरह भौंक रहे हैं। #JNU_ को_बंद_करो।'

किताबी कीड़ा ने ट्वीट किया है, 'जेएनयू_ को_बंद_करो, यह विश्वविद्यालय या राष्ट्र विरोधी शिविर है।'

Full View कुमार ने ट्वीट किया है, 'वे वास्तव में छात्र नहीं हैं। छात्र इस तरह की गतिविधियां नहीं करते हैं, वे जानते हैं अपनी सीमाएं। विरोध करना और हिंसा करना पूरी तरह से अलग बात है। उन्हें इस तरह की शर्मनाक हरकत करने के लिए बाहर निकाला जाना चाहिए। #JNU_ को_बंद_करो।'

टैक एरा नरेंद्र मोदी, @PIBHomeAffairs, @AmitShah को टैग करते हुए लिखता है 'जेएनयू अब देशद्रोहियों का अड्डा बन गया है। अब इस 'गंदगी' को बंद और बाहर करने का समय है। ये राष्ट्र विरोधी तत्व हैं। इस बार इन्होंने अपनी हद पार की है। अब जेएनयू को बंद करो।'

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गौरव विनय ने ट्वीट किया है, 'इसमें कोई शक नहीं कि जेएनयू टुकड़े टुकड़े गैंग का का केंद्र बन गया है। विडंबना यह है कि हम भारतीय करदाता इन सांपों के लिए फंडिंग कर रहे हैं।'

स्मिता सिंह ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया है, 'क्यों करदाताओं के धन का दुरुपयोग राष्ट्र विरोधी तत्वों पर किया जा रहा है। इस विश्वविद्यालय को अधिक से अधिक सरकारी अनुदान पाने का कोई अधिकार नहीं है। मैं निवेदन करती हूं @नरेंद्र मोदी, @PMOIndia से कि इस तरह के संस्थान को तुरंत बंद किया जाये।'

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