जो भी मोदी के खिलाफ बोलता है ठहरा दिया जाता है देशद्रोही : प्रशांत भूषण

Update: 2019-03-10 06:27 GMT

मोदी सरकार सभी लोकतांत्रिक तथा संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। देश को पूरी तरह से चुनिंदा पूंजीपति घरानों के हवाले कर दिया गया है। दुर्भाग्यवश मीडिया का एक बड़ा वर्ग भी इन सभी मुद्दों को प्रखरता से उठाने के बजाए नफ़रत और उन्माद फैलाने में लगा है...

जनज्वार, लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने कहा कि आज जिस तरह का राजनीतिक-सामाजिक माहौल बनाया जा रहा है, उसके चलते न सिर्फ हमारा गणतंत्र और संविधान, बल्कि समाज और भी सभ्यता भी बड़े खतरे में है। इन्हें बचाने के लिए लोकतंत्र और भारतीयता में विश्वास रखने वाले सभी लोगों को एक मंच पर आना होगा।

कल 9 मार्च को प्रशांत भूषण लखनऊ में स्वराज अभियान द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गणतंत्र की पुनर्बहाली (Reclaiming the Republic) शीर्षक से एक दस्तावेज़ जारी करते हुए उन्होंने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर आगामी चुनाव में देश के नागरिकों के एजेंडे के तौर पर यह दस्तावेज़ तैयार किया है। इस दस्तावेज को सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाएगा तथा उनसे अपेक्षा की जाएगी कि आने वाले चुनाव में वे इस दस्तावेज में दिए गए सुझावों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रमुखता से शामिल करें।

इससे पहले लखनऊ के गंगाप्रसाद मेमोरियल हॉल में एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि आज देश का माहौल बेहद खतरनाक हो गया है। अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी, मजदूर, किसान, युवा तथा सभी वंचित वर्गों के लोग अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। मौजूदा सरकार सभी लोकतांत्रिक तथा संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। देश को पूरी तरह से चुनिंदा पूंजीपति घरानों के हवाले कर दिया गया है।

दुर्भाग्यवश मीडिया का एक बड़ा वर्ग भी इन सभी मुद्दों को प्रखरता से उठाने के बजाए नफ़रत और उन्माद फैलाने में लगा है। सरकारों की गलत नीतियों से आर्थिक असमानता लगातार बढ़ती ही जा रही है। देश के 9 सबसे अमीर लोगों के पास जितनी संपत्ति है, वह देश की 60 फ़ीसदी सबसे ग़रीब आबादी लोगों की कुल सम्पत्ति के बराबर है।

उन्होंने इन सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी लोकतंत्र तथा संविधान की रक्षा के लिए कार्यरत सभी शक्तियों को एकजुट होने की अपील की।

उन्होंने कहा कि 1975 में जब आपातकाल लगा था तो महसूस हुआ था कि लोकतंत्र खतरे में है, आज भी देश में अघोषित इमरजेंसी जैसे हालात हैं। हमारा लोकतंत्र, गणतंत्र और संविधान खतरे में हैं। देश के 44 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। पिछले बीस सालों में यहां तीन लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली है। सत्ताधारी दल के नेताओं की तरह ही मुख्य धारा की मीडिया भी असल मुद्दों से जनता को दूर रखे हुए है। जो भी प्रधानमंत्री के खिलाफ बोलता है, उसे देशद्रोही बता दिया जाता है। सोशल मीडिया से लेकर मुख्यधारा की मीडिया तक में उसे अपशब्द कहे जाते हैं। दो दिन पहले लखनऊ में कश्मीरी युवकों के साथ हुई घटना इसी का परिणाम है।

इस सभा को संबोधित करते हुए स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि फासीवादी ताकतों से मुक्ति पाना इस समय हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें धर्म तथा युद्ध के उन्माद के बीच दब गए असल मुद्दों को ऊपर उठाना होगा।

सभा की अध्यक्षता सेवानिवृत्त आईपीएस एस आर दारापुरी ने की। सभा का संचालन किसान मजदूर मंच के प्रमुख अजित यादव ने किया। सभा को इलाहाबाद विश्विद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष लालबहादुर सिंह, स्वराज अभियान की प्रदेश अध्यक्ष अर्चना, स्वराज इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अनमोल तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजीव ध्यानी, यू पी वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर, उत्तर प्रदेश जन मंच के नितिन मिश्रा आदि ने संबोधित किया।

प्रशांत भूषण ने कहा कि उनके संयोजन तथा जस्टिस एपी शाह की अध्यक्षता में बनी एक टीम ने Reclaiming the Republic दस्तावेज़ को तैयार किया है। इनमें अरुणा रॉय, बेजवाड़ा विल्सन, अंजलि भारद्वाज, योगेंद्र यादव, दीपक नय्यर, ई ए एस शर्मा, गोपाल गुरु, गोपाल गांधी, हर्ष मंदर, जयति घोष, कविता कुरुगुंटी, कृष्ण कुमार, निखिल डे, पॉल दिवाकर, प्रभात पटनायक, पी साईनाथ, रवि चोपड़ा, एस पी शुक्ला, श्रीनाथ रेड्डी, सुजाता राव, शक्ति सेल्वराज, सैयदा हमीद, विपुल मुद्गल, वजाहत हबीबुल्लाह आदि जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता तथा विशेषज्ञ शामिल हैं।

इस दस्तावेज के कुल 11 खंडों में सरकारों की जवाबदेही तथा जनता की अधिक हिस्सेदारी, न्यायिक तथा चुनाव सुधार, लोकतंत्र विरोधी काले कानूनों की समाप्ति, मीडिया सुधार, रोजगार, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, वंचित वर्गों की अधिकतम सहभागिता तथा सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण से जुड़े जरूरी मुद्दे शामिल किए गए हैं।

इस कार्यक्रम में पूर्व सांसद इलियास आज़मी, रिहाई मंच के मोहम्मद शोएब तथा राजीव यादव, इंसानी बिरादरी के सृजनयोगी आदियोग, छात्रनेता राजेश सचान तथा सचेन्द्र प्रताप, यूथ फ़ॉर स्वराज के राष्ट्रीय महासचिव ऋषभ रंजन, लुआक्टा की महासचिव अंशू केडिया, युवा शक्ति संगठन के गौरव सिंह आदि की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही।

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