कश्मीर में पत्रकारिता पर पाबंदी के 101 दिन पूरे, पत्रकारों ने पूछा खबर के नाम पर हम कबतक छापें सरकारी प्रेस रिलीज
कश्मीर घाटी में इंटरनेट पाबंदी को 101 दिन पूरे हो गए हैं। पत्रकारों ने इसको लेकर हाथों में काली पट्टी बांधी और प्लेकार्ड पर संदेश लिखकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया। पत्रकारों ने सरकार से तीन महीने से लगी पाबंदी को हटाकर स्थिति को बहाल करने का आह्वाहन किया है...
जनज्वार, नई दिल्ली। भारत सरकार ने मुस्लिम बहुल जम्मू कश्मीर प्रांत से 5 अगस्त को विशेष दर्जा छीन लिया था। जिसके बाद संविधान के अनुच्छेद 370 में संशोधन करने के साथ ही लोगों की आवाजाही और संचार के साधनों पर भी पाबंदी लगा दी गई। हजारों की संख्या में सशस्त्र बलों की तैनाती हुई और सैकड़ों राजनैतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया। लेकिन तीन महीने बीतने के बाद अब भी स्थिति पूरी तरह बहाल नहीं हुई है।
भारत सरकार ने कश्मीर के तमाम हिस्सों से कई तरह की पाबंदियां हटा दी गई है लेकिन इसके कई हिस्सों में अभी भी मोबाइल सेवाएं और इंटरनेट ठप्प है। जिसके विरोध में गुरूवार की शाम को कश्मीर प्रेस क्लब के बाहर बैठकर कश्मीर घाटी के दर्जनों पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन किया।
इस दौरान पत्रकारों ने हाथों में काली पट्टी बांध रखी थी और कई संदेश लिखे प्लेकार्ड उठाए हुए थे। इन प्लेकार्ड पर ‘संचार नाकाबंदी पिछले 60 दिन और अब भी जारी है’ ‘नाकाबंदी को खत्म करों’ जैसे कई नारे लिखे हुए थे।
कई पत्रकार संगठनों, संपादकों और फोटोग्राफरों ने मिलकर एक बयान जारी किया जिसमें पत्रकारों ने सरकार से पूछा गया है कि कब तक घाटी के पत्रकारों को केवल आधिकारिक विज्ञप्तियों और प्रेस ब्रीफिंग पर निर्भर रहना पड़ेगा जो कि केवल एक तरफ का संवाद है। भारत सरकार ने कश्मीर में मीडिया सुविधा केंद्र बनाया हुआ है जहां से पत्रकार कंप्यूटर और मोबाइल फोन का कुछ देर के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस दौरान राजधानी श्रीनगर में विभिन्न मीडिया संगठनों में काम करने वाले स्थानीय और बाहर के पत्रकार प्रेस क्लब में इकट्ठे हुए और उन्होंने एक बैठक में मंचन करते हुए तत्काल प्रतिबंध को समाप्त करने की बात कहीं।
विरोध के प्रतीक के रूप में पत्रकारों ने बाहर की दुनिया के लोगों के लिए एक संदेश भेजने की भी कोशिश की जिसमें एक लैपटॉप में पिछले 100 दिनों से क्या काम किया है इसके बारे में बताया गया था।
इंटरनेट पर पाबंदी को लेकर पत्रकारों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर एक स्थानीय पत्रकार कहते हैं कि हम अपने स्त्रोतों से बात नहीं कर पा रहे है जिसके कारण हम कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। हम मांग करते है कि इंटरनेट की बहाली फिर से की जाए क्योंकि हम इसका पैसे देते हैं। हम सरकार से मांग करते हैं कि सरकार सब चीजों को सामान्य कर दे।
स्थानीय प्रशासन ने पत्रकारों के लिए श्रीनगर में सूचना विभाग मे एक ‘मीडिया सुविधा केंद्र’ स्थापित किया है। इस केंद्र में आठ डेस्कटॉप के साथ एक इंटरनेट कनेक्शन है। कश्मीर में काम करने वाले पत्रकारों को इसी मीडिया केंद्र पर निर्भर रहना पड़ रहा है। पत्रकारों को इंटरनेट तक पहुंचने और अपने संगठनों को रिपोर्ट भेजने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। इस सेंटर को भी सुबह 9 बजे खोला जाता है लेकिन इसके बंद होने का समय विभाग द्वारा तय किया जाता है। दरअसल ये बिजली और तेल के ऊपर निर्भर करता है कि जनेटेर कितने समय तक चलेगा।
लेकिन पत्रकार नसीर केवल मीडिया सेंटर को ही समस्या का हल नहीं मानते, वह कहते हैं कि ये अपमानजनक बात है कि जब भी सेंटर पर इंटरनेट का उपयोग करने के लिए जाते है तो हमें इंटरनेट का उपयोग करने के लिए प्रवेश द्वार पर हर चीज का विवरण देना पड़ता है।
वहीं पिछले गुरूवार को बर्फवारी होने के कारण सेंटर की सुविधा भी बंद हो गई है जिसके कारण पत्रकारों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। इसके अलावा युध्द क्षेत्रों मे काम करने वाले पत्रकारों को इंटरनेट इस्तेमाल करने में ज्यादा दिक्कत आ रही है क्योंकि सरकार द्वारा चलाया जा रहा मीडिया सेंटर केवल कश्मीर में ही उपलब्ध है।
माजीद मक़बूल जो कश्मीर में ही पत्रकार हैं, कहते हैं कि हमें एक आसान स्टोरी की जानकारी जुटाने के लिए भी रोज सेंटर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। सेंटर पर भी इंटरनेट को एक सीमित समय के लिए उपयोग करने दिया जा रहा है।
इंटरनेट के प्रतिबंध पर हिलाल मी कहते है, इंटरनेट की बहाली पर सरकार की ओर से कुछ नहीं बोला जा रहा है। पिछले महीने सरकार के प्रवक्ता, रोहित कंसल ने एक प्रेस कॉन्फेंस में कहा कि इंटरनेट बहाल किए जाने से पाकिस्तान की ओर से परेशानी हो सकती है क्या सरकार भी पत्रकारों के ऊपर शक करने लगी है।
.