केजीपी के यमराज बने नितिन गडकरी

Update: 2018-06-16 05:47 GMT

केजीपी एक्सप्रेस वे पर औसतन दो मौत रोज का आँकड़ा आ रहा है। इस ‘विकास’ के नरक में यमराज की भूमिका स्वयं मोदी सरकार के सड़क पुरुष नितिन गडकरी ने संभाल रखी है, क्योंकि वे कहते हैं यहां दुर्घटनाएं रफ्तार नहीं ड्राइवर की लापरवाहियों से होती हैं....

पढ़िए पूर्व आईपीएस वीएन राय का विश्लेषण

क्या आप यकीन करेंगे कि भारत सरकार की सड़क पालिसी के 34 पेज के दस्तावेज में राजमार्गों का रोज इस्तेमाल करने वाले लाखों लोगों की सुरक्षा को लेकर एक शब्द भी नहीं है। यह तब जब देश की सड़कों पर हर वर्ष दर्ज होने वाली पांच लाख दुर्घटनाओं में डेढ़ लाख लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।

दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषण से बचाने के नाम पर बने केजीपी एक्सप्रेस वे और केएमपी एक्सप्रेस वे जैसे तीव्र गति व्यावसायिक यातायात कोरिडोर के खुलने से मौत और दुर्घटना के आंकड़ों में और उछाल आना तय माना जा रहा है। जबकि ब्रासिलिया अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर कर भारत 2022 तक अपनी सड़कों पर होने वाली मौत और दुर्घटना के आंकड़े पचास प्रतिशत तक घटाने को लेकर प्रतिबद्ध है।

फिलहाल, हरियाणा के डीजीपी बलजीत संधू के केजीपी एक्सप्रेस वे पर गति सीमा घटाने के अनुरोध को केन्द्रीय सड़क मंत्रालय के सर्वेसर्वा नितिन गडकरी ने ख़ारिज कर दिया है। उधर, बिना सुरक्षा मानकों को पूरा किये, यातायात के लिए पूरी तरह खोले गए इस राजमार्ग पर भारी टोल उगाही की कवायद 15 जून से शुरू कर दी गयी है।

इस 27 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैराना उपचुनाव के चलते आनन-फानन में केजीपी एक्सप्रेस वे का उद्घाटन एक तामझाम भरे बहुप्रचारित रोड शो से किया था। तब से इस पर दुर्घटनाओं और मौतों का अंतहीन सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। फिलहाल, इस पर औसतन दो मौत रोज का आँकड़ा आ रहा है। दरअसल, इस ‘विकास’ के नरक में यमराज की भूमिका स्वयं मोदी सरकार के सड़क पुरुष कहे जाने वाले नितिन गडकरी ने संभाल रखी है।

भारत में सड़क यातायात पर नजर रखने वाला कोई भी जानकार बता देगा कि हर वर्ष सड़क पर होने वाली डेढ़ लाख मौतों में से अधिकांश की वजह होती है वाहनों की तेज रफ्तारी।

केजीपी पर पलवल के समीप एक ही परिवार के सात व्यक्तियों के जान से हाथ धोने के बाद डीजीपीसंधू ने गडकरी के नेशनल हाई वे अथॉरिटी को अधिकतम गति सीमा 120 किलोमीटर से घटाकर 100 किलोमीटर प्रति घंटा करने को कहा था, जिसे गडकरी ने तिरस्कार दिखाते हुए ठुकरा दिया।

गडकरी ने बड़ा मासूम सा तर्क दिया कि सात व्यक्तियों की मौत वाली गाड़ी चला रहे ड्राईवर को नींद की झपकी आ गयी थी और इस लिए उसका वाहन डिवाइडर से टकरा कर उलट गया। यदि गडकरी का यह यमराज वाला तर्क मान भी लें तो क्या डिवाइडर से टकराने वाले हर वाहन का ऐसा ही भीषण अंजाम होता है? ऐसा तो तभी होगा जब वाहन की रफ़्तार बहुत तेज हो। अगर इस वाहन की रफ़्तार कम रही होती तो शायद उस दिन यमराज की जरूरत न पड़ी होती।

एक और यमराज वाला ही तर्क दिया गडकरी ने कि जब केजीपी एक्सप्रेस वे की सतह तेज रफ़्तार के लिए बनायी गयी है तो उस पर वाहन कम रफ़्तार से क्यों चलें? चलो यह तर्क मान लेते हैं। आखिर सारी दुनिया में तेज रफ़्तार सतह पर तेज रफ़्तार वाहन दौड़ते ही हैं।

लेकिन गडकरी बताना भूल गए, उन सड़कों पर सुरक्षा के 101 मानक भी लागू किये जाते हैं जो गडकरी के केजीपी एक्सप्रेस वे पर सिरे से नदारद हैं। यहाँ तक कि प्रकाश व्यवस्था, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड जैसी बुनियादी आवश्यकताएं भी।

दरअसल, हजारों करोड़ से बने केजीपी एक्सप्रेस वे जैसे आधुनिक राजमार्ग पर दुर्घटना से मृत्यु होने का सवाल अपवादस्वरूप ही पैदा होना चाहिए। बशर्ते कि इसे इस्तेमाल करने के प्रोटोकॉल ऐसे हों कि सड़क, वाहन, ड्राईवर, सभी सुरक्षा मानकों पर खरे उतर सकें। गडकरी की नीति में न यह सुनिश्चित करने की समझ है न इस जिम्मेदारी का एहसास। लिहाजा यमराज की आसान भूमिका वे आगे भी निभाते रहेंगे।

सवाल है,अब डीजीपी संधू जैसों के पास चारा क्या है? पुलिस चाहे तो अपने दम भी केजीपी एक्सप्रेस वे पर हो रही अकाल मौतों को रोक सकती है। ट्रैफिक नियंत्रण के माध्यम से सड़क पर सुरक्षित यातायात चालन का जिम्मा राज्य पुलिस का है, न कि गडकरी के मंत्रालय का। राज्य पुलिस स्वयं ही गति सीमा निश्चित कर उसे लागू भी कर सकती है; इसमें उसे किसी गडकरी की सहमति नहीं चाहिए।

यहाँ तक कि केजीपी एक्सप्रेस वे पर होने वाली हर दुर्घटना के लिए गडकरी के नेशनल हाईवे अथॉरिटी के उन सम्बंधितअधिकारियों को भी गिरफ्तार कर मुक़दमा चलाया जा सकता है, जो सुरक्षा मानकों में चूक के जिम्मेदार हैं। स्वयं गडकरी को,सड़क और वाहन में यातायात सुरक्षा के समुचित उपायों के बिना, अनियंत्रित गति की अनुमति देने के लिए न्याय और हर्जाने के कठघरे में खड़े किया जाना चाहिए।

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