मजदूर किसानों की लाइफ लाइन शुगर मिल को पुन: चलवाने के लिए जारी संघर्ष की आगामी रूपरेखा तैयार करने के लिए आज 31 दिसबंर को मजदूर किसानों की महापंचायत बुलाई गई है, जिसमें संघर्ष के बड़े फैसले लिए जाएंगे...
हरियाणा के जाखल से बृजपाल की रिपोर्ट
इन दिनों जहाँ ठिठुरती ठंड में लोग रजाइयों में अपने अपने घरों में दुबके बैठे हैं, वहीं किसान संघर्ष समिति के बैनर नीचे प्रगतिशील किसान मजदूर 8 सालों से बंद भूना शुगर मिल को पुन:चालू करवाने के लिए मिल गेट पर कड़कती ठंड में पिछले कई दिनों से धरने पर ही नहीं बैठे, बल्कि गांव—गांव जाकर संघर्ष की अलख भी जगा रहे हैं।
18 दिसम्बर से लगातार धरने पर बैठे किसान संघर्ष समिति से जुड़े हरिकृष्ण स्वरूप गोरखपुरिया, मंदीप सिंह नथवान, बलवीर दहिया, ईश्वर सिंह नलवा, सतबीर, चांदी राम, जिले सिंह सहित अन्य किसान कहते हैं कि मजदूर किसानों की लाइफ लाइन शुगर मिल को पुन: चलवाने के लिए जारी संघर्ष की आगामी रूपरेखा तैयार करने के लिए आज 31 दिसबंर को मजदूर किसानों की महापंचायत बुलाई गई है, जिसमें संघर्ष के बड़े फैसले लिए जाएंगे।
गौरतलब है कि 1991 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने क्षेत्र जाखल, भूना, कुलां, टोहाना सहित अन्य नजदीकी गन्ना उत्पादकों किसानों, मजदूरों व बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के लिए भूना सहकारी शुगर मिल आरंभ की, जिसके चलने से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला, लेकिन वर्ष 2006 में सरकार द्वारा मिल का निजीकरण करने से शुगर मिल के संचालन में दिक्कतें आनी शुरू हो गईं।
25 जनवरी 2009 को मिल के संचालकों ने तालाबंदी कर जाखल, कुलां, भूना, फतेहाबाद, टोहाना क्षेत्र के किसानों मजदूरों के किस्मत पर ही ताला जड़ कर रोजगार के अवसर उनके लिए समाप्त कर दिए।
जाखल खंड के गांव तलवाडा, साधनवास, सिधानी, चांदपुरा, जाखल गांव, म्योंद कलां सहित समस्त जिले के गन्ना उत्पादक किसानों की आर्थिक स्थिति पर मिल बंद होने का जहां गहरा असर पड़ा, वहीं मिल में कार्यरत क्षेत्र के कर्मचारी, मजदूरों से भी काम छिना। यही नहीं मिल बंद होने से किसानों ने गन्ना उगाने की अपेक्षा धान की खेती करने लगे, जिससे क्षेत्र के जल स्तर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।