किसान की मेहनत की नहीं, मौत की कीमत लगाती है सरकार

Update: 2017-07-08 19:38 GMT

दिल्ली में लोग आत्महत्या करते हैं तो ख़बर बन जाती है क्या गांव के किसान की मौत की कोई कीमत नहीं है....

किसान मुक्ति यात्रा की आज तीसरे दिन की यात्रा सुखलिया, इंदौर से शुरू हुई। किसान नेताओं ने आज गीतापुर चौराहे पर बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद यात्रा की शुरुआत की। माल्यार्पण कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर और आनंद मोहन माथुर भी शामिल हुए। इसके बाद सभी यात्री बाबा साहेब की जन्मस्थली महू गाँव गए। यह यात्रा एआइकेएससीसी द्वारा आयोजित की गई है।

गौरतलब है कि बाबा साहेब के पिताजी सेना के सिपाही थे और उस समय महू छावनी में ही कार्यरत थे जिस समय बाबा जी का जन्म हुआ। किसान मुक्ति यात्रा के पक्ष में बोलते हुए बाबा साहेब मठ के सचिव ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वो किसानों की प्रत्येक माँग को पूरा करते हुए संविधान की गरिमा बढ़ाये।

यात्रा के तहत आज की पहली जनसभा धामनौद में आयोजित की गई। यहां के किसान कर्ज़ और फ़सलों के कम दाम मिलने के अलावा भूमि अधिग्रहण की समस्या से भी परेशान हैं। एक स्थानीय किसान ने कहा कि मैं पढ़ा लिखा हूँ, लेकिन सरकार मुझे नौकरी भी नहीं दे रही है और मैं कुछ भी कर नहीं पा रहा हूँ क्योंकि सरकार ने मेरी जमीन का ज़बरन अधिग्रहण कर लिया और मुआवजा तक नहीं दिया।

एक स्थानीय नेता रामस्वरूप पाटीदार ने कहा कि दिल्ली में लोग आत्महत्या करते हैं तो ख़बर बन जाती है क्या गांव के किसान की मौत की कोई कीमत नहीं है? अब हम अपनी आवाज दिल्ली तक पहुंचाएंगे और जैसे मध्य प्रदेश सरकार की कुर्सी हमने हिला दी, वैसे ही दिल्ली सरकार की कुर्सी भी हिलाकर ही मानेंगे।

योगेंद्र यादव ने कहा कि मेरी दो ही माँगें हैं-ऋण मुक्ति और पूरे दाम। क्योंकि सरकार हमारी कर्जदार है इसलिए अपना हक़ मांगना हमारा फ़र्ज है। उन्होंने सभी किसान साथियों का दिल्ली आने के लिए आह्वान करते हुए कहा कि धामनोद के साथियों आप सब भी 18 जुलाई को दिल्ली जरूर आइये और किसान की लड़ाई को सफल बनाइये।

धामनौद के बाद दूसरी जनसभा खलघाट में हुई। सभा में बोलते हुए राजू शेट्टी ने कहा, हमारा संघर्ष किसानों के जीवन और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए है। इस लड़ाई के लिए 6 नहीं, 6000 किसान भी अपना जीवन देने के लिए तैयार हैं बस हमें किसी भी हाल में यह जंग जीतनी है।

वीएम सिंह का कहना था कि सरकार की गलत नीतियों के कारण ही किसान परेशान है और आत्महत्या करने को मजबूर है। किसान की मेहनत की नहीं, मौत की कीमत लगाती है सरकार। हम ऐसी सरकार को उखाड़ फेकेंगे और देश में अगली सरकार किसानों की सरकार होगी।

तीसरी जनसभा नर्मदा घाटी के किनारे छोटा बड़दा गाँव में हुई। बड़दा गाँव की जनसभा में बोलते हुए डॉक्टर सुनीलम ने कहा कि हमारी इस यात्रा के प्रेरणादायक बूढ़ा गाँव के किसान हैं और हमें इस किसान मुक्ति यात्रा के लिए ऊर्जा नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं से मिलती है।

गौरतलब है कि सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाने की वजह से आसपास के रिहायशी इलाकों के लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सरकार ने छोटा बड़दा, बड़ा बड़दा आदि गाँवों के किसानों को 31 जुलाई तक गांव खाली करने का नोटिस दे दिया है। सरकार की बेशर्मी की हद तो यह है कि उसने इन गाँवों के लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था भी नहीं की है। इन गाँवों के लोग विस्थापन के खिलाफ मेधा पाटेकर के नेतृत्व में आंदोलन भी कर रहे हैं।

किसान मुक्ति यात्रा में हर एक दिन एक किसान नेता को समर्पित करने का निर्णय लिया गया है। जहाँ 7 जुलाई का दिन गाँधी जी को समर्पित था, वहीं आज का दिन महान किसान नेता बीडी शर्मा को समर्पित किया गया है। बीडी शर्मा जी एक एक सामाजिक कार्यकर्ता और किसान नेता थे उन्होंने किसानों के हक़ के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी।

इस यात्रा में किसान नेता वी एम सिंह,अय्याकन्नू, राजू शेट्टी, हन्नान मुल्ला, रामपाल जाट, योगेंद्र यादव, डॉक्टर सुनीलम, दर्शन पाल, के चंद्रशेखर, कविता कुरुगाती, अविक साहा शामिल रहे। किसान मुक्ति यात्रा 6 राज्यों से होती हुई 18 जुलाई को दिल्ली में जंतर-मंतर पहुँचेगी।

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