जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आज से दो केंद्रशासित राज्य, होंगे दर्जनभर से ज्यादा बदलाव

Update: 2019-10-31 03:43 GMT

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 यानी जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा खत्म किये जाने के 86 दिन बाद आधिकारिक तौर पर आज सरदार बल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस से जम्मू कश्मीर और लद्दाख बन गये हैं दो केंद्रशासित प्रदेश...

जनज्वार। आज 31 अक्टूबर को लौहपुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल की जयंती से जम्मू-कश्मीर अब एक राज्य के बतौर नहीं जाना जायेगा, इसका दर्जा कल 30 अक्टूबर की देर रात एक राज्य के तौर पर समाप्त हो गया है। अब आधिकारिक तौर पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्रशासित प्रदेशों के तौर पर इसकी पहचान कायम हो गयी है।

बुधवार 30 अक्टूबर को देर रात गृह मंत्रालय ने इसके संबंध में एक अधिसूचना जारी कर दी है। केंद्रशासित प्रदेश बनने के साथ ही यहां 15 नये बदलाव भी शामिल होंगे।

गौरतलब है कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 यानी राज्य का विशेष दर्जा खत्म किये जाने के 86 दिन बाद आधिकारिक तौर पर जम्मू कश्मीर से दो केंद्रशासित राज्य अस्तित्व में आये हैं।

म्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्रशासित प्रदेशों का कार्यभार उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू और आरके माथुर के हवाले हो गया है। ये दोनों आज अपना-अपना पदभार ग्रहण करेंगे।

ह अपने आप में बिल्कुल जुदा इसलिए भी है क्योंकि भारत के इतिहास में पहली बार किसी राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में तब्दील किया गया है। उपराज्यपालों का शपथ ग्रहण समारोह श्रीनगर और लेह दो अलग-अलग जगह आयोजित किया जायेगा।

हले लेह में लद्दाख के उपराज्यपाल के बतौर आरके माथुर शपथ लेंगे, उसके बाद श्रीनगर में गिरीश चंद्र मुर्मू अपना पदभार ग्रहण करेंगे। इन दोनों उपराज्यपालों को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल शपथ दिलाएंगी। इन दोनों केंद्रशासित प्रदेशों के अस्तित्व में आने के साथ ही देश में राज्यों की संख्या जहां 28 हो गयी है, वहीं केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या 7 से बढ़कर नौ हो गई है।

आज से जम्मू कश्मीर में होंगे एक दर्जन से ज्यादा ये नये बदलाव

अब तक पूर्ण और विशेष राज्य के बतौर स्थापित रहा जम्मू-कश्मीर आज 31 अक्टूबर से दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेशों में तब्दील हो गया है। जम्मू-कश्मीर अलग और लद्दाख अलग दो केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं।

जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन कानून के तहत लद्दाख अब बिना विधानसभा के केंद्रशासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के समेत केंद्रशासित प्रदेश बन चुका है।

30 अक्टूबर तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल का पद था, मगर आज से दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में राज्य की बागडोर उप-राज्यपाल संभालेंगे। गिरीश चंद्र मुर्मू को जम्मू-कश्मीर और राधा कृष्ण माथुर को लद्दाख का उपराज्यपाल निर्वाचित किया गया है, जो आज अपने—अपने पदों की शपथ लेंगे।

फिलहाल दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा, मगर दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल अलग—अलग होंगे। सरकारी कर्मचारियों के पास दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में से किसी एक को चुनने का विकल्प खुला होगा।

—30 अक्टूबर तक आधिकारिक तौर पर जम्मू—कश्मीर में ज्यादातर केंद्रीय कानून लागू नहीं होते थे, मगर अब केंद्रशासित राज्य बन जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों राज्यों में कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू हो गये हैं।

इन केंद्रीय कानूनों में केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, एनमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाले कानून शामिल हैं।

जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के परमानेंट निवासियों के अधिकार वाले 35ए के हटने के बाद केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम 7 कानूनों में बदलाव हो जायेगा।

राज्य पुनर्गठन कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य के स्तर पर लागू किया गया था। फिलहाल 166 कानून दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में लागू रहेंगे।

जम्मू-कश्मीर में केंद्रशासित प्रदेश बनने के साथ विधानसभा भी कायम रहेगी, मगर वहां पहले के मुकाबले विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह देश के बाकी हिस्सों की तरह 5 साल का ही होगा।

विधानसभा में अब अनुसूचित जाति के साथ अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी।

पहले जम्मू कश्मीर सरकार में कैबिनेट में 24 मंत्री बनाए जा सकते थे, अब दूसरे राज्यों की तरह कुल सदस्य संख्या के 10 फीसदी से ज़्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं।

विशेष राज्य के दर्जे के तहत पहले जम्मू कश्मीर विधानसभा में विधान परिषद भी होती थी, जिसका अब अस्तित्व खत्म हो गया है। इससे राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर से 5 और केंद्रशासित लद्दाख से एक लोकसभा संसदीय सीट रखी गयी है। वहीं केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से पहले की तरह ही राज्यसभा के 4 सांसद संसद पहुंचेंगे।

31 अक्टूबर के बाद चुनाव आयोग राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है, जिसमें आबादी के साथ भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक बिंदुओं पर ध्यान रखा जा सकता है।

जम्मू कश्मीर में अब तक 87 सीटों पर चुनाव होते थे, जिनमें 4 लद्दाख से, 46 कश्मीर और 37 जम्मू से थीं। लद्दाख की 4 सीटें हटाकर अब केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें बची हैं, जिनका परिसीमन किया जायेगा।

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