मध्य प्रदेश में फिर गरमाया किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा, भाजपा का प्रदर्शन

Update: 2019-11-04 11:40 GMT

बिजली बिलों की होली के नाम पर जलाये गये अखबारों के बंडल और जब बात गिरफ्तारी की आई तो भाजपा नेता और भीड़ हो गयी प्रदर्शन स्थल से लापता...

भोपाल से सौमित्र रॉय के साथ जबलपुर से स्नेहा चौहान की रिपोर्ट

जनज्वार। झाबुआ उपचुनाव में हार के बाद बिखरी नज़र आ रही भाजपा ने किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर सोमवार 4 नवंबर को राज्यव्यापी प्रदर्शन का अपनी ताकत जुटाने की कोशिश की है।

भाजपा ने कमलनाथ सरकार को उसी मुद्दे पर घेरा है, जिसे लेकर कद्दावर कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सीएम को घेर चुके हैं। हाशिये पर खड़े पूर्व सीएम शिवराज सिंह जहां रीवा में प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे हैं, वहीं पार्टी के कुछ नेताओं ने बाकी जिलों में मोर्चा संभाला है।

किसान आक्रोश आंदोलन में किसानों को बिजली के भारी भरकम बिल आने पर बिलों की होली जलाई गई और कर्जमाफी तथा बाढ़ राहत का मुआवजा नहीं मिलने पर कमलनाथ सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। कई जिलों में धारा 144 लागू होने के बावजूद भाजपा नेताओं ने सरकार के विरूद्ध प्रदर्शन में हिस्सेदारी की। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बिजली बिलों की होली के नाम पर अखबारों के बंडल जलाए गये और जब बात गिरफ्तारी की आई तो भाजपा नेता और भीड़ प्रदर्शन स्थल से लापता हो गए।

बिजली बिलों की होली के नाम पे अखबारों के बंडल जलाए ओर जब बात गिरफ्तारी की आई तो नेता और भीड़ प्रदर्शन स्थल से हो गयी लापता

पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने रीवा में पहले कर्जमाफी का फायदा नहीं मिलने और फसल खराब होने के कारण आत्महत्या कर लेने वाले किसान वंशपति साहू के घर पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी। इसके बाद शिवराज गांव की खराब फसलों को देखने खेतों में गए। फिर रीवा आकर प्रदर्शन का नेतृत्व किया।

झाबुआ में हार के बाद अपनी ही पार्टी के तगड़े विरोध का सामना कर रहे राज्य भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के लिए जो भी कहा, उसे पूरा नहीं किया। आपदा और अन्य कारणों के नाम पर राज्य सरकार और राशि मांग रही है, जबकि केंद्र से पहले ही इसके लिए राशि मिल चुकी है। कमलनाथ सरकार ने न तो कर्ज माफ किया। न राहत राशि दी और न ही बिजली बिल हाफ किया है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों ही कमलनाथ सरकार ने राज्य के 2 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देते हुए 100 यूनिट तक के लिए 100 रुपये का बिल लेने की घोषणा की थी। कमलनाथ के इस कदम को मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। दो दिन पहले ही पवई विधायक को कोर्ट से जेल भेजे जाने के बाद राज्य विधानसभा ने जिस तत्परता से प्रह्लाद लोदी की सदस्यता खत्म की, उससे कांग्रेस सरकार स्पष्ट बहुमत में आ चुकी है। सीएम कमलनाथ ने रविवार 3 नवंबर को इस बात का स्पष्ट संकेत दिया है कि भाजपा के 2-3 विधायक पाला बदलने के मूड में हैं।

हरहाल, शिवराज के 13 साल के राज में 15 हजार से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इसीलिए इन प्रदर्शनों में किसान कम और पार्टी के डरे हुए कार्यकर्ता ज्यादा नज़र आ रहे हैं।

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