इंदौर हाईकोर्ट में नर्मदा विस्थापितों की याचिका पर अगली सुनवाई 21 अगस्त 2017 के दिन होगी
27 जुलाई से चल रहा अनिश्चितकालीन उपवास आज भी जारी, 7 अगस्त के दिन मेधा पाटकर व 9 अन्य अनशनकारियों के गिरफ्तारी के बाद जुड़े 10 अन्य साथी
बड़वानी, मध्य प्रदेश। 9 अगस्त यानी कलन कल दोपहर में अस्पताल से रिहाई के 4 घंटे बाद मेधा पाटकर को दुबारा पुलिस ने इंदौर बड़वानी रास्ते पर घेरा और इस बार धाराओं की सूची के साथ उनको धार जेल में शाम साढ़े सात बजे बंद कर दिया, जिसके खिलाफ आज पूरे गाँव से अहिंसक उदगार आया और हजारों की संख्या में लोग अपना विरोध प्रदर्शन करने धार जेल पहुंचे।
आंदोलनकारियों के मुताबिक आज शाम तक मेधा पाटकर को कोर्ट में उपस्थित नहीं किया गया था, और पहले से अलग—अलग झूठे आरोपों में गिरफ्तार करने के बाद कई अन्य धाराएं जोड़ दी गयी हैं। पिछले 10 दिनों को भारत के इतिहास में नर्मदा घाटी के लोगों की जलहत्या के लिए सरकारी नियोजन की तरह याद रखा जाएगा।
इसी के साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन पुलिस के आरोपों का खंडन करते हुए जाहिर करना चाहती है कि हिंसा करना सरकारों का रवैया रहा है। नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े आंदोलनकारियों के मुताबिक कोई भी सरकार सेहत के लिए चिंतित होकर कील लगे डंडे लेकर पुलिस नहीं भेजती, अगर उनकी मंशा हिंसा के इतर होती। सरकार बौखलाहट में मेधा पाटकर और अन्य साथियों पर हिंसक दमन करने को उतारू हो गयी है।
घाटी में लाखों लोग अभी भी पुनर्वास से वंचित हैं। लाखों पेड़ डूब में आ रहे हैं, मंदिर, मस्जिद, शालाएं, स्थापित गांव, लाखों मवेशी व कई अन्य जीव डूबने वाले हैं। ऐसी त्रासदी पर कौन—सा उत्सव मनाना चाहती है मध्य प्रदेश, गुजरात और केंद्र सरकार। क्या सिर्फ भारत में अब सत्ता की राजनीति रह गयी है?
ऐसे समय में सरकार को झूठे आरोप लगाने से बाज आना चाहिए और 32 सालों के अहिंसक सत्याग्रही आंदोलन के सामने नतमस्तक होकर प्रेरणा लेते हुए लोगों की भलाई के बारे में सोचना चाहिए।
इसी दौरान आज इंदौर हाई कोर्ट के समक्ष सुनवाई को आई विस्थापितों की याचिका की अगली सुनवाई 21 अगस्त के दिन तय की गयी।