पटना एनएपीएम से जुड़े उदयन राय दो दिन से थे लापता, सोशल मीडिया पर हुई अपील तो पुलिस ने 120B समेत एक दर्जन धाराओं में दर्ज कर बताया कि भेज दिया है जेल
जनज्वार, पटना। सामाजिक जीवन में पिछले 20 वर्षों से सक्रिय उदयन राय इन दिनों एनएपीएम के साथ सक्रिय हैं। पटना कोतवाली पुलिस ने उन्हें धारा 120 बी समेत 417, 418, 419, 420, 467, 428, 290, 66बी, 66सी, 66डी और 66एच धाराओं के साथ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है।
पुलिस ने दर्ज के एफआईआर में कहा है कि उदयन राय ने बलवा फैलाने वाला मैसेज अपने वाट्सअप ग्रुप से फॉरवर्ड किया, जिसके बाद उन पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज गिरफ्तार कर लिया। हालांकि पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर में मुकदमा आईटी एक्ट के तहत दर्ज हुआ है और अपराध धोखाधड़ी का माना गया है।
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ऐसे में सवाल है कि फिर एक दर्जन से अधिक धाराओं की जरूरत क्या पड़ी, वह भी 120बी जैसी दुर्लभ धारा, जो कि खास तरह के आपराधिक मामलों में लगायी जाती है और उसमें मौत तक की सजा है
कोतवाली पुलिस के अधिकारी राधेश्याम सिंह की ओर से दर्ज मुकदमे में बताया गया है कि उदयन राय को उस समय पकड़ लिया गया जब पुलिस को सूचना मिली कि एक वाट्सअप ग्रुप में मोदी की 3 मार्च को होने वाली पटना रैली से पहले धमाके की अफवाह फैल रही है। पुलिस ने तहकीकात किया तो पाया कि यह मैसेज उदयन राय द्वारा बनाए ग्रुप 'यदुवंशी विकास एकता मंच' से प्रचारित हो रहा है।
पुलिस ने जब सामाजिक कार्यकर्ता उदयन राय हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पता चला कि इस ग्रुप के एडमिन वही हैं और यह मैसेज उन्होंने ही लिखकर लोगों में फॉरवर्ड करना शुरू किया था।
हालांकि इस मामले में एनएपीएम के राज्य संयोजक महेंद्र यादव कहते हैं, 'उदयन राय के एक सामान्य से अफवाह फैलाने वाले वाट्सअप मैसेज को लेकर पुलिस ने 13 मुकदमे दर्ज किए हैं। उनकी गिरफ्तारी ऐसे की है, जैसे कि बहुत बड़ा टैरेरिस्ट हो। इसमें देशद्रोह और आईटी एक्ट की धारा 60एच है जो कि किसी कानूनी की किताब में ही दर्ज नहीं है। इससे साफ है कि मोदी की रैली के पहले पुलिस पटना में उदयन राय के बहाने सनसनीखेज माहौल बनाना चाहती है। ऐसा तब है जबकि लोगों के एतराज जताने के बाद उदयन राय ने यह कहते हुए मैसेज डिलीट कर दिया था कि यह एक कटु व्यंग्य है। राय पर जो कानूनी कार्रवाई हुई है, वह बेशक पुलिसिया कार्रवाई का हिस्सा है और हम भी इसका विरोध नहीं करते। मगर जिस तरह से रासते से उठाकर उन्हें गायब करके रात में मुकदमा दर्ज किया गया, वह बहुत गलत है। साइबर क्राइम का केस बनता था तो उस पर कानूनी कार्रवाई हो, मगर पुलिस का रवैया दर्शाता है कि वह उन्हें रास्ते से हटाना चाहती थी।'