रेलमंत्री ने कहा मंदी के कारण नहीं जारी हो पाया था फंड, फिर वित्तमंत्री कैसे कहते हैं हम हो रहे हैं आर्थिक रूप से सुदृढ़, मोदी जी देश को बताएं आखिर कौन बोल रहा झूठ
जनज्वार, मुंबई। आजकल दशहरा चल रहा है और देश में कई जगह भूत—पिशाच छुड़ाने के लिए बलि देने की परंपरा है। बलि देने वाला ओझा—तांत्रिक दावा करता है कि देवी बलि मांग रही हैं, तभी जाकर यह भूत छोड़ेगा, तभी देवी खुश होंगी। फिर लोग परंपरा मुताबिक बकरी, भेड़, गाय, बैल, सुअर या भैंसे की बलि देते हैं और मान लेते हैं कि देवी खुश हो गयीं और भूत हमारे मुलाजिम को छोड़कर किसी अगले शिकार पर निकल गया।
कल मुंबई में एलफिन्स्टन रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के बाद भी सरकार बलि लेने जैसी मुद्रा में दिखी। उसने भी 22 लोगों की बलि लेने के मात्र 8 घंटे के भीतर नए पुल के लिए 12 करोड़ का टेंडर जारी कर दिया।
उससे पहले सरकार ने यह नहीं किया, जबकि परेल स्टेशन और पश्चिम रेलवे की वेस्टर्न रेल लाइन के एलफिंस्टन स्टेशन को जोड़ने वाले पुल, जिसके संकरे होने की वजह से भगदड़ मची, उसे नए सिरे से बनाने की मंजूरी एक साल पहले मिल चुकी थी। शिवसेना के सांसद केंद्र सरकार को 2 बार नए पुल के निर्माण के लिए पत्र भी लिख चुके हैंं।
गौरतलब है कि 106 साल पुराने और मात्र 6 फिट चौड़े इस पुल से रोज करीब 1 लाख लोग गुजरते हैं। 28 सितंबर की सुबह 10:30 बजे के करीब तेज बारिश के चलते पुल पर भारी भीड़ जमा हो गई थी। इसी दौरान पुल क्रैक होने और बिजली फैलने की अफवाह उड़ी और भगदड़ मच गई। एलफिन्स्टन रेलवे स्टेशन के फुट ओवरब्रिज पर मचे भगदड़ में 22 लोगों की मौत हो गई थी और 39 लोग घायल हुए।
हादसे के बाद परंपरा मुताबिक सरकार में रेलवे के मुखिया और केंद्रीय रेलमंत्री पीयूष गोयल ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर गहरा दुख भी व्यक्त कर दिया है।
मीडिया के पूछने पर कि एक साल पहले नए पुल की मंजूरी के बावजूद सरकार ने फंड क्यों नहीं जारी किया, के जवाब में रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मंदी के कारण फंड नहीं जारी हो पाया।
मंदी को लेकर मंत्री का यह बयान प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री के उस दावे के बिल्कुल उलट है, जिसमें वह लगातार देश को बता रहे हैं कि हम नोटबंदी और जीएसटी के बाद आर्थिक विकास के रास्ते पर हैं और देश सुदृढ़ हो रहा है।