नैनीताल उच्च न्यायालय ने दिया एएलपी मजदूरों के पक्ष में फैसला, कहा न्यायाधिकरण तत्काल निरस्त करे अपने पूर्व में दिए फैसले को

Update: 2018-05-24 15:06 GMT

प्रबंधन कई प्रकार की तिकड़में रचता रहा, लेकिन मजदूर पूरी मुस्तैदी से डटे रहे, धैर्य के साथ लंबा संघर्ष चलाया और महत्वपूर्ण जीत हासिल की...

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। नौ साल के लंबे संघर्ष के बाद एएलपी मजदूरों को शानदार जीत हासिल हुई है। नैनीताल उच्च न्यायालय ने मजदूरों के पक्ष में फैसला दिया है।

गौरतलब है कि 17 जुलाई, 2009 को साजिशन एएलपी ओवरसीज के 101 मजदूर बाहर कर दिए गए थे। तब से मजदूरों का संघर्ष जारी है। उस वक्त तत्कालीन यूनियन पदाधिकारियों की धोखाधड़ी के बाद मजदूरों ने अपने पदाधिकारियों को हटाकर नए पदाधिकारियों को चुनकर संघर्ष का ऐलान किया था।

सहायक श्रम आयुक्त उधम सिंह नगर की वार्ता में कोई समाधान न निकलने के बाद मामला औद्योगिक न्यायाधिकरण में चला गया था, जहां पर कोर्ट ने पूरे मामले को उलझाकर मजदूरों के खिलाफ फैसला दिया था।

मजदूरों की यूनियन आनंद निशिकवा कंपनी इम्पलाइज यूनियन मामले को लेकर उच्च न्यायालय नैनीताल चली गई। जहां से अब जाकर मजदूरों को जीत हासिल हुई है।

उच्च न्यायालय ने औद्योगिक न्यायाधिकरण के फैसले को पलटते हुए तीखी टिप्पणी की और मामले को न्यायाधिकरण के पास भेजकर इसे तत्काल निस्तारित करने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने साफ कहा है कि न्यायाधिकरण ने मूल मुद्दे से भटकाया है। कोर्ट ने वाद के मुद्दों को भी फिक्स कर दिया है।

इस बीच प्रबंधन कई प्रकार की तिकड़में रचता रहा, लेकिन मजदूर पूरी मुस्तैदी से डटे रहे, धैर्य के साथ लंबा संघर्ष चलाया और महत्वपूर्ण जीत हासिल की।

इस पूरे मामले की पैरवी उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता श्री राजेश त्यागी तथा नैनीताल उच्च न्यायालय के अधिवक्ता योगेश पचौलिया ने की और बहस में मजदूरों को सही साबित किया। राजेश त्यागी दिल्ली से लगातार नैनीताल आकर मजदूरी मज़बूती देते रहे। मजदूर यूनियन और मजदूरों ने इस जीत के लिए दोनों अधिवक्ताओं को धन्यवाद दिया कि उन्होंने कठिन समय में न सिर्फ उनका हौसला बढ़ाया, बल्कि हर हालत में उनके साथ खड़े रहे।

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