नक्सलवाद पीड़ित छत्तीसगढ़ में पुलिसवाले हड़ताल पर हैं और नेशनल मीडिया को नहीं फुर्सत बाबा विमर्श से
रायगढ़ में कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करने पहुंची पुलिसकर्मियों के घर की महिलाओं को पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जा रहा है और जेल में डाला गया, कोंडागांव में प्रदर्शन करने वाली महिलाओं के पतियों का एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने घोर नक्सल बेल्ट में तबादला कर दिया....
पंकज चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार
नेशनल मीडिया बेखबर है और नक्सलवाद से पीड़ित छत्तीसगढ़ राज्य में पुलिस वाले हड़ताल पर हैं। वहां का प्रशासन और अफसर पुलिस वालों के परिवारों के साथ बर्बर तरीके अपना रहे हैं। औरतों को पीटा जा रहा है और जेल में डाला गया।
पुलिस वालों के परिवारजनों से मुचलके भरवाए जा रहे हैं, ऐसे पुलिस वालों की संख्या सैंकड़ों में है जो की निरीह आदिवासियों पर नक्सल के नाम पर अमानवीयता से आजिज आ चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में पुलिस के परिजनों का आंदोलन थामने की सख्त प्रशासनिक कोशिशों के बीच आंदोलन दिनोंदिन बेकाबू होता जा रहा है। पुलिसकर्मियों के परिवार हर जिले में सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उधर, आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस जवानों पर कार्रवाई की गाज गिरनी शुरू हो गई है।
गुरुवार 21 जून को बिलासपुर में एक आरक्षक की बर्खास्ती के बाद शुक्रवार 22 जून को एक हवलदार को निलंबित कर दिया गया, जबकि कई जिलों में पुलिस परिवार की महिलाओं को पुलिस अधिकारियों ने हिरासत में लिया है। कुछ स्थानों पर महिलाओं को बंधक भी बनाया गया। जवानों में भय पैदा करने के लिए कई के स्थानांतरण आनन-फानन में नक्सल बेल्ट में कर दिए गए हैं।
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे निलंबित आरक्षक राकेश यादव को अंबिकापुर के सोनहत थानाक्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। राकेश पर राजद्रोह समेत कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। वहीं, कोरबा में बर्खास्त एसआई अमृतलाल केरकेट्टा के खिलाफ भी भड़काने का मुकदमा दर्ज करते हुए 23 अन्य पुलिसकर्मियों को नोटिस थमाया गया है।
रायगढ़ में कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करने पहुंची महिलाओं को पुलिसकर्मियों ने दौड़ा-दौड़ा कर पकड़ा। कोंडागांव में प्रदर्शन करने वाली महिलाओं के पतियों का एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने घोर नक्सल बेल्ट में तबादला कर दिया है। इसमें एक टीआई, दो सब इंस्पेक्टर, दो एएसआई, पांच प्रधान आरक्षक व 21 आरक्षक शामिल हैं।
गौरतलब है कि अवकाश, वेतन-भत्तों समेत विभिन्न मांगों को लेकर अरसे बाद पुलिसकर्मियों ने फिर आंदोलन का बिगुल फूंका है, लेकिन इस बार पैंतरा बदला हुआ है। इस बार पुलिसकर्मियों के बजाय उनके परिवार के लोग मोर्चा संभाले हुए हैं।
बिलासपुर में पुलिस अधिकारी से एक हवलदार उस समय उलझ गया जब प्रदर्शन करने उतरी पुलिसकर्मियों की पत्नियों को गिरफ्तार करने का उसे हुक्म दिया गया। इस पर हवलदार दिनेश तिवारी की कोतवाली टीआइ आरपी शर्मा से झड़प हो गई।
तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इस दौरान जांजगीर-चांपा में आंदोलन के लिए निकली पुलिसकर्मी परिवार की तीन दर्जन से अधिक महिलाओं को पकड़ कर पुलिस लाइन स्थित मल्टी स्टोरी बैरक में रखा गया है।
ऐसे विस्फोटक हालत पर नेशनल मीडिया की चुप्पी और एक बाबा या फ़िज़ूल के मसलों पर घंटों की बहस चौंकाती जरूर है।
(पंकज चतुर्वेदी की एफबी वॉल से)