NCRB की रिपोर्ट से खुलासा : एक साल में हर महीने 948 किसानों ने आत्महत्या की
साल 2016 में महाराष्ट्र में 3661 किसानों ने आत्महत्या की है। यानि कुल किसानों की आत्महत्या करने वालों में तीसरा किसान महाराष्ट्र का था। वहीं इस मामले पर दूसरे नंबर पर रहे कर्नाटक में लगभग 1212 किसानों ने आत्महत्या की है...
साल 2016 में महाराष्ट्र में 3661 किसानों ने आत्महत्या की है। यानि कुल किसानों की आत्महत्या करने वालों में तीसरा किसान महाराष्ट्र का था। वहीं इस मामले पर दूसरे नंबर पर रहे कर्नाटक में लगभग 1212 किसानों ने आत्महत्या की है...
जनज्वार टीम। केंद्र की मोदी सरकार में किसानों की आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। साल 2016 में 11,376 किसानों ने आत्महत्या की। एनसीआरबी की ओर से जारी रिपोर्ट 'एक्सीडेंटल एंड सुसाइड' रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में महिलाओं की तुलना में पुरुषों ने अधिक संख्या में आत्महत्या की है। रिपोर्ट के मुताबिक हर महीने 948 या हर दिन 31 किसानों ने आत्महत्या की। साथ ही महाराष्ट्र एक बार फिर किसानों की आत्महत्या के मामले सबसे ऊपर रहा।
रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में 3661 किसानों ने 2016 में आत्महत्या की है। यानि कुल किसानों की आत्महत्या करने वालों मे तीसरा किसान महाराष्ट्र का था। वहीं इस मामले पर दूसरे नंबर पर रहे कर्नाटक में लगभग 1212 किसानों ने आत्महत्या की है।
रिपोर्ट में किसानों की आत्महत्या के कारणों के बारे मे भी बताया गया है जिसमें फसलों का खराब हो जाना, बैंको का कर्ज ना चुका पाना तथा पारिवारिक समस्याओं को माना गया है।
रिपोर्ट को लेकर एनसीआरबी के एक पूर्व के अधिकारी ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि जो रिपोर्ट आई है उसमें ना केवल पुरानी श्रेणियों को बरकरार रखा गया है बल्कि इस बार के आंकड़ों में कई और श्रेणियों को भी जोड़ा गया है।
लेकिन ये बात बड़ी दिलचस्प है कि इन आंकड़ों को अभी तक जारी नहीं किया गया है। 2015 के आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग 80 प्रतिशत किसानों ने पंजीकृत छोटी फाइनेंस संस्थानों या धन उधारदाताओं से कर्ज लिया था। कर्ज को ना चुकाने के कारण किसान या तो दिवालिया हो गया और उनको आत्महत्या के अलावा कुछ नहीं सूझा।
पूर्व अधिकारी ने आगे बताया कि आत्महत्या के आंकड़ों की रिपोर्ट 18 महीने पहले गृहमंत्रालय को सौंप दी गई थी जिसमें कई स्पष्टीकरण मांगे गए थे। जिसमें एक सवाल यह भी था कि क्या किसानों की आत्महत्या पर आंकड़े एकत्र करने की आवश्यकता है।