मिशन मशरूम से पहाड़ में पलायन रोकने और रोजगार सृजन की अलख जगाती चमोली की बेटी सोनी बिष्ट

Update: 2019-09-29 02:57 GMT

उत्तराखण्ड में तकरीबन 3 लाख 50 हजार से अधिक गांव वीरान पड़े हैं। अकेले पौड़ी में 300 से अधिक गांव खाली हो गये हैं। पलायन करने में 43% आबादी उन युवाओं की हैं जिनकी आबादी 26 से 35 है, ऐसे में सोनी की यह पहल युवाओं को जरूर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करेगी...

पौड़ी से संजय चौहान की रिपोर्ट

उत्तराखण्ड के पौड़ी को मशरूम सिटी बनाने का सपना लिए, वहां से पलायन रोकने और रोजगार सृजन की उम्मीदों को पंख लगा रही है वहां की बेटी सोनी बिष्ट रावत। उनके बुलंद हौंसले इस राह को कर रहे हैं आसान।

चिपको वूमेन गौरा देवी से मिली प्रेरणा, बुआ ने दिया हौंसला, परिवार का मिला सहयोग

सोनी बिष्ट चमोली के जोशीमठ विकासखंड के रिंगी गांव की रहने वाली है। सोनी के माता पिताजी गांव में खेती करते हैं। उन्होंने अपनी बेटी को बेहतर शिक्षा देने के लिए हर समय प्रोत्साहित किया और हरसंभव सहयोग दिया। तीन महीने पहले ही सोनी की शादी पौड़ी के आदित्य पंवार रावत से हुई।

अंग्रेजी विषय में एमए की डिग्री प्राप्त सोनी वर्तमान में बीएड भी कर रही है। लेकिन सोनी का सपना है कि वो समाज के लिए कुछ कर सकें, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सके। गौरा देवी के चिपको आंदोलन से सोनी बहुत ज्यादा प्रभावित हुई। जबकि सोनी की बुआ उमा रौथाण ने एक गुरुमंत्र दिया की लड़कियों को कभी भी अपने हाथों और पांवों को घरों की चहारदीवारी तक बांधे नहीं रखना चाहिए। उन्हें भी हक है सपनों को देखने का और उन्हें हकीकत में बदलने का। इसलिए जीवन में कुछ ऐसा करना की लोग तुम्हारा अनुसरण करें।

बुआ की कही बात सोनी के लिए लकीर बन गयी। बुआ ने सदैव सोनी को प्रोत्साहित किया और हौंसला दिया, जबकि शादी के बाद सोनी को ससुराल में भी पति और पूरे परिवार का हर कदम पर सहयोग मिल रहा है। परिणामस्वरूप सोनी के सपनों को उम्मीदों के पंख लग गये।

मायके से लेकर ससुराल तक महसूस की पलायन की पीड़ा, पलायन रोकने के लिए मशरूम को बनाया हथियार

सोनी ने शादी से पहले मायके और शादी के बाद ससुराल में पलायन की पीड़ा को करीब से देखा और जाना है। सोनी का मायका चमोली जिले के जोशीमठ विकासखंड के रिंगी गांव में है, जो तपोवन नीती घाटी में बसा है। इस घाटी को देश की द्वितीय रक्षा पंक्ति भी कहा जाता है। यह घाटी आजादी के 70 साल बाद आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है।

रोजगार और बेहतर भविष्य के लिए लोगों ने इस घाटी से बड़े पैमाने पर पलायन किया। सोनी ने पढ़ाई के दौरान पलायन के दर्द को बेहद करीब से महसूस किया है, जिस वजह से सोनी ने मन में पलायन को खत्म करने की ठान ली थी। 12वीं की पढ़ाई करने के बाद सोनी पौड़ी आ गयी और अपनी बुआ के यहाँ से आगे की पढ़ाई की। इस दौरान सोनी नें पौड़ी में भी पलायन के दर्द को महसूस किया। शादी के बाद पौड़ी सोनी का ससुराल बना। पलायन रोकने के लिए सोनी ने देहरादून में मशरूम बिटिया दिव्या रावत से मशरूम की ट्रेनिंग ली और इस साल ओयस्टर मशरूम उगाया।

300 बैगों में उगाया मशरूम, बाजार से मिल रही है काफी डिमांड, पौड़ी को बनायेंगी मशरूम सिटी

सोनी ने अपने परिवार के सहयोग से घर के एक बड़े हाॅलनुमा कमरे में ओयस्टर मशरूम के 300 बैग से अपने मशरूम मिशन की शुरुआत की। अब इन बैगो से तैयार मशरूम को वो बाजार में बेच चुकी हैं, जिससे सोनी काफी उत्साहित हैं। अब वो 200 बैगों में और मशरूम उगाने की सोच रही हैं। सबसे बड़ी खुशी सोनी के लिए बाजार से डिमांड आना है। पहाड़ी गर्ल सोनी बिष्ट से मशरूम के संदर्भ में लंबी गुफ्तगू हुई। बकौल सोनी मेरा उद्देश्य है कि लोग गढ़वाल कमिश्नरी को मशरूम सिटी के रूप में पहचानें और मशरूम से लोगों को रोजगार के अवसर मिले। तब जाकर हम पलायन को रोकने में सफल हो पायेंगे।

लोगों को स्वालम्बी बनाना, रोजगार सृजन के जरिए पलायन रोकना है सोनी का मुख्य उद्देश्य

लायन और रोजगार पर परिचर्चा करने पर सोनी कहती हैं कि पहाड़ का सबसे बड़ा दुर्भाग्य युवाओं का खुद पर भरोसा न करना है। मुझे दुःख होता है युवा 5-5 हजार की नौकरी के लिए शहरों की ओर भाग रहे हैं, जबकि पहाड़ में रोजगार सृजन की असीमित संभावनाएं हैं। ट्रैकिंग से लेकर स्वरोजगार के जरिए पहाड़ों में रोजगार उत्पन्न किया जा सकता है। मशरूम सबसे मुफीद व्यवसाय हो सकता है, लेकिन इसके लिए बाजार से मांग होना जरूरी है।

पौड़ी में मैने पहले मशरूम के लिए मार्केट सर्वे किया, जिसमें लोगों से अच्छा रिस्पोंस मिला। तब जाकर खुद पर भरोसा किया और आज मशरूम की पहली फसल पौड़ी के बाजार में उपलब्ध है। मेरा सपना पौड़ी को मशरूम सिटी बनाना है और लोगों को इससे जोड़ना, ताकि लोग रोजगार के लिए महानगरों की जगह अपने गावों में रोजगार सृजन करें। इस दिशा में एक छोटा सा प्रयास शुरू किया है अभी मंजिल तो कोसों दूर हैं।

वास्तव में देखा जाए तो पलायन नें उत्तराखंड में खासतौर पर पहाड़ को खोखला कर दिया है। सबसे ज्यादा अल्मोड़ा और पौडी जनपद को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। 15 विकास खंड, 13 तहसील वाले इस जनपद में जनसंख्या बढने के बजाय कम हो रही है। पलायन आयोग की ताजा रिपोर्ट बताती है की अगर अभी पलायन रोकने के लिए कदम नही उठाये तो हालत बदतर हो सकते हैं। वो बात अलग है कि पलायन रोकने के लिए गठित पलायन आयोग भी कुछ दिनों बाद पौड़ी से खुद ही पलायन कर गया था। पूरे प्रदेश में लगभग 3 लाख 50 हजार से अधिक गांव वीरान पड़े हैं। अकेले पौड़ी में 300 से अधिक गांव खाली हो गये हैं। पलायन करने में 43% आबादी उन युवाओं की हैं जिनकी आबादी 26 से 35 है।

ब समय आ गया है कि हमें पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए धरातलीय प्रयास शुरू करने होंगे। बैंक से कर्ज लेकर पहाड़ी गर्ल सोनी बिष्ट रावत इस ओर एक प्रयास कर रही हैं। भले ही ये अभी एक छोटी सी कोशिश हो, लेकिन सोनी के हौंसले और ज़िद पहाड़ जैसी है। उम्मीद की जानी चाहिए की आने वाले समय में उनका ये प्रयास फलीभूत हो और पौड़ी मशरूम सिटी के लिए जाना जाए। लोगों को रोजगार के अवसर मिले और पलायन रूक सके। हमारी ओर से पहाड़ी गर्ल सोनी बिष्ट को उनके सराहनीय प्रयास के लिए ढेरों बधाइयाँ।

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