चार साल बाद जीता दिल्ली विश्वविद्यालय में कांग्रेस का छात्र संगठन

Update: 2017-09-13 15:18 GMT

जनज्वार, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनावों में कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने 4 साल बाद जीत का परचम लहराया है। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई के छात्र नेताओं को जीत हासिल हुई है, वहीं सचिव और संयुक्त सचिव के पद पर भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी के छात्र नेता जीते हैं। 

उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई के कुणाल सेहरावत ने जीत हासिल की है। एबीवीपी की महामेधा नागर सचिव और उमाशंकर संयुक्त सचिव का पद बचा पाए।

आज 13 सितंबर को कड़ी सुरक्षा के बीच किंग्सवे कैंप के पास एक सामुदायिक सभागार में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनावों के मतों की गिनती हुई। एनएसयूआई के रॉकी तूशीद ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की।

कांग्रेस की तरफ से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को बड़ा झटका देते हुए एनएसयूआई ने जोरदार वापसी की है। कांग्रेसी नेता संजय निरुपम ने दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव में मिली इस जीत को एक बड़ी जीत करार दिया है। 

डूसू अध्यक्ष पद के लिए मुख्य उम्मीदवारों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के रजत चौधरी, एनएसयूआई के रॉकी तूशीद, आइसा की पारल चौहान, निर्दलीय उम्मीदवार राजा चौधरी और अल्का शामिल थे।

12 सितंबर को हुए डूसू चुनाव में कुल 43 फीसदी मतदान हुआ था। पिछले साल भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी ने तीन पद जीते थे, जबकि एनएसयूआई को सिर्फ संयुक्त सचिव के पद पर संतोष करना पड़ा था।

एक कांग्रेसी कार्यकर्ता राजेश खेतान कहते हैं, दो दिन पहले राहुल गांधी ने विदेश में जो इंटरव्यू दिया था और उसे लेकर भाजपाई हो हल्ला मचा रहे थे, अब शांति कायम हो जाएगी। युवाओं की यह जीत निराश और हताश कांग्रेस कार्यकर्ताओं में राष्ट्रीय स्तर पर जान फूंकने का काम करेगी और फिर एक बार युवा कांग्रेस से जुड़ने के प्रति लालायित होंगे।

जाहिर तौर जैसे हर हार के लिए राहुल जिम्मेदार होते हैं, वैसे ही इस जीत का सेहरा भी उन्हीं के सर बंधेगा। हालांकि राहुल का इस जीत में कोई रोल नहीं है, रोल भाजपा की अपनी करतूतों, जनविरोधी नीतियों और नेताओं को लेकर आ रहे विवादित खुलासों और बयानों का भी है।

 

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