'चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया' के पादरियों को 2 साल से नहीं मिला वेतन, लॉकडाउन में मुश्किल हो गई जिंदगी
चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया के कई पादरियों को पिछले 28 महीने से सेलरी नहीं है मिली है. कई बार गुहार लगाने पर भी उनकी परेशानी का हल नहीं निकाला गया है....
संजय रावत और अंकित तिवारी की रिपोर्ट
जनज्वार। लॉक डाउन के दौरान मुश्किलों की मार झेलते दिहाड़ी मजदूरों की दास्तान के बाद चर्च के पादरियों की मुश्किल का मामला सामने आया है। यह मामला है CIN (चर्च ऑफ नार्थ इंडिया) के इस्टर्स (पादरी) का जिन्हें तनख्वाह नहीं मिल पाने की वजह से लॉकडाउन में उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं । उत्तर भारत के ये तमाम पादरी ईसाई धर्म में प्रोटेस्टेंट मत को मानने वाले हैं।
करीब 35 वर्षों में अलग-अलग समयावधि से चर्च में सेवाभाव से लगे इन पादरियों का मूल वेतन महज 12 हजार से बमुश्किल 20 हजार तक होता है, जो चढ़ावे, मिशनरी स्कूल या अन्य ट्रस्ट के रहमोकरम से इन्हें मिलता है लेकिन अब नई नीतियों के तहत बंद कर दिया गया है ।
इससे पहले चढ़ावे, स्कूल-कॉलेज और अन्य ट्रस्ट से आने वाली रकम के 60 प्रतिशत में से पादरियों की तनख्वाह निकली जाती थी और 40 प्रतिशत रकम हर धर्मक्षेत्र से मुख्यालय भेज दी जाती थी ।
क्या कहना है पादरियों का?
इस मसले पर हमने इलाहाबाद, लखनऊ, गौंडा, देवरिया, मुजफ्फरनगर, झांसी, फूलपुर, बस्ती, मिर्जापुर,वाराणसी आदि जगहों के पादरियों से बात की तो उनका कहना था कि वेतन तो 28 माह से मिला ही नहीं है, पर लॉकडाउन के चलते मुश्किलें और बढ़ गई हैं। ऊपर से ये फरमान जारी हो गया है कि पादरी खुद ही चर्च से अपना वेतन निकालें। लॉक डाउन के समय जब चर्च में आवाजाही ही नहीं तब यह बात क्रूरता सी महसूस होती है ।
'वेतन की मांग करने सस्पेंड करने की बात कहते हैं'
सबसे पहले हमने आदित्य कुमार से बात की जो वाराणसी में पादरी हैं, वो बताते हैं कि '28 माह से वेतन ना मिलने के कारण स्थिति पहले ही बहुत बुरी थी अब लॉक डाउन में और भी बत्तर हो गई है । जब भी हम वेतन मांगने की गुहार लगाते है तो ये सस्पेंड कर देने की बात कहते हैं । हम पर अनर्गल आरोप लगाते हुए प्रशासन को गुमराह करते हैं, दरअसल इनकी मंशा है कि हम गलत कामों में इनका सहयोग करें । हमने तो कह दिया है कि हम अब आपके साथ काम ही नहीं करना चाहते, हमारे वेतन और फंड का हिसाब कर दीजिए।
के. सोलोमन झांसी में पादरी है। वह कहते हैं कि हमें पता चला है कि किसी कारणवश बैंक ने एकाउंट सीज कर दिया है इसलिए वेतन नहीं मिल पा रहा है । हम ये मान कर चल रहे हैं कि नहीं मिल रहा तो इकट्ठा हो ही रहा है आज नहीं तो कल मिलेगा ही। मुश्किलें तो बढ़ ही रही हैं पर ईश्वर के भरोसे चल रहा है सब कुछ। हम धार्मिक व्यक्ति हैं किसी से लड़ने तो जाएंगे नहीं पर वेतन की अनियमितता का हाल यह है कि हमने वर्ष 2013 से अपनी पासबुक अपडेट नहीं कराई है ।
'वेतन ना दिया जाना दरअसल बड़े घोटाले का एक छोटा हिस्सा'
विलियम इलाहाबाद में पादरी हैं वो कहते हैं कि - CNI में हम वेतनभोगी पादरी हैं जिन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है ।ये बहाना बना रहे हैं कि कुछ लोगों ने CNI के खिलाफ FIR करा रखी है जिस वजह से वेतन नहीं दिया जा सकता, पर ऐसा कुछ भी लिखित में नहीं दिया गया है । हमारा कहना है कि जब चर्च में नियुक्तियां संस्थान द्वारा की गई हैं तो वेतन भी संस्थान द्वारा दिया जाना चाहिए । वेतन ना दिया जाना दरअसल बड़े घोटाले का एक छोटा हिस्सा है । हमें तकलीफ इस बात की भी है कि हम धार्मिक संस्थान से पारिवारिक रूप में सेवाभाव से जुड़े हैं बावजूद इसने मुश्किल वख्त में आपने हमारा हाल चाल पूछने से भी इंकार कर दिया । इन्होंने वर्ष 2000 से 2014 तक का हमारा PF भी जमा नहीं किया है, पूछने पर कहते है कि ठीक है दे देंगे ।
आयुष हैरिसन झांसी में पादरी है उनका कहना है कि - कुछ क्राइसेस के चलते वेतन नहीं दिया जा रहा है, क्राइसेस खत्म हो जाएगी तो मिलने लगेगा । परेशानियां तो हैं ही पर क्या किया जा सकता है, इस पर ज्यादा बेहतर इलाहाबाद या लखनऊ ही बता पाएंगे ।
'ये सब बहुत बड़े घोटालेबाज हैं'
प्रयागराज इलाहाबाद के पादरी बेबस्टर जेम्स से हमने इस बाबत जानना चाहा तो उनका कहना था कि - पिछले वेतन की तो बात ही छोड़िए, ये अब कह रहे हैं कि अपना और अन्य कर्मचारियों का वेतन भी आप चर्च के चढ़ावे से निकालें । आय के श्रोतों से 60 प्रतिशत से वेतन दिया जाता था जो अब ये नहीं दे रहे हैं. ऐसा ही इन्होंने फंड मामले में भी किया है कि कुछ खास लोगों को दिया है बांकी का हड़प कर गए हैं । ये सब बहुत बड़े घोटालेबाज हैं जो किसी ना किसी तरह प्रताड़ित कर रहे हैं ।अभी सचिव प्रवीण ने एक लेटर जारी किया है जिसमें चर्च से ही वेतन निकालने की बात कही गई है पर असल में ये सब बर्गलाने वाली बातें हैं।
धर्मप्रकाश सोनभद्र में पादरी हैं जो कहते है कि - मैं 28 सालों से सेवा दे रहा हूँ पर पिछले 2 सालों से वेतन नहीं मिल पा रहा है जिससे मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं । खुद वेतन निकालने का आदेश तो हुआ है लेकिन कुछ है ही नहीं तो कहां से वेतन निकलेंगे । होंगी संस्थान की कुछ मुश्किलें पर हम ईश्वर के भरोसे अपना काम कर रहे हैं।
क्या कहना है CNI का?
CNI में 28 माह से तनख्वाह ना दिए जाने बाबत जब हमने अकाउंटेंट राजेश भट्ट से बात की तो उनका कहना था कि आप इस विषय पर सचिव से बात करें । सचिव प्रवीण मैसी से इस बाबत बात की तो उनका कहना था कि - लखनऊ डाइसेस में सिस्टम है कि अमूक श्रोतों से आने वाली इनकम में से पादरी अपनी तनख्वाह निकल लेंगे जो कुल असिसमेंट से माइनस कर ली जाएगी पर कुछ समय से यह क्रम गड़बड़ा गया है । शहरों के पादरी अपनी तनख्वाह निकाल लेते हैं चूंकि वहां बड़े चर्च हैं ये परेशानी गांव के चर्च में आई है । वैसे 70 पादरियों की बात नहीं है कुल 55 पादरी ही हैं । एकाउंट सीज होने की बात पर उनका कहना था कि डेढ़ साल पहले ऐसा कुछ था जिस वजह से देनदारियां पेंडिंग हो गई हैं पर कोशिश है कि सबको उनका पैसा मिल जाए ।
पूरे मामले में अनियामियता के लिए संस्था के पदाधिकारियों की लापरवाही नजर आती है, जिससे लॉक डाउन में पादरियों का जीवन संकटग्रस्त हो गया है । ये सब तब हो रहा है जब स्वयं प्रधानमंत्री और सरकारी आदेश अपने कर्मचारियों को समय से वेतन देने की बात पर जोर दे रहे हैं ।