कल भारत छोड़ो आंदोलन की 76वीं वर्षगांठ, संसद मार्ग पर जनसभा

Update: 2018-08-07 05:32 GMT

संविधान-विरोधी तत्व सत्ता छोड़ो के नारे के साथ रैली, सुबह 12 बजे दिल्ली के मंडी हाउस से चल कर रैली संसद मार्ग पहुंचेगी, संसद मार्ग पर होगी जनसभा

जनज्वार। 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन/अगस्त क्रांति की शुरुआत हुई. गांधीजी के 'करो या मरो' के आह्वान पर भारत की 20 प्रतिशत जनता ने इस आंदोलन में सक्रिय हिस्सेदारी की. ब्रिटिश हुकूमत ने करीब 50 हज़ार देशभक्तों को मारा.

भारत के क्रन्तिकारी आंदोलन की धारा भारत छोड़ो आंदोलन में समाहित हो गई और यह साम्राज्यवादी गुलामी के खिलाफ निर्णायक संघर्ष साबित हुआ. भारत की आज़ादी के प्रवेशद्वार इस आंदोलन का नेतृत्व समाजवादी नेताओं ने किया. 'भारत छोड़ो' नारे की रचना युसुफ मेहर अली ने की थी.

डॉक्टर राममनोहर लोहिया ने कहा कि 9 अगस्त भारतीय जनता का दिन है और 15 अगस्त भारतीय राज्य का दिन है. उनका मानना था कि 9 अगस्त निहत्थी जनता के संघर्ष के इतिहास का पहला दिन है. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन की 25वीं सालगिरह (9 अगस्त 1967) पर इच्छा ज़ाहिर की थी कि भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं सालगिरह इतने विशाल पैमाने पर मनाई जाये कि 26 जनवरी का गणतंत्र दिवस भी फीका पड़ जाए.

सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व शिक्षक प्रेम सिंह ने प्रेस विज्ञप्ती जारी कर कहा कि 50वीं सालगिरह 9 अगस्त 1992 को पड़ी. यह वह समय था जब संविधान की मूल संकल्पना के बरखिलाफ देश में नवसाम्राज्यवाद का दरवाजा खोलने वाली नई आर्थिक नीतियां 1991 में लागू की जा चुकी थीं. इसी के साथ 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था. ज़ाहिर है, अगस्त क्रांति की 50वीं सालगिरह को भारतीय जनता के दिन के रूप में याद नहीं किया गया.

तब से अब तक - डंकल प्रस्तावों से लेकर रक्षा क्षेत्र में 100 विदेशी निवेश के फैसले तक - शासक जमातें देश के संविधान को दरकिनार करती गई हैं. नीति-निर्धारण का काम विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोश, विश्व व्यापार संगठन, विश्व आर्थिक मंच जैसी नवउदारवाद की पुरोधा वैश्विक संस्थानों के आदेश पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़े कार्पोरेट घरानों के हित में कर रही हैं.

9 अगस्त 2018 को भारत छोड़ो आंदोलन की 76वीं सालगिरह है. सोशलिस्ट पार्टी ने इस मौके पर 'शिक्षा और रोजगार दो वर्ना गद्दी छोड़ दो' रैली का आयोजन किया है. यह युवा ललकार रैली पार्टी के अध्यक्ष डॉ. प्रेम सिंह के नेतृत्व में निकाली जाएगी.

वरिष्ठ समाजवादी नेता पन्नाला सुराणा मंडी हाउस से रैली को रवाना करेंगे. रैली का मकसद देशवासियों तक यह सन्देश पहुँचाना है कि सरकार द्वारा शिक्षा और रोजगार के लिए नीति-निर्धारण का काम संविधान में उल्लिखित 'नीति-निर्देशक तत्वों' के आधार पर हो, न कि नवउदारवादी नीतियों के तहत. की पुरोधा उपरोक्त संस्थाओं के आदेश पर.

संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक भारत के निर्माण का संकल्प तभी पूरा हो सकता है. सोशलिस्ट पार्टी सभी देशवासियों, विशेष तौर पर युवाओं से आगामी 9 अगस्त को ज्यादा से ज्यादा तादाद में दिल्ली के मंडी हाउस और संसद मार्ग पहुँचने की अपील करती है. आइये, इस संविधान विरोधी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकें.

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