रामजन्मभूमि विवाद में मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में कहा हिंदुओं ने हमारी मस्जिद को गिराकर हम पर ही प्रताड़ना का लगाया आरोप

Update: 2019-10-05 17:18 GMT

मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा मंदिर में हिंदू पक्ष की आस्था और विश्वास तो मस्जिद में है मुस्लिम पक्ष की आस्था और विश्वास...

जनज्वार। अयोध्या भूमि विवाद में उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ में सुनवाई के 37वें दिन 4 अक्टूबर को मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि अगर अयोध्या भूमि विवाद धर्म और आस्था का मामला है तो फिर मुस्लिमों की भी धर्म और आस्था का ध्यान रखना चाहिए। जब बाबर 1526 में आया था तो उस जगह पर कुछ नहीं था, वहां पर खाली जमीन पड़ी थी और रही बात मस्जिद की तो मस्जिद एक ऐसी जगह है जो सीधे अल्लाह से जोड़ती है। इस्लाम में दिन में 5 बार नमाज़ होती है जो अल्लाह से जोड़ती है। मस्जिद अल्लाह का घर है।

राजीव धवन की दलीलों पर उच्चतम न्यायालय ने सवाल पूछते हुए कहा कि मुस्लिम धर्म में सिर्फ अल्लाह से दुआ करते हैं, न कि परमशक्ति के अलग अलग अवतारों के। क्या ये सच नहीं है कि इस्लामिक शिक्षाओं के मुताबिक सिर्फ अल्लाह को ही दिव्य माना गया है, सिर्फ उनकी ही इबादत होती है किसी और की नहीं। ऐसे में किसी और जगह को इस्लामिक मान्यता के हिसाब से क्या पवित्र या दिव्य माना जा सकता है?

सके जवाब में धवन ने कहा कि एक मस्जिद को हमेशा ही पवित्र और दिव्य जगह माना गया है। ये वो जगह है जहां पर ख़ुदा की इबादत की जाती है। यहां पांचों वक़्त नमाज पढ़ी जाती है। जिस चीज़ के जरिये खुदा की इबादत हो, वो अपने आप में हर चीज़ पवित्र है। अगर सिर्फ आस्था और विश्वास की ही बात है तो मुसलमान भी आस्था और विश्वास रखते हैं, इसी वजह से मस्जिद में जाकर नमाज़ पढ़ते हैं।

वन ने कहा कि ये किसी की दलील नहीं रही कि ज़मीन के नीचे खुदाई से मंदिर का अवशेष मिला। अगर यात्रियों की बात कर विश्वास भी करें तो क्या उन्होंने बताया कि वहां किसी पूजा होती थी, क्योंकि मुस्लिम के लिए भी ये एक आस्था और विश्वास की जगह रही है।

संबंधित खबर : अयोध्या विवाद में रामलला विराजमान ने कोर्ट में किया दावा बाबरी मस्जिद से पहले भी था रामजन्मभूमि का ज़िक्र

मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा मस्जिद को गिराने कि योजना मार्च 1992 में रची गयी थी, जिसे दिसंबर में अंजाम दिया गया, यह एक सोची समझी साजिश थी। धवन ने कहा कि हिंदुओं ने हमारी मस्जिद को गिरा दिया और उल्टा कहा कि हमने उनको प्रताड़ित किया। धवन ने कहा कि हिंदूपक्ष मुस्लिमों पर साम्प्रदायिक हिंसा के आरोप लगाता रहा है। वो मुस्लिम बादशाहों के हमले और विध्वंस की बात करते है, लेकिन 6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ, जब बाबरी मस्जिद गिरा दी गई। साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए ज़िम्मेदार वो भी हैं और ये कोई मुगल काल की बात तो है नहीं।

वन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय अनुच्छेद 142 के तहत मिली अपरिहार्य शक्तियों के तहत दोनों ही पक्षों की गतिविधियों को ध्यान में रखकर इस मामले का निपटारा करे। उन्होंने कहा कि इस मामले में मस्जिद पर जबरन कब्जा किया गया। लोगों को धर्म के नाम पर उकसाया गया, रथयात्रा निकाली गई, लंबित मामले में दबाव बनाया गया। मस्जिद ध्वस्त की गई और उस समय मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह ने एक दिन की जेल अवमानना के चलते काटी थी।

मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा अदालत से गुजारिश है कि तमाम घटनाओं को ध्यान में रखे। हम कैसे देखते हैं कि इतिहास महत्वपूर्ण है। केके नय्यर के खिलाफ लगे आरोप पब्लिक डोमेन में हैं। धवन ने गे रेस ज्यूडिकाटा को लेकर दलील देते हुए कहा कि जब 1934 में दंगा फसाद के बाद ही ये तय हो गया था कि हिन्दू बाहर पूजा करेंगे तो 22/23 दिसंबर 1949 की रात हिन्दू इमारत में कैसे गए? ट्रेसपासिंग की गई थी। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 12 के जरिए देश भर के सार्वजनिक संस्थान भी नियमित किए गए। 1934 में दंगों के दौरान इमारत को नुकसान पहुंचा और धारा 144 लगाई गयी।

वन ने कहा कि पहले यही विश्वास था कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में कहीं पर हुआ, लेकिन हिंदुओं ने याचिका दाखिल कर कहा कि तीन गुम्बद की संरचना के बीच गुम्बद के नीचे भगवान राम का जन्म हुआ, जिसको हिंदू साबित करें। धवन ने कहा कि कोई भी यह दावा खारिज नहीं कर रहा कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ है। धवन ने कहा कि विवाद इस पर है भगवान राम का जन्म बीच के गुम्बद के नीचे हुआ।अगर हिंदू को हमेशा से ही पता था कि राम जन्मस्थान वही है तो उस जगह पर हमेशा तो पूजा क्यों नहीं की गई।

च्चतम न्यायालय में अगले हफ्ते दशहरा की छुट्टी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी और इस दिन भी मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की दलीलें जारी रहेंगी। इसी हफ्ते के आखिरी में 18 अक्टूबर की वो तारीख भी पड़ेगी जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि 18 अक्टूबर के बाद अयोध्या मामले की सुनवाई नहीं होगी और इस हिसाब से अयोध्या मामले में अब सिर्फ 5 दिन की सुनवाई बची है।

हालाँकि सुनवाई खत्म होते-होते चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस गति से सुनवाई चल रही है हम उम्मीद कर सकते हैं कि 17 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी हो जाएगी। इसके लिए चीफ जस्टिस ने एक रूपरेखा का भी जिक्र किया कि 14 नवंबर तक मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की दलीलें पूरी हो जाएंगी। 15 और 16 अक्टूबर को हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी हो जाएंगी और 17 अक्टूबर को सभी पक्ष कोर्ट को यह बता सकते हैं कि वह किस तरह की राहत की उम्मीद कर रहे हैं, जिसके बाद अदालत अपना आदेश सुरक्षित रख सकती है।

Tags:    

Similar News