दाती महाराज पर रेप केस में सीबीआई जांच का आदेश, हाईकोर्ट सख्त

Update: 2018-10-03 17:39 GMT

दाती महाराज हो या राम रहीम या फिर आसाराम जैसा सिरियल बलात्कारी, आखिर सबके सब भाजपा नेताओं के इतने करीबी क्यों होते हैं, क्या भाजपा ऐसे बलात्कारी बाबाओं की शरणस्थली है?

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट

जनज्वार। बलात्कार के आरोप में फंसे टीवी चैनलों पर करीब डेढ़ दशकों से छाए रहने वाले दाती महाराज उर्फ शनि महाराज उर्फ मदनलाल राजस्थानी की अब तक गिरफ्तारी न हो पाने पर सख्ती दिखाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केस सीबीआई को सौंप दिया है। इससे पहले इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही थी।

दाती महाराज पर अपनी शिष्या से रेप का आरोप है। मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी। इससे यह सवाल भी उठ रहा है की खादी, खाकी, नौकरशाह और धन्नासेठों के कृपापात्र रसूखदार दुष्कर्मी बाबाओं से पुलिस डरती है या पुलिस की मिलीभगत है?

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इस मामले में 1 अक्टूबर को साकेत कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी। दाती मदन महाराज के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (रेप) और 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के तहत केस दर्ज किया गया था। आज 3 अक्टूबर को इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट पर सवाल उठाये। संतुष्ट न होने पर कोर्ट ने यह केस सीबीआई को ट्रांसफर करते हुए सप्लिमेंट्री चार्चशीट दाखिल करने के आदेश दिए हैं।

गौरतलब है कि इसी साल 7 जून को दाती की एक शिष्या ने उसके खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज करवाई थी। मामला साल 2016 के जनवरी और मार्च महीनों का है। पीड़िता ने दाती महाराज के अलावा 5 अन्य लोगों पर दाती का साथ देने की शिकायत दर्ज करवाई थी।

दुष्कर्म मामले में दिल्ली पुलिस ने दाती महाराज सहित उसके तीन सौतेले भाइयों को बिना गिरफ्तार किए 1 अक्टूबर को चार्जशीट दाखिल कर दी थी। दाती की शिष्या ने दुष्कर्म का आरोप लगाकर फतेहपुर बेरी थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस मामले में पुलिस ने आरोप-प्रत्यारोप का हवाला देकर करीब 300 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है।

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तीन माह पहले 10 जून को फतेहपुर बेरी थाने में मुकदमा दर्ज होने के अगले दिन पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने केस को क्राइम ब्रांच में स्थानांतरित कर दिया था। क्राइम ब्रांच ने युवती और उनके परिजनों से पूछताछ के साथ जांच शुरू की थी। दाती से आठ बार और उसके सौतेले भाइयों से भी कई बार पूछताछ की गई।

राजस्थान की रहने वाली 25 साल की युवती ने दाती व उसके तीन सौतेले भाइयों पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है। इसके अनुसार, 9 जनवरी 2016 को पाली आश्रम से करीब 45 युवतियों को चरण वंदना (पैर दबाने) के लिए दिल्ली बुलाया गया था। इनमें वह भी शामिल थी।

युवती का आरोप है कि उसी रात दाती ने पहली बार उसके साथ दुष्कर्म किया था, फिर उसके तीन सौतेले भाइयों अनिल, अशोक व अर्जुन ने दुष्कर्म किया था। उसके बाद 26, 27 व 28 मार्च 2016 को युवती से पाली स्थित आश्रम में दाती और उसके तीनों भाइयों ने दुष्कर्म किया था। उसके परिजन ने करीब 10 साल पहले पढ़ाई के लिए उसे दाती के राजस्थान पाली स्थित बालाग्राम गुरुकुल आश्रम में भेजा था। बाद में उसे छतरपुर स्थित आश्रम में भेज दिया गया।

राजस्थान के पाली जिले के एक गांव में ढोल बजाकर रोटी कमाने वाले मेघवाल समुदाय के देवाराम के घर पैदा हुआ मदनलाल किसी जमाने में दिल्ली में चाय की दुकान में काम करता था। फिर कैटरिंग के धंधे में हाथ आजमाते हुए एक ज्योतिषी से जन्मपत्री देखने का गुर सीखकर ज्योतिषी बन गया।

इसके बाद मदनलाल के दाती महाराज बनने में देर नहीं लगी और वह दिल्ली की कैलाश कॉलोनी में ज्योतिष केन्द्र चलाने लगा। कुछ नेताओं के संपर्क में आने के बाद उसके दिन फिर गए और वो फतेहपुर बेरी में शनि मंदिर का शनि महाराज बन गया। एक टीवी चैनल ने उसे स्लॉट देकर देश भर में ख्याति दे दी। कई एकड़ में उसका आश्रम बन गया। हर शनिवार को उसके आश्रम में मेला लगने लगा। टीवी चैनलों पर बाबा को देख देखकर शनिवार अमावस्या को हजारों लोग जुटने लगे और दाती महाराज का सितारा बुलंदी पर पहुंच गया।

हिंदू आम तौर पर धर्मभीरु होते हैं और शनि ग्रह से बहुत डरते है। ज्योतिष की मान्यताओं में शनि की साढ़ेसाती सबसे ज्यादा नुकसानदायक मानी जाती है। दाती महाराज ने इन मान्यताओं का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। जब लोग शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में आकर उससे बचने के उपाय खोज रहे थे, दाती महाराज ने एक नई थ्योरी दी और कहा कि शनि शत्रु नहीं मित्र है।

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उस वक्त तक दाती महाराज इकलौते ऐसे ज्योतिषी कम संत बन गए, जिन्होंने अब तक शत्रु माने जा रहे शनि को दोस्त करार दिया। इसके बाद से ही उनके अनुयायियों की संख्या तेजी से बढने लगी । 2010 में जब हरिद्वार में महाकुंभ लगा तो श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े ने दाती महराज को महामंडलेश्वर की उपाधि दी थी।

हमारे देश में बाबा, तांत्रिक, मौलवी, पादरी और धर्मगुरुओं का अरबों खरबों का साम्राज्य है, जहाँ तमाम तरह के डर दिखाकर पूजा पाठ,धार्मिक अनुष्ठान,झाडफूंक,तंत्र-मंत्र और भूतप्रेत से मुक्ति दिलाने का कारोबार चलता है । ये श्रद्धालुओं का आर्थिक ,दैहिक और मानसिक शोषण करते हैं। ये प्रशासन की मिलीभगत से जमीनों पर कब्जे करके आश्रम बनाते हैं।दस तरह के काले धंधे करते हैं।

नेताओं, उद्योगपतियों, कलाकारों, फिल्मी हस्तियों और रसूखदार चेहरों से निकटता बढ़ाकर अपना प्रभामंडल तैयार करते हैं। जितना ज्यादा प्रभामंडल की आभा फैलती है उतना ज्यादा बड़ी दुकान सजती है । राजनेताओं के साथ की तस्वीरें इनकी दुकानों को वैधता प्रदान करती हैं। सत्ता और सियासत का संरक्षण ऐसे बाबाओं को महिमामंडित करता है ,जिससे उनकी दुकान तेजी से चमकने लगती है।

गौरतलब है कि इससे पहले सिटीजन फोरम फॉर सिविल राइट्स (एनजीओ) ने याचिका दायर कर 25 वर्षीय युवती से दुष्कर्म के मामले में पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए सीबीआइ से जांच कराने की मांग की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि दाती महाराज की गिरफ्तारी न होने से गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है और सबूत नष्ट किए जा सकते हैं।

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हाईकोर्ट ने 11 जुलाई को इस याचिका को ठुकरा दिया था। तब जस्टिस मुक्ता गुप्ता की पीठ ने कहा था कि याचिकाकर्ता गैर सरकारी संस्था मामले में पीड़ित नहीं है। इससे एनजीओ का कोई मतलब नहीं है। अगर पीड़ित और आरोपित इस संबंध में याचिका दायर करे तो विचार किया जाएगा।

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