तरुण तेजपाल पर चलेगा बलात्कार का मुकदमा

Update: 2017-09-07 18:30 GMT

दिल्ली। अपने सहकर्मी से बलात्कार के आरोपी तहलका मैगजीन के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल पर कोर्ट ने राहत के बजाए शिकंजा और कड़ा कर दिया है। इस मामले में आज 7 सितम्बर को हुई सुनवाई में गोवा की मापूसा अदालत ने कहा कि इस महीने के अंत यानी 28 सितंबर को उनके खिलाफ आरोप तय कर मुकदमा चलाया जाएगा।

बलात्कार केस में आरोपी तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल पर फिलहाल सीआरपीसी की धारा 327(2) के तहत मुकदमा दर्ज है। कोर्ट ने तरुण तेजपाल को फिलहाल जमानत दी हुई है।

आज गोवा की मापूसा अदालत में इस मामले में सुनवाई हुई, वहीं कोर्ट ने कहा कि 28 सितंबर को तरुण तेजपाल पर आरोप तय कर मुकदमा चलाया जाएगा। मामले की सुनवाई के दौरान तरुण तेजपाल कोर्ट पहुंचे थे, जहां यह सुनवाई कैमरे के सामने की गई।

जिस महिला पत्रकार ने तरुण तेजपाल पर बलात्कार का आरोप लगाया है उसने न्यायालय से इस मामले के मीडिया ट्रायल पर रोक लगाने की अपील की गई थी। साथ ही पीड़ित पत्रकार की ओर से सीआरपीसी के सेक्शन 327(3) के तहत मामला दर्ज कराया गया था, जिसके तहत मामले की कैमरे के सामने सुनवाई चलेगी। कोर्ट ने पीड़ित महिला पत्रकार की इस मांग को 15 जून को स्वीकार कर लिया था।

क्या है मामला

20 नवंबर 2011 को तहलका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी को किया गया मैगजीन की ही एक महिला पत्रकार का ई-मेल लीक हुआ था, जिसमें तहलका के एडिटर-इन-चीफ तरुण तेजपाल पर बहुत ही संगीन आरोप लगाए गए थे। महिला पत्रकार ने मेल में कहा था कि तरुण तेजपाल ने गोवा के एक होटल में तहलका के एक कार्यक्रम के दौरान 7 और 8 नवंबर 2011 को 2 बार उसका यौन शोषण किया और पीड़िता को धमकी दी कि अगर उसने किसी से इसके बारे में जिक्र किया तो उसे नौकरी से हाथ धोने पड़ सकते हैं।

मेल लीक होने पर तहलका मैनेजमेंट ने तरुण तेजपाल की तरफ से अपने कर्मचारियों को एक ई-मेल जारी कर पीड़ित से माफी मांगी और प्रायश्चित के तौर पर तहलका से छह महीने के लिए खुद को अलग कर लिया।

मीडिया में मामला आने के बाद 21 नवंबर 2013 को गोवा सरकार हरकत में आ गई और पुलिस ने खबरों का स्वत: संज्ञान लेते हुए तेजपाल पर बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया। इसी कड़ी में गोवा पुलिस ने 22 नवंबर 2013 को दिल्ली पहुंच तहलका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी समेत तहलका के कर्मचारियों से पूछताछ की।

बलात्कार मामले में खुद पर शिकंजा कसते देख तरुण ने 25 नवंबर 2013  को दिल्ली हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी डाल दी। जबकि दूसरी तरफ 26 नवंबर 2013 को गोवा पुलिस ने मुंबई में पीड़ित का बयान दर्ज किया और तेजपाल के पास पूछताछ के लिए समन भेजा।

27 नवंबर 2013 को गोवा पुलिस ने पणजी में मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता का बयान दर्ज कराया। दिल्ली हाईकोर्ट ने तेजपाल को अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए जमानत पर फैसला 29 नवंबर तक टाल दिया था और गोवा पुलिस ने तेजपाल को 28 नवंबर को पेशी के लिए कहा।

28 नवंबर 2013 को तेजपाल ने गोवा पुलिस से जब पेशी के लिए मोहलत मांगी तो मांग ठुकरा दी गई और अदालत से वारंट जारी करने की गुहार लगी। तरुण तेजपाल ने गोवा कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की तो कोर्ट ने 29 नवंबर 2013 की दोपहर तक गिरफ्तारी से राहत दी।

30 नवंबर 2013 को गोवा में कोर्ट में तेजपाल की अर्जी पर सुनवाई की गई। अदालत ने तेजपाल की जमानत अर्जी खारिज कर उन्‍हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया। इस मामले में गोवा क्राइम ब्रांच ने 17 फरवरी 2014 को 2846 पन्नों की चार्जशीट पेश की, जिसमें कहा गया कि तेजपाल के खिलाफ पीड़िता के साथ बलात्कार के पुख्ता सबूत हैं।

गोवा एडिशनल सेशंस कोर्ट की जज विजया डी. पोल ने पत्रकार बलात्कार मामले में ढिलाई बरतने के लिए 7 नवंबर, 2015 को जांच अधिकारियों की जमकर लताड़ लगाई थी।

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