यूपी पुलिस ने कहा आजम खान ने 26 किसानों को कई दिनों तक बंधक बनाकर किया था उनकी जमीन पर कब्जा, सपा ने कहा आरोप हैं फर्जी
जनज्वार। वरिष्ठ समाजवादी नेता और अपने बयानों के लिए अकसर चर्चा में रहने वाले आजम खान पर शासन—प्रशासन का शिकंजा कसता जा रहा है। अब एक मामले में जांच के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा है कि आजम खां ने किसानों की जमीन पर 'जबरन कब्जा' करने से पहले 26 किसानों को बंधक बनाकर गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रख और उन्हें कई दिनों तक प्रताड़ना दी।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग ने एक जांच के आधार पर आजम खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें कई दस्तावेजों की जांच भी करवायी गई है। रामपुर के अजीम नगर थाने में दर्ज मुकदमे को सही मानें तो आजम खान और उनके निकट सहयोगी पूर्व पुलिस उपाधीक्षक आलेहसन खान ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सपा नेता की करोड़ों की निजी परियोजना 'मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी' के लिए कई सौ करोड़ रुपये से अधिक की जमीन किसानों को बंधक बनाकर हड़पी।
वहीं जबरन किसानों को बंधक बना जमीन हड़पने के मसले पर आजम खान कहते हैं कि जब से वे लोकसभा का चुनाव जीते हैं, उन्हें सत्ता के इशारे पर बिना वजह झूठे मुक़दमों में फंसाया जा रहा है।
रामपुर के पुलिस अधीक्षक अजय पाल शर्मा कहते हैं, 26 किसानों ने कहा है कि आजम खान और पूर्व पुलिस उपाधीक्षक आलेहसन ने उन लोगों को जबरन जमीन पर कब्जे के लिए अवैध रूप से हिरासत में रखा और उनकी कई हजार हेक्टेयर जमीन हासिल करने के लिए जाली कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए उन पर दबाव डाला। जब किसानों ने कागजों पर साइन करने से मना किया, तो उनकी जमीन जबरन हड़प ली गयी। रामपुर के तत्कालीन अंचल अधिकारी यानी सीओ आलेहासन ने गरीबों-मजबूरों की जमीन हड़पने में अपने पद का दुरुपयोग किया। आजम खान के खिलाफ पुख्ता सबूत मिलने के बाद ही हमने आपराधिक मामला दर्ज किया है। पूर्व क्षेत्राधिकारी आलेहसन की तलाश में भी पुलिस दबिश की कार्रवाई कर रही है।'
उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि हमने सपा नेता के खिलाफ यह मामला प्रदेश के राजस्व विभाग द्वारा की गई एक जांच के आधार पर दर्ज किया है, जिसमें सभी प्रासंगिक दस्तावेजों की जांच के अलावा पीड़ित किसानों के बयान भी दर्ज किए गए थे। प्रभावित किसानों में से ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। पुलिस के मुताबिक राजस्व विभाग की शिकायत के आधार पर आजम खान के खिलाफ 26 अलग-अलग मामले दर्ज किए जाएंगे, क्योंकि इसमें जमीन के अलग-अलग हिस्से और अलग-अलग मालिक शामिल हैं। अब तक उनके खिलाफ कुल 13 मामले दर्ज हो चुके हैं।
पुलिस अधीक्षक अजय पाल शर्मा के मुताबिक, इन मामलों की जांच की जा रही है, जिसके बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। आजम खान की गिरफ्तारी किसी भी समय हो सकती है। एफआईआर में लिखा गया है कि किसानों की जमीन हथियाने के अलावा आजम खान ने कोसी नदी के किनारे 5,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने के लिए 2012 से 2017 के बीच कैबिनेट मंत्री के तौर पर अपने पद का भी दुरुपयोग किया था।
गौरतलब है कि आजम खान के ड्रीम प्रोजेक्ट 'मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय' की परिकल्पना 2004 में एक निजी उर्दू विश्वविद्यालय के रूप में की गई थी। सपा के उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद विश्वविद्यालय परिसर का निर्माण हुआ और 2012 में, अखिलेश सरकार ने आजम खान को विश्वविद्यालय का आजीवन कुलाधिपति बनाए जाने को मंजूरी दी थी, जिसका तत्कालीन राज्यपाल ने विरोध भी किया था।
इस मसले पर पहले सपा की तरफ से कोई बयान नहीं आया था, मगर अब वह उनके पक्ष में खड़ी हो गयी है। सपा की तरफ से बयान आया है कि भाजपा सपा के निष्ठावान नेता की छवि खराब करने की कोशिश कर रही है। आजम खान ने अपने निजी हितों के लिए नहीं बल्कि रामपुर में उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए एक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी विधायकों व विधान परिषद के 21 सदस्यों की एक जांच समिति नियुक्त की है, जो रामपुर के सांसद के खिलाफ आरोपों की जांच करेगी।
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहा है कि आजम खान पर लगे किसानों की जमीन पर जबरन किए गये अतिक्रमण के आरोपों पर एक 22 सदस्यीय समिति विधान परिषद में विपक्ष के नेता अहमद हसन की अगुवाई में 20 जुलाई को मामले की जांच करने रामपुर पहुंचेगी। यह समिति 3 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद् के सभापति को सौंपेगी।