निजीकरण के विरोधी वैज्ञानिक के साथ सरकार कर रही ज्यादती, वैज्ञानिकों ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र

Update: 2018-08-04 07:39 GMT

मिश्रा का ट्रांसफर वैज्ञानिक समुदाय को व्यापक रूप से हतोत्साहित करेगा, क्योंकि यह एक साफ़ संकेत है कि या तो वैज्ञानिक उन विचारों के साथ सहमति रखे जो मौजूदा राजनीतिक सत्ता के साथ समानता रखते हैं या फिर इसके लिए तैयार हो जाये कि स्वतंत्र वैज्ञानिक जाँच करने के लिए दूसरे विकल्प तलाशें...

जनज्वार। वैज्ञानिकों द्वारा लिखे पत्र में इसरो वैज्ञानिक तपन मिश्रा के साथ हो रही ज्यादती को राजनीति से प्रेरित कहा गया है। साथ ही वैज्ञानिकों ने संदेह जताया है कि तपन मिश्रा का देश की मुख्य स्पेस संस्था इसरो के निजीकरण का विरोधी होना ही, उनको मिल रही प्रताड़ना का असली कारण है।

करीब दो दर्जन वैज्ञानिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिख कहा है कि एक विशेष समाचार पत्र के अनुसार आधिकारिक हवालों से खबर है कि स्पेस एजेंसी के मुख्य सलाहकार के रूप में अब तपन मिश्रा को इस दौड़ से बाहर किया जा चुका है। यह एक सलाहकार का पद है न की कार्यकारी अधिकारी का पद। चैयरमेन की नियुक्ति हमेशा ही कार्यकारी अधिकारियों में से ही की जाती है और तपन मिश्रा पद के सभी मानदंडों को पूरा करते हैं।

इसके अलावा ऐसा कोई पद संस्था में पहले कभी नहीं था। न तो सरकार और न ही इसरो ने इन रिपोर्ट्स पर कोई टिप्पणी की है। अंतरिक्ष अनुसन्धान में देश ने जिस तरह की उत्कृष्टता हासिल की है उसे देखते हुए देश आधिकारिक स्पष्टीकरण का इन्तज़ार कर रहा है।

मीडिया ने यह भी रिपोर्ट किया कि मिश्रा का ट्रांसफर इसरो मुख्यालय में किये जाने के दो कारण हैं: पहला, उन्होंने एक प्रोजेक्ट में देरी का विरोध किया और दूसरा वह इसरो के निजीकरण के विरोधी थे।

अगर यह सच है तो मिश्रा का ट्रांसफर वैज्ञानिक समुदाय को व्यापक रूप से हतोत्साहित करेगा, क्योंकि यह एक साफ़ संकेत है कि या तो वैज्ञानिक उन विचारों के साथ सहमति रखे जो मौजूदा राजनैतिक सत्ता के साथ समानता रखते हैं या फिर इसके लिए तैयार हो जाये कि स्वतंत्र वैज्ञानिक जाँच करने के लिए दूसरे विकल्प तलाशें। ऐसा लगता है कि वैज्ञानिक उत्कृष्टता का अब कोई औचित्य नहीं बचा है।

हम इसे एक मात्र घटने वाली घटना की तरह नहीं देखते। एक राष्ट्र के तौर पर हमने इसरो, एटॉमिक एनर्जी कमीशन, सी.एस.आई.आर, डी.आर.डी.ओ, आई.ए.आर.आई और अन्य प्रायौगिक अनुसंधान के संस्थान बनाए जहाँ स्थिरता की संस्कृति, अनुसंधान की स्वतंत्रता एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का माहौल पैदा किया। पूरा देश इन 70 वर्षों में गठित किये गए भव्य वैज्ञानिक संस्थानों की तरफ आदर एवं उम्मीद के साथ देखता है। भारत के लोगों का दृढ़ विश्वास है कि यह सभी संस्थान ही देश की प्रगति की नींव हैं और इन संस्थानों ने ही देश का गौरव बढ़ाया है।

हमें विश्वास है कि इन संस्थानों ने देश के निर्माण में अहम् भूमिका इसलिए निभाई है क्योंकि इन्हें अब तक जोड़ तोड़ और संकीर्ण राजनैतिक हस्तक्षेप से दूर रखा गया है। इतिहास यह बताता है कि दुनिया में विज्ञानं की प्रगति का आधार सोचने की आज़ादी, अभिव्यक्ति की आज़ादी और बिना डर के अनाधिकृत क्षेत्रों में खोजबीन करने की स्वतंत्रता रही है।

इसके अलावा विज्ञान की प्रगति के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण का माहौल भी अनिवार्य होता है। ऐसे समाज में जहाँ विज्ञानं और वैज्ञानिकों का आदर न किया जाता हो वहाँ उचित वैज्ञानिक अनुसन्धान नहीं किये जा सकते।

भारत का नागरिक होने के नाते यह हमारा संवैधानिक दायित्व है कि हम "वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाए एवं उसका प्रचार करें", यही संविधान का अनुच्छेद 51 (Ah) कहता है और जिसका अनुपालन आपकी सरकार का भी दायित्व है।

हाल ही में हमें वैज्ञानिक संस्थाओं में हस्तक्षेप देखने को मिला है और इसके साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर लगातार हमले सामने आये हैं। ऐसे कई लोग जो आपकी सरकार में संवैधानिक पदों पर हैं अपनी निजि मान्यताओं पर आधारित अवैज्ञानिक बयान देते रहे हैं। हमारा यह मानना है कि एक तरफ हस्तक्षेप, दंडात्मक कार्यवाहियाँ और प्रायोजित नियुक्तियां और दुसरी तरफ आम जनता में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार के विरुद्ध माहौल बनना देश की उन्नति के लिए हानिकारक साबित होगा।

हम आपसे तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह करते हैं। विरोध दर्ज करने वाले वैज्ञानिक :

प्रो मेवा सिंह जे. सी. बॉस फेलो यूनिवर्सिटी, मैसूर

प्रो श्यामल चक्रवर्ती कलकत्ता यूनिवर्सिटी

प्रो वसी हैदर भूतपूर्व अध्यक्ष, भौतिकी विभाग AMU

प्रो ई. हरबाबू भूतपूर्व कुलपति, हैदराबाद यूनिवर्सिटी

प्रो इरफ़ान हबीब प्रोफेसर एवं वैज्ञानिक, NUPA

डॉ. सुबोध महंती पूर्व अध्यक्ष, विज्ञानं प्रसार

प्रो गौहर रज़ा पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, CSIR

डॉ. पी.वी.एस. कुमार पूर्व उच्च वैज्ञानिक, CSIR

दिनेश अब्रोल पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, CSIR

प्रो अमिताभ जोशी विकासपरक जीव वैज्ञानिक, JNCASR

प्रो के. कन्नन सेवा निवृत्त प्रोफेसर एवं कुलपति, नागालैंड यूनिवर्सिटी

जय प्रकाश संयोजक, भोपाल गैस पीड़ित आंदोलन

डॉ. अनिकेत सुले रीडर, होमी भाभा सेण्टर फॉर साइंस एजुकेशन, मुंबई

डॉ. आर.डी. रिखारी पूर्व संपादक, NRDC

अमिताभ पांडेय आर्मेचर अस्ट्रोनॉमर, सलाहकार, विज्ञानं प्रसार

प्रो पार्थिव बासु कलकत्ता यूनिवर्सिटी

डॉ. अहमर रज़ा पूर्व सलाहकार, वैकल्पिक ऊर्जा मंत्रालय

प्रो गौतम गंगोपाध्याय कलकत्ता यूनिवर्सिटी

डॉ. सुरजीत सिंह NISTADS, CSIR

डॉ. कौसर विज़ारत पूर्व सहायक प्रोफेसर, NUEPA

डॉ. अशोक जैन पूर्व संचालक, NISTADS,CSIR

आर.एस. दहिया सेवा निवृत्त प्रोफेसर, SUH, रोहतक

दीपक वर्मा वैज्ञानिक लेख निर्माता

राकेश अदानिया वैज्ञानिक लेख निर्माता

डॉ. ए.के. अरुण लोक सेवा एक्टिविस्ट

प्रेम पाल शर्मा वैज्ञानिक लेखक, रेलवे से सेवा निवृत्त

सतीश कालरा सेवा निवृत्त प्रोफेसर

डॉ. एम.एस. नरवाल सेवा निवृत्त वैज्ञानिक, हरयाणा कृषि यूनिवर्सिटी

Er Anuj Sinha Former Head NCSTC, Director, Vigyan Prasar

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