झारखंड में पत्थलगढ़ी आंदोलन के बाद 30,000 आदिवासियों के खिलाफ दर्ज हैं राजद्रोह के मामले, सामाजिक कार्यकर्ता आलोका कुजूर पर भी राजद्रोह का मामला दर्ज...
अजय प्रकाश की रिपोर्ट
जनज्वार। झारखंड के खूंटी जिले के इलाकों में बीते साल 2018 पत्थलगढ़ी आंदोलन चला था। इस आंदोलन के बाद से करीब 30 हजार आदिवासियों के खिलाफ राजद्रोह के मामले दर्ज हैं। इसके अलावा रांची के आसपास के इलाकों में 20 लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता आलोक कुजूर के खिलाफ भी राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ है। सरकार ने हाल ही में उनपर 'अर्बन नक्सल' होने का आरोप लगाया है। आलोका ने जनज्वार से बातचीत की।
आलोका कुजूर बताती हैं कि झारखंड विकास मोर्चा ने राजद्रोह को हटाने की बात को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया है। कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के घोषणा पत्र में यह मुद्दा है या नहीं, ये मुझे मालूम नहीं है। इस मसले को झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाया है और इसको खत्म करने की बात कही है।
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आलोका कुजूर ने कहा, 'रांची और आसपास के जिलों के बीस लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार हैं। इसके अलावा बहुत सारे उन युवकों के खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाया गया है जो सोशल मीडिया पर मुद्दों को उठाते हैं। हम बीस लोगों में चार लोगों ने इस मामले को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट पहुंचे तो कुछ महीने बाद ही हम चारों के खिलाफ वारंट जारी किया गया।'
आलोका बताती हैं, 'खूंटी जिले के इलाकों में जब पत्थलगढ़ी आंदोलन चल रहा था, उस आंदोलन की रांची और शहरी इलाकों में मीडिया कवरेज आ रही थी। मुंडा आदिवासियों पत्थलगढ़ी आंदोलन कर रहे थे। उसमें पांचवी अनुसूची की बात लिखी जा रही थी। उस इलाके में गैंगरेप जैसी घटना होती है। गैंगरेप की घटना की से पत्थलगढ़ी आंदोलन और बढ़ जता है। उस मसले पर सोशल मीडिया पर हम लोगों ने जो अपने मन की बातें लिखी। मीडिया में इस मामले को उछाला था और महिलाओं की सुरक्षा की बात कही थी। जो लड़की गैंगरेप केस में पीड़िता रही, उसके लिए सुरक्षा की मांग की थी। उसके बाद हमारे ऊपर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया।
उन्होंने आगे कहा कि जो लोग सरकार के खिलाफ लिख और बोल रहे थे उन्हें निशाना बनाया गया। इन 20 लोगों में 80 फीसदी आदिवासी हैं। आदिवासियों को इसलिए निशाना बनाया गया है क्योंकि जो जल जंगल जमीन के सवाल वो उठाते हैं, उस पर उनका मुंह बंद हो जाए।
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वह आगे कहती हैैं, '2014 के बाद जो राम मंदिर वाली सरकार आई और राम-राम करने लगी। ये चाहते थे झारखंड के अंदर भी राम-राम का जाप हो। लेकिन यहां राम-राम के जाप का असर नहीं हो रहा था तो इस तरह के मसलों को डालना उन्होंने शुरू किया। खूंटी का इलाका राम-राम का इलाका नहीं है, वह आदिवासी इलाका है। वह पहाड़ की पूजा करने वाले लोग हैं। जिन 11 गावों के खिलाफ एक राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है उनमें नाम दोगरू, खटंगा, भंडरा, पुटकलतोली, चमड़ी, आनिटी, सोसोटी, कांकेर, सोनपुर आदि नाम शामिल हैं। इन गांवों में पूरे गांव पर एफआईआर दर्ज की गई है। ये पूरा मुंडा आदिवासी इलाकों का है।'
आलोका आगे कहती हैं, 'खूंटी के पत्थलगढ़ी आंदोलन के केस के मामले में अभी तक सोशल मीडिया और मीडिया में जो खबरें आ रही हैं। उस मामले में मीडिया वाले न प्रशासन से बात करते हैं, न ही एफआईआर की खोजबीन करते हैं, उसके बिना ही ये न्यूज बना लेते हैं। मीडिया को भी इसकी जांच करनी चाहिए। जबकि हम लोगों के पास जो 14 एफआईआर हैं उसके अनुसार करीब 30,000 लोगों के खिलाफ राजद्रोह के केस दर्ज हैं।'