वेतन नहीं मिलने के कारण महाविद्यालयों में अनुमोदित शिक्षक कॉलेज जाना छोड़ देते हैं और शिक्षक विहीन महाविद्यालय संचालित होते रहते हैं...
गोरखपुर। स्ववित्तपोषित महाविद्यालय शिक्षक एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि मंडल दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति से मिला। प्रतिनिधि मंडल ने कुलपति को शिक्षकों की समस्याओं से अवगत कराते हुए कार्यवाही की मांग की।
प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में अनुमोदित शिक्षकों का विगत 10 वर्षों से अनुमोदित शिक्षक के रूप में कार्य करने के बाद भी अभी तक बैंक खाते में भुगतान एवं अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं कराया जा रहा है। ऐसे में शिक्षक भारी अभाव एवं असुरक्षा का जीवन जी रहे हैं।
शिक्षक कहते हैं, एक तरफ हमारे ही समान योग्यता एवं काम करने वाले सरकारी शिक्षक उच्च वेतनमान एवं 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ लेने जा रहे हैं, वही हम अब तक मनरेगा मजदूरों के बराबर की सुरक्षा भी नहीं प्राप्त कर सके हैं।
वित्तविहीन कॉलेज की शिक्षिका सुनीता सिंह कहती हैं कि वेतन नहीं मिलने के कारण महाविद्यालयों में अनुमोदित शिक्षक कॉलेज जाना छोड़ देते हैं और शिक्षक विहीन महाविद्यालय संचालित होते रहते हैं, जिसका असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ता है।
गौरतलब है कि अनुमोदन के दौरान हुए अनुबंधों का प्रबंधक द्वारा पालन नहीं होने की स्थिति में दूसरे महाविद्यालयों में अनुमोदन कराने की स्थितियां पैदा हुई। अनुमोदन के बाद अन्य विद्यालयों में भी शिक्षकों से शिक्षण कार्य कराया, किंतु कोई वेतन भुगतान नहीं किया। वह शिक्षकों के वेतन भुगतान के झूठे आश्वासन देते रहे हैं तथा आर्थिक एवं मानसिक शक्ति पहुंचाते रहे हैं।
वित्तविहीन कॉलेज के शिक्षक नंदलाल पाठक अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहते हैं, बस गिने-चुने कालेज ऐसे हैं जहां शिक्षकों के खाते संचालित किए जा रहे हैं।
प्रतिनिधि मंडल के शिक्षक कहते हैं कि इन महाविद्यालयों के प्रबंधक अभी तक छात्रों से शिक्षकों के वेतन मद का पैसा फीस के रूप में वसूलकर उसका उपभोग निजी कार्यों के लिए कर रहे हैं। यह लोग बार-बार धोखा देने के लिए फर्जी आश्वासन देते रहते हैं कि आपके वेतन का अत्यधिक भुगतान शीघ्र ही कर दिया जाएगा। ऐसे में शिक्षक जीवन निर्वाह कर पाने में असमर्थ हैं। उच्च शिक्षा एवं शिक्षण संस्थानों ने इनके जीवन को पूरी तरह तबाह कर दिया है।
प्रतिनिधि ने मांग की कि संबंधित महाविद्यालयों के शिक्षकों की अनुमोदन तिथि से विधिक भुगतान सुनिश्चित कराते हुए अनुबंध के उल्लेखित फंडों का भुगतान भी सुनिश्चित किया जाए। श्रम कानूनों में अनुबंध पालन न करने वाले से जुर्माना वसूलने के प्रावधान के तहत कार्यवाही की जाये और उसके सापेक्ष हमारे वेतन का भुगतान किया जाए।
स्ववित्तपोषित शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने यह भी मांग की है कि शिक्षकों के वेतन भुगतान में शासनादेशों का अबतक अनुपालन न कराने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों एवं संस्थाओं के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए, जिससे की शिक्षा एवं शिक्षकों की मर्यादा की रक्षा हो सके। यह प्रतिनिधि मंडल चतुरानन ओझा के नेतृत्व में कुलपति से मिला। (फाइल फोटो)