मजदूरों की मदद कर रहे यह संगठन न सिर्फ उन्हें राशन और अन्य चीजें उपलब्ध करा रहे हैं बल्कि सरकार पर इनकी मदद करने के लिए दवाब भी बना रहे हैं...
जयपुर से अवधेश पारीक की रिपोर्ट
जनज्वारः राजस्थान की राजधानी जयपुर में लॉकडाउन की घोषणा के बाद फंसे हजारों मजदूरों की मदद के लिए कई सामाजिक संगठन सामने आए हैं. गौरतलब है कि जयपुर में हजारों मजदूर फंसे हुए हैं.
मालूम हो कि नगर निगम जयपुर के आंकड़ों के मुताबिक जयपुर में 308 कच्ची बस्तियां हैं, वहीं 4 लाख से अधिक मजदूर दिहाड़ी पर काम करते हैं, वहीं लॉकडाउन के बाद करीब 50 हजार से अधिक मजदूर जयपुर में फंसे हुए बताए जा रहे हैं।
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ऐसे में कई सामाजिक संगठन और मानवाधिकार कार्यकर्ता लॉकडाउन के बाद से ही हज़ारों मजदूरों, बेघर लोगों का सहारा बने हुए हैं।
ये संगठन जहां मजदूरों तक भोजन और राशन पहुंचा रहे हैं वहीं कोरोना वायरस को लेकर जागरूकता फैलाने का काम भी संगठन पूरी ज़िम्मेदारी से कर रहे हैं।
यह संगठन जमीन पर किस तरह काम कर रहे हैं इसके बारे में विस्तार से जानते हैं
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी (PUCL)
मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल लॉकडाउन के बाद से ही जयपुर की बस्तियों और बेघर लोगों को खाना पहुंचाने के साथ ही मजदूरों की मदद के लिए राज्य सरकार पर दबाव बना रहा है।
PUCL के अखिल चौधरी बताते हैं कि, हमने लोगों की मदद करने के साथ ही शुरू से ही सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन के बाद से हम अभी तक करीब 5000 लोगों तक पका खाना और 3000 परिवारों तक सूखा राशन पहुंचा चुके हैं।‘
वहीं अखिल की बात पर सहमति दर्ज करते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) के मुकेश गोस्वामी कहते हैं कि, सरकार औद्धोगिक इलाकों पर अभी भी ध्यान नहीं दे रही हैं, इन इलाकों में आज भी हजारों की संख्या में कई राज्यों के मजदूर फंसे हुए हैं। सरकार के पास लोगों का पूरा डेटा है फिर भी लोग भूखे सोने को मजबूर हैं।
आपको बता दें कि जयपुर में PUCL के साथ ही मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS), राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन, निर्माण एवं जनरल वर्कर्स यूनियन, सूचना का अधिकार मंच, हेल्पिंग हैंड्स व ओमा फाउंडेशन जैसे संगठन मजदूरों की मदद कर रहे हैं.
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राजस्थान नागरिक मंच और राजस्थान सम्रग सेवा संघ
लॉक़डाउन होने के बाद जयपुर के सीतापुरा इंड्रस्टीयल एरिया में प्रवासी मजदूरों के रहने और खाने की विकराल समस्या पैदा हो गई। ऐसे में यहां राजस्थान समग्र सेवा संघ, राजस्थान नागरिक मंच जमात-ए-इस्लामी हिन्द, राजस्थान जैसे संगठन लगातार कच्ची बस्तियों में राशन पहुंचाने के साथ-साथ जागरूकता अभियान चला रहे हैं।
जमात के तमाम संगठनों ने अब तक करीब 6800 से अधिक परिवारों तक राशन पहुंचाया है और वह इसे लॉकडाउन समाप्त होने तक जारी रखने का दावा भी करते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद नाज़िमुद्दीन ने बताया कि यह जानकर खुशी होती है कि समाज का एक बड़ा वर्ग मुसीबत ज़दा लोगों की मदद करने के लिए आगे आया है। उन्होंने कोरोना से पीड़ित लोगों के साथ सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि हमें उम्मीद है कि हम जल्द ही इस मुश्किल दौर से निकल जाएंगे।
वहीं राजस्थान नागरिक मंच से बसंत हरियाणा का कहना है कि, हम प्रशासन के साथ मिलकर उन इलाकों में जा रहे हैं जहां लोगों में इस महामारी को लेकर डर है। हम लोगों को जागरूक करते हुए उन्हें प्रशासन का सहयोग करने की अपील कर रहे हैं।
इसके अलावा तमाम प्रवासी मजदूरों के बीच लेबर एजुकेशन एंड डेवेलपमेंट सोसाईटी नामक संगठन (Leds Jaipur) अक्षय पात्र के साथ मिलकर जयपुर के भट्टा बस्ती जैसे इलाकों में खाना वितरण भी कर रहा है।
LEDS की हेमलता कांसोतिया कहती हैं कि, हम सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए लगातार लोगों का अपने स्तर पर सहयोग कर रहे हैं।
भाकपा (माले) समर्थित छात्र संगठन आइसा और राजस्थान यूनिवर्सिटी एवं युवा मुद्दों पर सक्रिय रहने वाले छात्र संगठन AIRSO लॉकडाउन के बाद से लगातार कच्ची बस्तियों में लोगों को राशन उपलब्ध करवा रहे हैं।
संगठनों ने लोगों से दाल, चावल, आटा, सेनिटाइज़र, साबुन जैसे जरूरी सामान सांगानेर, प्रताप नगर, वाटिका, झोटवाड़ा इंड्रस्टियल एरिया, करतारपुरा नाला, आज़ाद नगर कच्ची बस्ती, पालड़ी मीणा, 22 गोदाम पुलिया, पेंटर कॉलोनी और हाजी कॉलोनी जैसे इलाकों में करीब सैकड़ों लोगों तक पहुंचाए हैं।
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AIRSO (ऑल इंडिया रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन) के राज्य संयोजक रितांश बताते हैं कि, हमने लॉकडाउन की घोषणा होने के अगले दिन से ही लोगों से चंदे की अपील करने के साथ ही जरूरी सामान जुटाना शुरू कर दिया था। वे आगे जोड़ते हैं कि हमने चंदे के लिए ऑनलाइन लोगों से मदद मांगी जिससे हमें काफी मदद मिली।
इसके अलावा NFIW, AIDWA और बौद्ध शिक्षा समिति जैसे संगठन सहयोग के साथ-साथ लोगों में जागरूकता फैला रहे हैं।
NFIW की राज्य सचिव निशा सिद्धू कहती हैं कि, लॉक़डाउन के बाद हमने कुछ साथियों के साथ मिलकर मेरे स्वर्गीय बेटे समर्थ के नाम पर “समर्थ हेल्पलाइन” की शुरूआत की है, जिसमें जरूरतमंद हमसे संपर्क करते हैं और हम उन तक राशन पहुंचाते हैं।