योगी सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों का कच्चा चिट्ठा खोलने वाले नोएडा एसएसपी वैभव कृष्ण को किया निलंबित

Update: 2020-01-10 03:16 GMT

शासन को भेजे गोपनीय पत्र में आईपीएस वैभव कृष्ण ने प्रदेश में मनचाहे जिलों में ट्रांसफ़र पोस्टिंग के लिए चल रहे पैसों के खेल की दी थी जानकारी, पूरे मामले में भाजपा व संघ से संबंध रखने वाले कुछ लोगों का नाम हुआ था उजागर...

जेपी सिंह की रिपोर्ट

त्तर प्रदेश के चर्चित आईपीएस वैभव कृष्ण को किरकिरी होने के बाद आखिरकार योगी सरकार ने उन्हें कल 9 जनवरी को निलंबित कर दिया। साथ ही उन 5 आईपीएस अधिकारियों के भी तबादले करके महत्वहीन पदों पर भेज दिया गया है, जिन पर वैभव कृष्ण ने कुछ दिन पहले गंभीर आरोप लगाए थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने वैभव कृष्ण के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे दिये हैं।

नोयडा के एसएसपी आईपीएस वैभव कृष्ण के सनसनीखेज खुलासे से सरकार और नौकरशाही की भारी किरकिरी हो रही थी, क्योंकि उनके आरोपों के तार न केवल 5 आईपीएस अधिकारियों से जुड़ रहे थे, बल्कि प्रदेश के डीजीपी और गृह सचिव भी उसके जद में आ रहे थे। पुलिस महकमा मुख्यमंत्री के पास होने से उन पर भी ट्रांसफर पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के छीटें पड़ रहे थे। लेकिन यदि वैभव कृष्ण ने अपने निलंबन को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी तो सरकार और नौकरशाही की और फजीहत होना निश्चित है।

रकार ने एक महिला से चैट के वायरल वीडियो की गुजरात फॉरेंसिक लैब से रिपोर्ट आते ही वैभव कृष्ण को निलंबित कर दिया। सरकारी प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में वह वीडियो और चैट सही पाया गया, जिसे वैभव कृष्ण ने फर्जी बताया था। फॉरेंसिक जांच में सामने आया कि वीडियो ‘एडिटेड और मार्फ्ड’ नहीं था। इसके अलावा मुख्य सचिव के मीडिया निदेशक दिवाकर खरे भी हटाए गए हैं।

वैभव कृष्ण जब जिला गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा के एसएसपी बनाए गए थे, तभी से उन्होंने कथित तौर पर कुछ भ्रष्ट नेताओं और पत्रकारों के खिलाफ अभियान शुरू किया था। विवाद तब खड़ा हुआ, जब कुछ पत्रकारों के भ्रष्टाचार और ब्लैकमेलिंग के आरोप लगाकर नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी का जो तरीका अपनाया गया था, उसे लेकर नोएडा पुलिस सवालों के घेरे में आ गई थी।

मामला अभी तक ठंडा भी नहीं हुआ था कि बीते साल के आखिरी महीने में अचानक सोशल मीडिया में नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण का एक अश्लील वीडियो वायरल हो गया। वीडियो वायरल होने के बाद जब पुलिस के संज्ञान में पहुंचा तो महकमे में हड़कंप मच गया।

ब तक पुलिस मामले को संभालती, वीडियो लखनऊ पहुंच चुका था। नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण इस मामले में घिर गए। खुद घिरता देख वो सफाई देने के लिए मीडिया के सामने आ गए। वैभव ने उनका अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद आईपीएस अफसर अजयपाल शर्मा, सुधीर सिंह, हिमांशु कुमार, राजीव नारायण मिश्रा तथा गणेश साहा पर ट्रान्सफर-पोस्टिंग का धंधा चलाने और षडयंत्र के तहत उनकी मॉर्फ वीडियो बनाने के आरोप लगाए। वैभव कृष्ण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सफाई दी थी।

न्होंने कहा था कि सोशल मीडिया पर मेरा ‘मॉर्फ्ड वीडियो' पोस्ट किया गया है। इस वीडियो में उनकी तस्वीर के साथ एक महिला की आपत्तिजनक आवाज थी। एसएसपी ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो को फर्जी और साजिश का हिस्सा बताया था।

वैभव कृष्ण ने कहा था कि मैंने बीते एक साल में संगठित अपराध और रंगदारी मांगने वाले रैकेट्स के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है, जिसके चलते अब वो लोग मेरा नाम खराब करने के लिए साजिश रचकर ऐसा कर रहे हैं। मैंने खुद भी वायरल वीडियो को देखा है। आपराधिक तत्वों ने मेरी छवि खराब करने के लिए जान बूझकर ऐसी साजिश रची है।

वैभव कृष्ण ने ‘फर्जी वीडियो' सोशल मीडिया पर वायरल होने के मामले में थाना सेक्टर 20 में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। मामला प्रकाश में आने के बाद यूपी पुलिस की खासी किरकिरी हुई। अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में वैभव कृष्ण ने यह भी कहा कि महीने भर पहले ही उन्होंने उत्तर प्रदेश शासन को एक अति संवेदनशील रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें एक संगठित गिरोह के बारे में अवगत कराया गया था। ये लोग गौतमबुद्ध नगर और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में एक संगठित गिरोह बनाकर ठेके दिलवाने, तबादला कराने तथा अपराधिक कृत्य कराने का गिरोह चला रहे हैं।

सएसपी ने कहा कि उन्हें आशंका है कि इसी गैंग से संबंधित लोगों ने उनकी छवि खराब करने के लिए इस तरह का ‘मॉर्फ्ड वीडियो' बनाया है। गोपनीय पत्र में कुछ आईपीएस अफसरों द्वारा पैसे देकर मनचाहा पोस्टिंग लेने के खेल का खुलासा किया था। मामले में काफी किरकिरी होते देख उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इसकी जाँच अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ को सौंपी थी।

वायरल वीडियो के मामले में डीजीपी ओपी सिंह ने जांच के आदेश दिए। डीजीपी ओपी सिंह और गृह सचिव अवनीश अवस्थी ने नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण के अश्लील वीडियो के वायरल होने के मामले में सफाई पेश की। डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि मीडिया में जिस तरह से इस मुद्दे को लेकर खबरें सामने आ रही हैं, उस पर पुलिस ने यह साफ किया है कि वैभव कृष्ण कुछ भ्रष्टाचार में लिप्त पत्रकारों और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे। हालांकि ये भी कहा गया कि वैभव ने पुलिस सर्विस कोड का उल्लंघन किया है। इसके बारे में एक गोपनीय रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी, जिसकी विवेचना चल रही है।

स मामले में वायरल वीडियो को जांच के लिए गुजरात की एक विशेष फोरेंसिक लैब में भेजा गया। गुजरात भेजे गए वीडियो की रिपोर्ट आने के बाद ही योगी सरकार ने आईपीएस वैभव कृष्ण को सस्पेंड किया है। आईपीएस वैभव कृष्ण विवादों के चलते ही पूर्ववर्ती सपा सरकार के शासनकाल में भी बुलंदशहर से निलंबित हुए थे।

रअसल कुछ दिन पहले वैभव कृष्ण की एक महिला के साथ कथित सेक्स चैट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में महिला नहीं दिख रही थी, लेकिन उसके फोन की स्क्रीन की किसी अन्य डिवाइस से रिकॉर्डिंग की गई थी। वायरल वीडियो की जांच मेरठ के एडीजी और आईजी को सौंपी गई थी। उन्होंने जांच के दौरान विडियो को फॉरेंसिक जांच के लिए गुजरात की लैब में भेजा था। फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में चैट का वीडियो सही पाया गया।

डीजी जसवीर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे पत्र में लिखा है कि रिपोर्ट में अफसरों द्वारा थानाध्यक्षों की पोस्टिंग-ट्रांसफर, खुद अफसरों की तैनाती को लेकर रेट लिस्ट के संबंध में अपराधियों के साथ सांठगांठ के तमाम प्रमाण हैं। इनका संज्ञान लेते हुए आरोपी पांचों आईपीएस अफसरों को उनके वर्तमान पदों से हटाने की जरूरत है। ऐसा नहीं होने पर वे लोग जांच प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए इन्हें तत्काल पदों से हटाकर निलंबित किया जाना चाहिए।

शासन को भेजे अपने गोपनीय पत्र में आईपीएस वैभव कृष्ण ने प्रदेश में मनचाहे जिलों में ट्रांसफ़र पोस्टिंग के लिए चल रहे पैसों के खेल जानकारी दी थी। उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तैनात कुछ आईपीएस अफसरों की शिकायत करते हुए कहा था कि अच्छे ज़िलों में तैनाती के लिए पैसों का खेल चल रहा है। पूरे मामले में भाजपा व संघ से संबंध रखने वाले कुछ लोगों का नाम सामने आया था। पूरे प्रकरण में संघ के लखनऊ स्थित एक पदाधिकारी पर भी उंगली उठाई गयी थी।

ईपीएस ने उनसे पहले नोएडा में तैनात रहे पुलिस कप्तान अजयपाल शर्मा को पूरे खेल में शामिल बताते हुए उन पर गंभीर आरोप लगाए थे। कुछ दिन पहले नोएडा में गिरफ़्तार हुए 5 पत्रकारों के मामले को भी आईपीएस वैभव कृष्णा ने इसी मामले से जोड़ा था। आईपीएस वैभव के पत्र का मामला सार्वजनिक होने के बाद मुख्यमंत्री योगी ने उसके उनके सामने न रखे जाने को लेकर भी नाराज़गी जतायी थी।

स मामले में एक तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है। इस एसआईटी का प्रमुख वरिष्ठतम आईपीएस अफ़सर और डीजी विजलेंस हितेश चंद्र अवस्थी को बनाया गया है, जबकि दो सदस्य आईजी एसटीएफ अमिताभ यश और एमडी जल निगम विकास गोठलवाल बनाए गए हैं। एसआईटी को 15 दिनों के भीतर जाँच पूरी करने के आदेश देते हुए कहा गया है कि रिपोर्ट आते ही सख़्त कार्रवाई होगी।

प्रदेश सरकार ने कहा है कि जाँच प्रभावित ना कर सकें, इसलिए सभी पांचों पुलिस अफसरों को फील्ड से हटाया गया है। इनकी जगह नए अधिकारियों की तैनाती की गई और सभी को तत्काल ज्वाइनिंग के आदेश दिए गए हैं। इस प्रकरण की जाँच में वरिष्ठ अफसरों एवं एसटीएफ टीम भी लगाई गई है।

सी प्रकरण में दिवाकर खरे, निदेशक मीडिया, मुख्य सचिव को भी पद से हटाते हुए इन्हें सूचना एवं जनसंपर्क विभाग मंडलायुक्त कार्यालय लखनऊ से संबंद्ध किया गया। इनके ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश सरकारी नियमावली (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के अंतर्गत आरोप पत्र जारी करते हुए विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई करते हुए प्रकरण की जांच की जाएगी।

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