साम्प्रदायिक मीडिया तब्लीगी जमात पर कोरोना का ठीकरा जितना फोड़ ले, फिर भी ये सवाल बरकरार हैं
पहला सवाल यही है कि जब सरकार को जानकारी थी कि विदेश से आये करीब 100 लोग तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं तो लॉक डाउन की घोषणा करने से पहले विदेश से आये लोगों को वापस क्यों नहीं भेजा गया...
जनज्वार। देश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमित लोगों की तादाद बढ़ने के लिए अपरोक्ष रूप से तब्लीगी जमात को ज़िम्मेदार बताया है।
देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 386 मामले सामने आए हैं। पिछले 24 घंटे में मामले बढ़ने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने तब्लीगी जमात को जिम्मेदार ठहराया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि तब्लीगी जमात के लोगों के घूमने से कोरोना के मामले बढ़े हैं।
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लव अग्रवाल ने कहा कि तब्लीगी जमात के कारण खासतौर से तमिलनाडु, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि तब्लीगी जमात से जुड़े 1800 लोगों को अस्पताल और क्वारनटीन सेंटर भेजा गया है। हालांकि हाल के मामलों में बढ़ोत्तरी से यह नहीं कहा जा सकता है कि यह नेशनल ट्रेंड है।
वहीँ दूसरी तरफ निज़ामुद्दीन के तब्लीगी जमात मर्कज़ मामले में दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। यह एफआईआर निजामुद्दीन मर्कज़ के प्रमुख मौलाना साद तथा अन्य लोगों के खिलाफ लिखी गई है। इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच करेगी।
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कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद बढ़ने के लिए भले ही सरकार सीधे तौर पर तब्लीगी जमात को ज़िम्मेदार बता रही हो लेकिन निजामुद्दीन मर्कज़ की घटना को लेकर सरकारी मशीनरी भी सवालो के घेरे में हैं।
पहला सवाल यही है कि जब सरकार को जानकारी थी कि विदेश से आये करीब 100 लोग तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं तो लॉक डाउन की घोषणा करने से पहले विदेश से आये लोगों को वापस क्यों नहीं भेजा गया।
दूसरा अहम सवाल दिल्ली सरकार पर उठ रहा है। वह यह कि जब निजामुद्दीन मर्कज़ की तरफ से लोगों को वापस भेजने के लिए दिल्ली पुलिस और स्थानीय एसडीएम और जिलाधिकारी से वाहन पास मांगे गए थे तो मर्कज़ इंतजामिया की मदद क्यों नहीं की गई।
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दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस की लापरवाही की बात खुद सत्तारूढ़ दल के विधायक अमानतुल्लाह खान ने भी कही है। उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि उन्होंने 23 मार्च को पुलिस को बताया था कि निजामुद्दीन मर्कज़ में लोग फंसे हुए हैं।
ओखला से आप विधायक अमानतुल्लाह ने ट्वीट कर कहा कि ’23 मार्च को रात 12 बजे मैंने DCP South East और ACP Nizamuddin को बता दिया था कि निज़ामुद्दीन मरकज़ में 1000 के आस पास लोग फसे हुए हैं, फिर पुलिस ने इनको भेजने का इंतज़ाम क्यों नही किया।’
सवाल सिर्फ निजामुद्दीन मर्कज़ या तब्लीगी जमात का ही नहीं है। सवाल इसलिए भी उठना लाजमी है क्यों कि अचानक हुए लॉकडाउन के एलान से देश के विभिन्न राज्यों में फंसे लाखो मजदूरों को सैकड़ो किलोमीटर पैदल चलकर अपने घरो को पहुंचना पड़ा।
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जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम सन्देश में अचानक ही लॉकडाउन का एलान किया, उससे यह तो साफ़ है कि सरकार ने लौकडाउन को लेकर पूरी प्लानिंग नहीं की।
13 से 15 मार्च के बीच लोग निजामुद्दीन मर्कज़ पहुंचे थे, उस समय देश में लॉक डाउन नहीं किया गया था। देशभर में सामान्य तौर पर आवाजाही थी। यहाँ तक कि देश के सभी धार्मिक स्थल खुले हुए थे। पीएम मोदी 21 मार्च को राष्ट्र के नाम सन्देश में अगले दिन यानि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लागू करने की बात कहते हैं। ट्रेन, बस, फ्लाइट सब कुछ बंद कर दिया जाता है। निजामुद्दीन मर्कज़ ने अपना कार्यक्रम भी तुरंत रद्द कर दिया लेकिन ऐसी स्थति मर्कज़ के कार्यक्रम में शामिल होने आये लोगों को वापस भेजा जाता तो कैसे ?
यूपी अल्पसंख्यक आयोग ने की तब्लीगी जमात पर पाबंदी की मांग:
यूपी अल्पसंख्यक आयोग ने केंद्र सरकार से तब्लीगी जमात संगठन को बैन करने की मांग की है। आयोग के सदस्य सरदार परविंदर सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तब्लीगी जमात को तत्काल बैन करने की मांग की है।
वहीँ शिया वक्फ बोर्ड के चीफ वसीम रिजवी ने तब्लीगी जमात की तीखी आलोचना की और कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि तब्लीगी जमात सुसाइड बॉम्बर तैयार करती है। रिजवी की मानें तो भारत में कोरोना फैलाने के लिए तब्लीगी जमात ने यह साजिश रची है।