राम जन्मभूमि मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। पांच जजों की संविधानिक पीठ ने विवादित जमीन को हिंदू पक्ष को फ़ैसला सुनाया है, आइये इस मुद्दे पर पढ़ते हैं तमाम राजनेताओं की राय कि किसे कैसा लगा ये फैसला...
जनज्वार। कई सालों से चले आ रहे बाबरी मस्जिद और रामजन्मभूमि के मामले को 40 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद 5 जजों की बेंच द्वारा इस पर फैसला दे दिया गया। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 16 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी की थी। 6 अगस्त से शुरू हुई ये सुनवाई लगातार 40 दिन तक चलती रही। जजों की बेंच ने इस जमीन पर हिंदू पक्ष के दावे को उचित माना है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीनों के भीतर अयोध्या पर एक कार्ययोजना तैयार करने के लिए कहा है, साथ ही कोर्ट ने कहा है कि बनाई गई ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को शामिल करना है या नहीं, ये केंद्र सरकार को तय करना है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन अयोध्या पर देने की बात कहीं है।
फैसले आने के बाद गृहमंत्री समेत प्रधानमंत्री और अन्य विपक्ष के नेताओं ने भी शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। देश के नेताओं के अलावा पड़ोसी मुल्क ने भी फैसले को लेकर प्रतिक्रियायें व्यक्त की हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, 'देश के सर्वाेच्च न्यायालय ने आयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है, इस फैसले को हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। साथ ही उन्होंने देशवासियों से शांति, सद्भाव व एकता बनाए रखने की अपील की। प्रधानमंत्री ने देश की हजारों साल पुरानी भाईचारे की भावना के अनुरूप 130 करोड़ भारतीयों को शांति और संयम दिखाने की भी बात कही।
केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी प्रमुख अमित शाह ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत किया है, साथ ही उन्होंने फैसले को मील का पत्थर साबित होने की बात कहते हुए ट्वीट किया है, 'मुझे पूर्ण विश्वास है कि सर्वाेच्च न्यायलाय द्वारा दिया गया यह ऐतिहासिक निर्णय अपने आप में एक मील का पत्थर साबित होगा, यह निर्णय भारत की एकता, अखंडता और महान संस्कृति की ओर बल प्रदान करेगा, मेरी सभी समुदायों और धर्म के लोगों से अपील है कि इस निर्णय को सहजता से स्वीकारते हुए शांति और सौहार्द से परिपूर्ण एक 'भारत- श्रेष्ठ भारत' के संकल्प के प्रति कटिबद्ध रहे।'
अयोध्या विवादित जमीन के फैसले पर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने इस समय को सभी भारतीयों के बीच बधुंत्व, विश्वास और प्रेम का बताते हुए कहा कि, 'सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट के इस फैसले का सम्मान करते हुए हम सभी को आपसी सद्भाव बना के रखना है। ये वक्त हम सभी भारतीयों के बीच बंधुत्व, विश्वास और प्रेम का है।'
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर कहा, 'आज बहुत ही ख़ास दिन है। आख़िरकार हमारे कारसेवकों का बलिदान सार्थक हुआ। जनभावना और तथ्यों का ख़्याल रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो फ़ैसला दिया, हम उसका अभिनंदन करते हैं। अब राम मंदिर का निर्माण हो और रामराज्य का सपना सच हो। अगर बालासाहेब होते तो इस ऐतिहासिक दिन का गवाह बनकर खुश होते।'
प्रियंका गांधी ने कहा कि, 'अयोध्या मुद्दे पर भारत की सर्वाेच्च अदालत ने फैसला दिया है। सभी पक्षों, समुदायों और नागरिकों को इस फैसले का सम्मान करते हुए हमारी सदियों से चली आ रही मेलजोल की संस्कृति को बनाकर रखना चाहिए, हम सबको एक होकर आपसी सौहार्द और भाईचारे को मजबूत बनाए रखना होगा।'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए सभी से संयम बनाए रखने की अपील की है और ‘झगड़ा-विवाद’ समाप्त करने की बात कही। उन्होंने यह भी अपील की है कि इसे हार-जीत की तरह नहीं देखना चाहिए। भागवत ने ट्वीट किया है, 'हम योगदान करने वाले सभी सहयोगियों और बलिदानियों को याद करते हैं। भाईचारा बनाए रखने के लिए सरकारी और समाज स्तर पर हुए प्रयासों का भी हम स्वागत करते हैं। संयमपूर्वक न्याय का इंतज़ार करने वाली भारतीय जनता भी बधाई की पात्र है। अतीत की सभी बातों को भुलाकर हम सभी श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करेंगे।’
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन औवैसी ने राजीव धवन और मुस्लिम पक्ष की बात सुप्रीम कोर्ट में रखने वाले दूसरे लोगों को शुक्रिया कहते हुए फैसले पर अपनी नाराज़गी जाहिर की। उन्होंने इसे तथ्य से ऊपर आस्था की जीत बताते हुए कहा, 'ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरह मेरा भी यह मानना है कि हम इससे संतुष्ट नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम जरूर है, पर अचूक नहीं है। ये जस्टिस जेएस वर्मा ने कहा था। जिन्होंने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिराया आज उन्हीं को सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि ट्रस्ट बनाकर मंदिर का काम शुरू कीजिए। मेरा ये मानना है कि अगर मस्जिद नहीं गिराई होती तो कोर्ट क्या फैसला देता, पर ओवैसी ने शीर्ष अदालत की ओर से मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ ज़मीन दिए जाने के फ़ैसले पर भी असहमति जताते हुए कहा कि 'हम अपने क़ानूनी अधिकार के लिए लड़ रहे थे। मुसलमान ग़रीब है और भेदभाव भी उसके साथ हुआ है, लेकिन इन मजबूरियों के बाद भी मुसलमान इतना गया-गुजरा नहीं है कि वो अपने अल्लाह के घर की पांच एकड़ को जमीन को खरीद न सके। हमें किसी की ख़ैरात या भीख की जरूरत नहीं है। यह देखना होगा कि मुस्लिम पर्सन लॉ बोर्ड पांच एकड़ ज़मीन को कबूल करता है कि नहीं, मेरी निजी राय ये है कि हमें इस प्रस्ताव को ख़ारिज करना चाहिए। मुल्क अब हिंदू राष्ट्र के रास्ते पर जा रहा है। हम अपनी नस्लों को ये बताते जाएंगे कि यहां 500 साल तक मस्जिद थी। लेकिन 1992 में संघ परिवार ने और कांग्रेस की साज़िश की वजह से उस मस्जिद को शहीद किया।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि, 'विजय के इस क्षण में हमें अशोक सिंघल को याद रखना चाहिए और नरेंद्र मोदी सरकार तत्काल उन्हें भारत रत्न दे।'
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फैसले को ऐतिहासिक बताया, 'सर्वाेच्च न्यायालय पर निर्णय ऐतिहासिक है। यह निर्णय भारत के सामजिक ताने-बाने को और मजबूत करेगा मुझे विश्वास है कि सभी लोग धैर्य एवं उदारता के साथ इस फ़ैसले को स्वीकार करेंगे। मैं लोगों से अपील करता हूं कि इस फैसले के बाद शांति और सौहार्द बनाए रखे।'
उमा भारती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दिव्य बताते हुए कहा, ' माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस दिव्य फैसले का स्वागत है। माननीय अशोक सिंघल जी को स्मरण करते हुए उनको शत् शत् नमन। वह सब जिन्होंने इस कार्य के लिए अपने जीवन की आहुति दे दी, उन्हें श्रद्धांजलि एव आडवाणी जी का अभिनंदन, जिनके नेतृत्व में हम सब लोगों ने इस महान कार्य पर अपना सर्वस्व दाव लगा दिया था।'
राम जन्मभूमि के फ़ैसले पर पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता आसिफ़ ग़फू़र ने ट्वीट कर कहा, 'दुनिया ने एक बार फिर से अतिवादी भारत का असली चेहरा देख लिया है। पांच अगस्त को कश्मीर का भारत ने संवैधानिक दर्जा ख़त्म किया और आज बाबरी मस्जिद पर फ़ैसला आया, दूसरी तरफ पाकिस्तान दूसरे धर्म का आदर करते हुए गुरु नानक के सेवकों के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोल दिया।'